Page 45 - Vishwa January 2024
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िनम शतपाबदी जवशेष
आग, रपाग और सपामपाजिक सरपोकपारों के कजव : शैलेनद्र
डॉ. इंद्र्जीत ससंि
देिरादून ईमेल–indrajeetrita@gmail.com मोबाईल 91-9536445544
जिस प्रकार प्रेमचदं कहानी जलखते-जलखते कहानी का पयाशिय बन उनहें िनता का मकबलू और महबबू गीतकार बना जदया। आज़ादी
गएउसीतरहकजवताकरतेऔरजफलमोंमेंगीतरचते-रचते्लैेनद्र केबादएककजवसममलेनमेंरािकपरूने्लैेनद्रको“िलताहै
गीतोंकेप्रेमचदंबनगए।जिसतरह्लेीऔरपनतकोप्रकृजतकापिंाब”कजवतापढ़तेहुएसनुा।्लैेनद्रकीकजवतासेरािसाहब
कजवकहािाताह,ैतलुसीकोआस्थाऔरभजकतकाकजवमाना बहुतप्रभाजवतहुएऔरअपनीजफलम“आग”मेंगीतजलखनेका
िाताह,ैइजलयटऔरमजुकतबोधकोजवचारोंकेकजवकेरूपमेंिाना आम‍तंणजदया।्लैेनद्रनेउसऑफरको‍ठुकराजदया।अप्रैल1948
िाता है उसी तरह ्लै ेनद्र को आग, राग और सामाजिक सरोकारों में ्लै ेनद्र का जववाह ्कतला के साथ हो गया। 1949 में पतनी का ंु
काकजवऔरगीतकारकहेतोअनजुचतनहोगा।आलोचनाके पैरभारीहुआतोतोएकसौपचासरुपयेवेतनपानेवाले्लैेनद्र ज्खरपरुुषनामवरजसहंकेअनसुार“्लैेनद्रकीकजवताएँसामाजिककोरुपयोंकीिरूरतमहससूहुई।औरवहरािकपरूकेपासपहुचँे
  सरोकारों से िडु ी हुई ह।ैं वे सही और सचचे अथमों मेंिनकजवथे।रािकपरूने्लैेनद्रकोभारतका पजुश्कन कहा ह।ै ” गीत सिृ न की कला में माजहर होनेकेकारणहीिनकजवनागािशिनुनेउनहें“गीतों का िादगू र” कहा ह।ै सरल और सहि ्बदों में गहरी बात जलखने के कारण ही फणीश्वर नाथ रेणु उनहें “कजवराि” कहते थे।
30 अगस्त 1923, रावलजपिं ी (पाजकस्तान
का एक जिला) में िनमें ्लै ेनद्र का वास्तजवक नाम
्कंरदासरावथा।जपतासरकारीसेवासेररटायर
होकरकृष्णकीनगरीमथरुाआगए।कजवतासे
लगावबचपनसेहीथा।अतंरजवद्यालयअतंयाक्षरी
प्रजतयोजगता में जवद्यालय की टीम का वह नेततृ व करते और अकसर
उनकी टीम जवियी होती। अतं याक्षरी प्रजतयोजगता के कारण ही उनहें कबीरकेदोह,ेसरूकेपदऔरतलुसीकीचौपाइयाँकं‍ठस्थथी।के“आवाराहू”ँगीतकाजिकजकयाह।ैइसीगीतनेरािकपरूको 1939में“्चीपजत”नामसेपहलीबारउनहोंनेकजवताजलखी। एकअतंरराष्ट्रीयअजभनेताऔर्लैेनद्रको्लोबलगीतकारकेरूप धीरे-धीरे कजवता और गीत सिृ न में उनका नाम होने लगा। 1942 में
अपनी12वींकीपढ़ाईअधरूीछोडकररेलवेमेंपाँचवषशीयअप्रेंजटस
कोसशिजवाइनकरजलया।1946में्कंर्लैेनद्रनामसेकजवताएँ
जलखनेलगेिो“हसं ”,“नयासाजहतय”और“नयापथ”मेंप्रकाज्त होनेलगी।कजवसममलेनोंमेंउनकीमांगहोनेलगी।प्रजसद्धकजव्लैेनद्रनेजफलमोंमेंअनेकप्रेमऔररागकेगीतजलख।े“बंजदनी” ज‍तलोचनकेअनसुार“्लैेनद्रकोमनैंेपहलीबार1946मेंउजिैन जफलममें“िोगीिबसेतूआयामरेेद्ारेमरेेरंगगएसांझ-सकारे”, केएककजवसममलेनमेंसनुा।मरेेसाथनागािशिनुभीथे।्लैेनद्रजफलमश्ीचारसौबीसमें“पयारहुआइकरारहुआह,ैपयारसेजफर केकजवतासनुानेकेजनरालेअदंाज़कोदखेकरनागािशिनुनेमझुसेकयोंिरताहैजदल”तथा“रमयैावस्तावैया,रमयैावस्तावैयामनैंेजदल कहा–ज‍तलोचनिीमरेीबातजलखकररखलो,आनेवालेसमय तझुकोजदया”आजदस्तरीय,अथशिपणू,शिमधरुऔरलोकजप्रयगीतोंने मेंद्े केप्रजसद्धकजवयोंमें्लैेनद्रकीजगनतीहोगी।”नागािशिनु ्लैेनद्रकोद्े-दजुनयाकाप्रजसद्धगीतकारबनाया।”पजतता“जफलम कीबातसचसाजबतहुई।औरवहद्े केसप्रुजसद्धगीतकारबने। केगीत”जकसीनेअपनाबनाकेमझुकोमस्ुकुरानाजसखाजदया,अधंरेे ्लैेनद्रकेस्तरीय,सामाजिकसरोकारोंसेलबरेिलोकजप्रयगीतोंनेघरमेंजकसीनेहसंकेजचरागिैसेिलाजदया”।प्रेमकीअनभुजूत
पंमडत नेहरू के साथ गीतकार रैलेनद्र
के गीतों ने ्लै ेनद्र को स्टार गीतकार बना जदया।
“आवाराहूँआवाराहूँगजद्शि मेंहू,ँआसमानका
ताराहू”ँयहगीतनकेवलजहनदस्ुतानकेघर-
घरमेंगँिाबजलकततकालीनसोजवयतसघऔर ूं
औरकहाजक“मझु ेपाँचसौरुपयोंकीिरूरतहै
औरआपमझुसेिोगीतजलखवानाचाहतेह,ैमैं
जलखनेकोतैयारहू।ँ्लैेनद्रने“बरसात”जफलम
मेंदोगीतजलखे“बरसातमेंतमुसेजमलेहम”तथा
“पतली कमर है जतरछी निर ह।ै ” “बरसात” की
कामयाबी ने ्लै ेनद्र के िीवन में य् और धन
की बरसात कर दी। अगली जफलम “आवारा”
 चीनआजदद्ेोंमेंइसगीतनेकामयाबीकेकई कीजतशिमान स्थाजपत जकए। नोबेल परु स्कार से सममाजनत रूसी लेखक अलेकिेंिर सोलज़ेजनस्तीन ने अपने उपनयास “कैं सर वािशि” में ्लै ेनद्र
में स्थाजपत जकया ह।ै ्लैेनद्रकेगीतोंमेंएकतरफप्रेमकारागसनुाईपडताह,ैवहीं
दसूरीओरसघंष,शिकांजतऔरइनकलाबकीआगजदखाईपडतीह।ै ्बदों के गागर में भावों के सागर भरने वाले अप्रजतम ्बद ज्लपी
 जनवरी 2024 / ववशववा
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