Page 13 - Vishwa April 2020 Issue.html
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              जब यह पता िला दक िबा हुआ आिमी शायर है, तो सेक्रे टेररएट   “मुसीबत यह है” सरकारी अकािमी का सदिि हाि मलत हुए
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          की सब-कमेटी ने फसला दकया दक िूंदक िबा हुआ आिमी एक  बोला, “हमारा दिभाग दसफ संसकृदत से ताललुक रखता है। आपके
          शायर है दलहाजा इस फाइल का ताललुक न तो कृदष दिभाग से है  दलए हमने िन दिभाग को दलख दिया है। अजजेंट दलखा है।”
          और न ही हादट्चकलिर दिभाग से बदलक दसफ्च संसकृदत दिभाग से है।   शाम को माली ने आकर िब हुए आिमी को बताया दक कल
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          अब संसकृदत दिभाग से गुजाररश की गई दक िह जलि से जलि इस  िन दिभाग के  आिमी आकर इस पेड़ को काट िेंग और तुमहारी जान
          मामल में फसला कर और इस बिनसीब शायर को इस पेड़ के  नीिे  बि जाएगी।
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          से ररहाई दिलिाई जाए।                                 माली बहुत खुश िा। हालांदक िब हुए आिमी की सेहत जिाब
              फाइल संसकृदत दिभाग के  अलग अलग सेकशन से होती हुई  िे रही िी। मगर िह दकसी न दकसी तरह अपनी दजंिगी के  दलए लड़  े
          सादहतय अकािमी के  सदिि के  पास पहुँिी। बिारा सदिि उसी िकत  जा रहा िा। कल तक… सुबह तक… दकसी न दकसी तरह उसे
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          अपनी गाड़ी में सिार होकर सेक्रे टेररएट पहुँिा और िब हुए आिमी  दजंिा रहना है।
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          से इंटरवयू लने लगा।                                  िूसर दिन जब िन दिभाग के  आिमी आरी, क ु लहाड़ी लेकर
                                                                  े
              “तुम शायर हो उसन पूछा।”                       पहुँिे तो उनहें पेड़ काटन से रोक दिया गया। मालूम हुआ दक दििेश
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                                                                             े
              “जी हाँ” िब हुए आिमी ने जिाब दिया।            मंत्रालय से हुकम आया है दक इस पेड़ को न काटा जाए। िजह यह िी
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              “कया तखललुस रखते हो”                          दक इस पेड़ को िस साल पहल दपटोदनया के  प्रिानमंत्री ने सेक्रे टेररएट
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              “अिस”                                         के  लॉन में लगाया िा। अब यह पेड़ अगर काटा गया तो इस बात
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              “अिस”! सदिि जोर से िीखा। कया तुम िही हो दजसका  का पूरा अंिेशा िा दक दपटोदनया सरकार से हमार संबंि हमेशा के
          मजमुआ-ए-कलाम-ए-अकस के  फ ू ल हाल ही में प्रकादशत हुआ है।  दलए दबगड़ जाएँगे।
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              िब हुए शायर ने इस बात पर दसर दहलाया।             “मगर एक आिमी की जान का सिाल है” एक कलक गुससे से
              “कया तुम हमारी अकािमी के  मेंबर हो?” सदिि ने पूछा।   दिललाया।
              “नहीं”                                           “िूसरी तरफ िो हुक ू मतों के  ताललुकात का सिाल है” िूसर  े
              “हैरत है!” सदिि जोर से िीखा। इतना बड़ा शायर! अिस के   कलक ने पहल कलक को समझाया। और यह भी तो समझ लो दक
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          फ ू ल का लखक!! और हमारी अकािमी का मेंबर नहीं है! उफ उफ  दपटोदनया सरकार हमारी सरकार को दकतनी मिि िेती है। कया हम
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          कै सी गलती हो गई हमसे! दकतना बड़ा शायर और कै स गुमनामी के   इनकी िोसती की खादतर एक आिमी की दजंिगी को भी क ु रबान नहीं
          अंिेर में िबा पड़ा है!                            कर सकत।
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              “गुमनामी के  अंिेर में नहीं बदलक एक पेड़ के  नीिे िबा हुआ…   “शायर को मर जाना िादहए?”
          भगिान के  दलए मुझे इस पेड़ के  नीिे से दनकादलए।”     “दबलक ु ल”
              “अभी बंिोबसत करता हूँ।” सदिि फौरन बोला और फौरन   अंडर सेक्रे टरी ने सुपररंटेंडट को बताया। आज सुबह प्रिानमंत्री
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          जाकर उसन अपने दिभाग में ररपोट्च पेश की।           िौर से िापस आ गए हैं। आज िार बजे दििेश मंत्रालय इस पेड़
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              िूसर दिन सदिि भागा भागा शायर के  पास आया और बोला  की फाइल उनके  सामने पेश करेगा। िो जो फैसला िेंग िही सबको
          “मुबारक हो, दमठाई दखलाओ, हमारी सरकारी अकािमी ने तुमहें  मंजूर होगा।
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          अपनी सादहतय सदमदत का सिसय िुन दलया है। ये लो आडर की   शाम िार बजे खुि सुपररनटडट शायर की फाइल लेकर उसक पास
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          कॉपी।”                                            आया।” सुनते हो?” आते ही खुशी से फाइल लहरात हुए दिललाया
              “मगर मुझे इस पेड़ के  नीिे से तो दनकालो।” िब हुए आिमी  “प्रिानमंत्री ने पेड़ को काटने का हुकम िे दिया है। और इस मामले की
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          ने कराह कर कहा। उसकी सांस बड़ी मुदशकल से िल रही िी और  सारी अंतरा्चष्ट्रीय दजममेिारी अपने दसर पर ले ली है। कल यह पेड़ काट
          उसकी आंखों से मालूम होता िा दक िह बहुत कष्ट में है।   दिया जाएगा और तुम इस मुसीबत से छुटकारा पा लोगे।”
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              “यह हम नहीं कर सकत” सदिि ने कहा।” जो हम कर सकत  े  “सुनते हो आज तुमहारी फाइल मुकममल हो गई।” सुपररनटडट
                                                                                                          ें
          ि िह हमन कर दिया है। बदलक हम तो यहा तक कर सकत हैं दक  ने शायर के  बाजू को दहलाकर कहा। मगर शायर का हाि सि्च िा।
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          अगर तुम मर जाओ तो तुमहारी बीिी को पेंशन दिला सकत हैं। अगर  आंखों की पुतदलयाँ बेजान िीं और िींदटयों की एक लंबी कतार
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          तुम आिेिन िो तो हम यह भी कर सकत हैं।”             उसक मुँह में जा रही िी।
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              “मैं अभी दजंिा हूँ।” शायर रुक रुक कर बोला।” मुझे दजंिा   उसकी दजंिगी की फाइल मुकममल हो िुकी िी।
          रखो।”
                                                                                      अप्रैल 2020 / विशिवा   11
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