Page 15 - Vishwa April 2020 Issue.html
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या खुले आम घूमती बुरी आतमाएँ महाकदि के ऐलान का नोदटस ले मतलब दनकाल सकते हो। ऐसा करके मैं ख़ुि को बुदद्धमान मनिाता
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सकें । सिाभादिक दजज्ासा हुई, तुलसीिासजी ने भूत-दपशाि कहा आया। मानन और मनिाने से पतिर भी प्रभु हो जात हैं, पर स्ती दिमश्च
िेखे होंगे। मुझे लगता है िे दकसी कदि सममलेन में अधयक्ता करने के इस कदठन िौर में अपने घर में मुझे भाि नहीं दमला। जो हकीकत
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िले गए होंगे और िीर रस के कदि को कदिता पाठ करते सुना होगा। जानत हैं िे भाि नहीं िेत, दिककार िेत हैं जैसे तुलसीिासजी को उनकी
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ये कदि िहाड़ मारत हुए ऐसा अद्ुत कदिता पाठ करते हैं दक ऊघ रहे दप्रया रतनािली ने दिककारा िा। मेर घर में मेर पड़ोदसयों, दमत्रों और
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सार श्ोतागण तादलयाँ ठोकन लग जात हैं। तुलसीिासजी ने अनयत्र ररशतेिारों, सबको अभयिान दमल िुका िा, बस मेर ही ज्ान िक्ु नहीं
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भूत-पदलत िेखें हों ऐसा कोई साक्य नहीं दमलता। मंदिरों में बहुतर खुल रहे ि। आज संसकृत-उद्ोदषका मुझे परम ज्ान िे गई। मैंने श्ोक
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जीदित रािण ही दमलते हैं, राम कहीं नहीं दिखत। आज सिर नाय्चसतु में आए िो श्िों यत्र और तत्र को बिल कर अपने घर का भाि भर
िाला संसकृत श्ोक सुनकर मुझे मदतभ्रम हो रहा िा दक जब घर में दिया और अपनी सुदप्रया से कहा - अत्र नाय्चसतु पूजयनते, रमनते अत्र
िेिता बसते हैं तो मुझे दिखत कयों नहीं। िेिताः। िह उमग रही है, मैं भी उमंदगत हूँ, उसे पूजनीय बना कर मैं
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मैं दपतृसत्ातमक संसकृदत में जनमा इसदलए मैं इसका सममान भी िेिता बन गया हूँ।
करता आया। जो अयोगय हो उसकी िाहिाही कर आप अपना
रहसय-रोमांच
िुक्र पर भी हो सकती थी शजंदगी
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कहीं बहाढ़ आ रही ह, तो सू य्च का िूसरा सबसे करीबी ग्ह शुक्र रात के आसमान में िाँि के बाि िूसरी सबसे िमकिार और
कहीं सूखहा पड़ रहहा है। ऐसी खूबसूरत िीज है। इसकी खूबसूरती के कारण ही इसे रोम की सौंिय्च और प्रेम की िेिी ‘िीनस’ का
हवपरहाओं क पीछ कोई नाम दिया गया। शुक्र को अकसर पृ्थिी का जुड़िाँ भी कहा जाता है कयोंदक इन िोनों का आकार,
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प्हाक ृ हतक कहारण नहीं ह। यह द्रवयमान और घनति लगभग एक जैसा है। िोनों एक सी गोलाकार कक्ाओं में सूय्च का िककर लगा
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सब इंसहानी करतूतों की वजह रहे हैं। िैज्ादनकों के मुतादबक िोनों का जनम एक ही नीहाररका (ने्युला) के संघदनत होन से हुआ
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स हो रहहा है। है। िूंदक पृ्थिी और शुक्र की जड़ एक हैं, इसदलए बीसिीं सिी के शुरुआती िशकों में िैज्ादनकों
को ऐसा लगता िा दक जरूर पृ्थिी की तरह जीिन योगय पररदसिदतयाँ भी शुक्र पर मौजूि होंगी।
मगर 1960 और 70 सत्र के िशकों में इस ग्ह की जांि-पड़ताल के दलए शुरू हुए अंतररक्
अदभयानों के जररए िैज्ादनकों ने जब इसका नजिीक से जायजा दलया तो पता िला दक भले ही
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पृ्थिी और शुक्र की जड़ एक रहीं हों, पर मौजूिा रूप में ये िोनों एकिम अलग-अलग हैं। यूं कहें
दक िोनों ग्हों में समानताएँ कम दिषमताएँ जयािा दिखाई िेती हैं। बाि में पता िला दक शुक्र पर
जीिन पनपन की संभािना बहि कम है। इसका िायुमंडल काबन डाइऑकसाइड से दघरा है। यहा ँ
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सलफयूररक एदसड की बाररश होती है और इसकी सतह का तापमान बहुत ही जयािा तकरीबन
480 दडग्ी सेदलसयस है। इसकी सतह का िबाि पृ्थिी से 90 गुना जयािा है। हमारी पृ्थिी नम
और जीिन से भरपूर है जबदक शुक्र सूखा और लैंदडंग की दृदष्ट से िुग्चम है!
बहरहाल, जब 1978 में अमेररकी अंतररक् एजेंसी नासा का ‘पायदनयर िीनस दमशन’ शुक्र
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की पड़ताल करने पहुँिा तो शुरू में उसन शुक्र की सतह पर महासागर मौजूि होन की संभािना भी
जताई। िैज्ादनकों ने इसकी पुदष्ट के दलए कई और अंतररक् अदभयान शुक्र के अनिेषण हेतु भेज े
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और इनक जररए ग्ह की सतह और िातािरण से जुड़ डटा को एकदत्रत दकया। इसके दिश्ेषण से
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शुक्र ग्ह के बार में यह िारणा बनी दक हो सकता है शुरू में यहा जीिन पनपन योगय पररदसिदतयाँ
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रही हों, मगर बाि में यह एक गम्च और नारकीय जगह में त्िील हो गया।
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हाल ही में दसिटिरलैंड के शहर दजनेिा में खगोलदििों की एक अंतरा्चष्ट्रीय गोष्ी में नासा
मकान नंबर-390, िली नंबर 17-ए, हरफ ् ल के माइकल िे और गोडाड इंसटीट्यूट फॉर सपेस सटडीि के एंिनी डल जेदनयो ने शुक्र पर अतीत
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ववहार (जय ववहार), बापरौला, नई वदलली- में जीिन योगय पररदसिदतयों की मौजूिगी को लेकर अपना शोि पत्र प्रसतुत दकया। इससे पता
110043 (मो) 85018-17743
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िलता है दक आज से तकरीबन िो से तीन अरब साल पहल शुक्र ग्ह पृ्थिी की तरह जल संपिा
अप्रैल 2020 / विशिवा 13