Page 43 - Vishwa January 2024
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बनूँद में सपागर
मपायपा
शसशकानत ्जोशी
शसशकानत ्जोशी तीन दशकों से आई.टी. में संलग्न िैं और सं्ककृत में सवसशषट रुसच िै। आई.आई.टी. खडगपुर व समनेसोटा सवशवसवद्ालयसेकप्ं यूटरसवज्ानमेंउच्चसशक्ा प्राप्तकरकेभीभारतीयस्ंककृसतवस्ंककृत के सवसितासवसित गूढाथगापररपूणगा वांगमय से प्रभासवत रिे। इस ज्ान की सामसयक उपयोसगता उ्जागर करने की दृसषट से अंग्रे्जी में एक बिु-
को‘वास्तजवक’बनादतेाह,ैअजवश्वसनीयजकयाएंभीकरदतेाह,ै उसे ‘मायावी’ भी कहा िाता ह।ै
(मस्थर रेखाएँ चमलत सी लगती हरैं– भ्रि, illusion)
माया का जवषय बहुत वयापक ह,ै और महान लोगों ने इस पर बहुत चचाशि की ह।ै माया जमरया नहीं ह,ै यह ‘अस्थायी वास्तजवकता’ ह,ैक्षणभगंरुह।ैबे्क,चजंूकहमारीइजंद्रयांजवषयकोअनभुवकर रही ह,ैं इसजलए ऐसा नहीं जक वह ‘नहीं ह’ै । लेजकन यह क्षजणक ह,ै स्थायीनहीं।जिसकाआरंभऔरअतं हो,वहस्थायीनहींहोसकता।
   चसचतगा पु्तक सलखी – Attitude Shift: Sanskrit Maxims for
ContemporaryLifeandLeadership.प्र्ततु लेखइनकेवेसबनार
‘बँूद में सागर’ से प्रेररत िै। फेसबुक पर सं्ककृत का सबसे बड़ा वयसकतगत
पे्ज भी इनका िै – Facebook.com/PracticalSanskrit व बलॉग
भीदेखेंhttp://PracticalSanskrit.com ‘िय’असरुोंकावास्तकुारथा।आजकशिटेकटमापतेहैंऔर
ि्य्एकबहु-प्रचजलत,गढू,आधयाजतमक्बदह,ैपरनतुइसका मलू बहुत सरल ह–ै िरी धातु = मापना। यद्यजप आपटे के ्बदको् में पहला अथशि ‘छल’ ह,ै लेजकन वह ‘भ्म’ से जनकला ह।ै आइए इसे पाससेदखेतेह।ैं
इस जकयामलू धातु से अनय कई ्बद हैं – ि्प; हित = सीजमत मा‍ताम;ेंि्त््;प्रि्र;प्रहत-ि्=जकसीचीज़कीएकप्रजत/मजूतशि िो जबलकु ल मलू िैसी जदखती ह,ै िो माप में समान हो।
उप-ि्=उपमा,िहाँएकवस्तुकीतलुनादसूरीकेसाथ ‘समान’ ्बद का प्रयोग करके की िाती हो। अनय दो अलंकार हैं रूपक=रूपक,िहाँदोनोंकेबीचकोईअतंरनहींह,ैऔरउतप्रेक्षा =िहाँएककीछजवदसूरेपरफेंकीिातीह,ैवहाँएकसभंावना, एकसदंहे,एकसमानताह,ैलेजकनजनजचितनहींह।ै
िबहमकहतेहैंजकईश्वरअसीजमत,जनगणु,जनजवशि्षे,सवनोचच और एकमा‍त वास्तजवकता ह,ै तो िो कु छ भी मापा िा सकता है वह सीजमत ह,ै इसजलए असतय होना चाजहए। हम िो दखे ते हैं वह हमारी इजंद्रयगतअनभुजूतह।ैएकअधंावयजतिदखेनहींसकता,इसजलए उसकीअनभु जूतकेवलअनयइजंद्रयोंपरआधाररतहोतीह।ै
