Page 12 - Vishwa April 2020 Issue.html
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          खुि से इस पेड़ को यहा से नहीं हटा सकत। हम लोग िादणजय दिभाग   काटा जा सकता तो इस आिमी को काटकर दनकाल दलया जाए! यह
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          के  कम्चिारी हैं और यह पेड़ का मामला है, पेड़ कृदष दिभाग के  तहत   िेदखए, उस आिमी ने इशार से बताया। अगर इस आिमी को बीि
          आता है। इसदलए मैं इस फाइल को अजजेंट माक्च  करके  कृदष दिभाग   में से यानी िड़ की जगह से काटा जाए, तो आिा आिमी इिर से
          को भेज रहा हूँ। िहाँ से जिाब आते ही इसको हटिा दिया जाएगा।   दनकल आएगा और आिा आिमी उिर से बाहर आ जाएगा और
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              िूसर  दिन  कृदष  दिभाग  से  जिाब  आया  दक  पेड़  हटान  की   पेड़ भी िहीं का िहीं रहेगा।”
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          दजममेिारी तो िादणजय दिभाग की ही बनती है।             “मगर इस तरह से तो मैं मर जाऊगा!” िब हुए आिमी ने एतराज
              यह जिाब पढ़कर िादणजय दिभाग को गुससा आ गया। उनहोंने   दकया।
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          फौरन दलखा दक पेड़ों को हटिाने या न हटिाने की दजममेिारी कृदष   “यह भी ठीक कहता है।” एक कलक बोला।
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          दिभाग की ही है। िादणजय दिभाग का इस मामल से कोई ताललुक   आिमी को काटन का नायाब तरीका पेश करने िाले ने एक
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          नहीं है।                                          पुखता िलील पेश की– “आप जानत नहीं हैं। आजकल ्पलादसटक
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              िूसर दिन भी फाइल िलती रही। शाम को जिाब आ गया।”   सज्चरी के  जररए िड़ की जगह से, इस आिमी को दफर से जोड़ा जा
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          हम इस मामल को हादट्चकलिर दिभाग के  सुपुि्च कर रहे हैं, कयोंदक यह   सकता है।”
          एक फलिार पेड़ का मामला है और कृदष दिभाग दसफ अनाज और   अब फाइल को मेदडकल दडपाट्चमेंट में भेज दिया गया।
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          खेती-बाड़ी के मामलों में फसला करने का हक रखता है। जामुन का   मेदडकल दडपाट्चमेंट ने फौरन इस पर एकशन दलया और दजस
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          पेड़ एक फलिार पेड़ है, इसदलए पेड़ हादट्चकलिर दिभाग के  अदिकार   दिन फाइल दमली उसन उसी दिन दिभाग के  सबसे कादबल ्पलादसटक
                                                                                                        े
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          क्ेत्र में आता है।                                सज्चन को जांि के  दलए मौक पर भेज दिया गया। सज्चन ने िब हुए
              रात  को  माली  ने िब  हुए  आिमी  को िाल-भात  दखलाया।   आिमी को अचछी तरह टटोल कर, उसकी सेहत िेखकर, खून का
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          हालांदक लॉन के  िारों तरफ पुदलस का पहरा िा, दक कहीं लोग   िबाि, सांस की गदत, दिल और फफड़ों की जांि करके  ररपोट्च भेज
                                                                                         े
          कानून को अपने हाि में लेकर पेड़ को खुि से हटिाने की कोदशश न   िी दक, “इस आिमी का ्पलादसटक ऑपरशन तो हो सकता है, और
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          कर। मगर एक पुदलस कांसटेबल को रहम आ गया और उसन माली   ऑपरशन कामयाब भी हो जाएगा, मगर आिमी मर जाएगा।
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          को िब हुए आिमी को खाना दखलान की इजाजत िे िी।         दलहाजा यह सुझाि भी रद् कर दिया गया।
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              माली ने िब हुए आिमी से कहा– “तुमहारी फाइल िल रही है।   रात को माली ने िब हुए आिमी के  मुँह में दखिड़ी डालत हुए
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          उममीि है दक कल तक फसला हो जाएगा।”                 उसे बताया “अब मामला ऊपर िला गया है। सुना है दक सेक्रे टेररयट
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              िबा हुआ आिमी क ु छ न बोला।                    के  सार सेक्रे टररयों की मीदटंग होगी। उसमें तुमहारा के स रखा जाएगा।
              माली ने पेड़ के  तने को गौर से िेखकर कहा, अचछा है तना तुमहार  े  उममीि है सब काम ठीक हो जाएगा।”
          क ू लहे पर दगरा। अगर कमर पर दगरता तो रीढ़ की हड्डी टूट जाती।   िबा हुआ आिमी एक आह भर कर आदहसते से बोला– “हमन  े
              िबा हुआ आिमी दफर भी क ु छ न बोला।             माना दक तगाफ ु ल न करोगे लेदकन खाक हो जाएँगे हम, तुमको खबर
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              माली ने दफर कहा “तुमहारा यहा कोई िाररस हो तो मुझे उसका   होन तक।”
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          अता-पता बताओ। मैं उसे खबर िेन की कोदशश करूँ गा।”     माली ने अिंभे से मुँह में उंगली िबाई। हैरत से बोला– “कया
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              “मैं लािाररस हूँ।” िब हुए आिमी ने बड़ी मुदशकल से कहा।   तुम शायर हो।”
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              माली अफसोस जादहर करता हुआ िहाँ से हट गया।        िब हुए आिमी ने आदहसते से सर दहला दिया।
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              तीसर दिन हादट्चकलिर दिभाग से जिाब आ गया। बड़ा कड़ा   िूसर दिन माली ने िपरासी को बताया, िपरासी ने कलक को
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          जिाब दलखा गया िा। काफी आलोिना के  साि। उससे हादट्चकलिर   और कलक ने हेड-कलक को। िोड़ी ही िेर में सेक्रे टेररएट में यह बात
          दिभाग का सेक्रे टरी सादहदतयक दमजाज का आिमी मालूम होता िा।   फैल गई दक िबा हुआ आिमी शायर है। बस दफर कया िा। लोग
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          उसन दलखा िा– “हैरत है, इस समय जब ‘पेड़ उगाओ’ सकीम बड़  े  बड़ी संखया में शायर को िेखन के  दलए आने लगे। इसकी खबर शहर
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          पैमान पर िल रही है, हमार मुलक में ऐसे सरकारी अफसर मौजूि हैं,   में फल गई। और शाम तक मुहलले मुहलले से शायर जमा होना शुरू
          जो पेड़ काटने की सलाह िे रहे हैं, िह भी एक फलिार पेड़ को! और   हो गए। सेक्रे टेररएट का लॉन भांदत भांदत के  शायरों से भर गया।
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          िह भी जामुन के  पेड़ को!! दजसके  फल जनता बड़ िाि से खाती   सेक्रे टेररएट के  कई कलक और अंडर-सेक्रे टरी तक, दजनहें अिब और
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          है। हमारा दिभाग दकसी भी हालत में इस फलिार पेड़ को काटन की   शायर से लगाि िा, रुक गए। क ु छ शायर िब हुए आिमी को अपनी
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          इजाजत नहीं िे सकता।”                              गजल सुनान लगे, कई कलक अपनी गजलों पर उससे सलाह मशिरा
              “अब कया दकया जाए?” एक मनिले ने कहा– “अगर पेड़ नहीं   माँगने लगे।
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