प्रहत-ि्=एकप्रजत,जकसीचीज़कीएकमजूतशििोजबलकुल मलू िैसी जदखती ह।ै िब ्कु ल यिवु देद 32:3 कहता है “न तसय प्रहति् अहसत” तो इसका मतलब है जक ऐसा कु छ भी नहीं है िो इसके बराबरहो।‘जबलकुलवैसा’कुछनहींह।ै लेजकन,सपं णू शिसजृष्ट- रचना उसीकी अपनी है और वह सजृ ष्ट में प्रवे् करके उसे सिीव बनाताहैऔरसजृष्टकोमहससू करके हीहमेंउसकाकुछआजं्क एहसास होता है जक वह कया ह।ै
इजनद्रयों के दायरे में िो कु छ भी आता है वह माया ह।ै
इसीजलए जिस ‘वास्तजवकता’ को हम समझते हैं उसे माया कहा िाता ह,ै वास्तजवक नहीं, ्ाश्वत नहीं। के वल ब्रह्म ही ्ाश्वत ह।ै यहअपनीमायाकी्जकतसेकजथतससंारकाजनमाशिणकरताह।ै
इसकारणसे,िोकोईिादगूरकीतरह‘अवास्तजवक’चीिों
जनमाशिण करते ह।ैं
ि्य्िरी = म‍तं , िाद,ू टोना आजद करने वाला हमदवेीमहातमययादगुाशिसप्त्तीमेंपातेहैंजकजवष्णिुी,
महामायायाजवष्णमुायाकेप्रभावमेंसोरहेथ।ेजवष्णिुीकोकौन सलुासकताह?ैिोजवष्णिुीसारािगत-प्रपचंचलारहेह,ैंउनहेंकौन सलुासकताह?ैउनकीमाया!
सोते हुए जवष्णिु ी की नाजभ से जनकले कमल पर बै‍ठकर ब्रह्मा अगली रचना के जलए तैयार थे। िब मधु और कैटभ, दो दतै य प्रकट होते हैं और स्वयं सजृ टिकताशि ब्रह्मा को मारने के जलए उनके पास आते ह,ैंतोवहजवष्णमुायासेजवष्णिुीपरनींदकािादूहटानेऔरउनहें िागनेऔरआगामीसजृटिकीरक्षाकरनेकीप्राथशिनाकरतेह।ैं िब जवष्णिु ी िागते ह,ैं तो मधु और कैटभ को मार दते े ह।ैं
इसजलए,बादमेंदवेीकीइसप्रकारप्र्संाकीगई:
या िेवी सवमिभूतेषु मवष्‍णुिायेमत रम्िता।
निस्तस्यै निस्तस्यै निस्तस्यै निो निः॥
माया को समझाने के जलए सबसे सनु दर कहानी इस प्रकार ह–ै एकबारऋजषनारदनेजवष्णिुीसेपछूाजकउनकीमायाकयाह?ै जवष्णिु ी ने उनहें अपने साथ टहलने के जलए कहा। वे एक गाँव
केबाहरहीथेिबनारदनेउनसेयहपछूा।जवष्णिुीनेकहाजक वह पयासे हैं और नारद गाँव से पीने का पानी ले आयें, उसके बाद िवाबदगेंे।
नारदगाँवमेंिातेहैंऔरपहलेघरपरदस्तकदते ेहैंऔरपानी माँगतेह।ैंएकखबूसरूतकुमारीदरवािाखोलतीह,ैऔरनारदको तरुंतकामदवे नेधरदबोचा।वेपानीकेबारेमेंभलू िातेहैंऔर पछूतेहैंजककयावहउनसे्ादीकरेगी?उसकेजपताभीकेवलएक ्तशि पर सहमत होते हैं जक नारद उनकी बेटी को ्ादी के बाद, ले िानेकेबिाय,उनकेसाथरहगेंे।नारदसहमतहोिातेहैंऔरउनके साथ रहते ह।ैं समय के साथ, उनके बचचे हुए। एक लडका और एक लडकी। वषमों बीत िाते हैं और िीवन मधरु ता से पणू शि वयतीत
 जनवरी 2024 / ववशववा
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