Page 42 - Vishwa January 2024
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की छोटी से छोटी ज़रूरत को समझने की आकांक्षा वयकत करती हैं सोयराबाई।
दखेािाएतोसोयराबाईकीकजवताओंमेंिाजतआधाररत उतपीडनकोसीधेसीधेकहींचनुौतीनहींदीगईह,ैलेजकनइसका यहमतलबनहींहैजकवेअनयायकोस्वीकारकरतीह।ैं वेजव‍ठोबा कोउलाहनादतेीहैंजकउनकेमजंदरमेंप्रवे्परकयोंपाबंदीह।ै कयों के वल ब्राह्मण की भगवान तक पहुचँ ह,ै इस सवाल से वे परहज़ेनहींकरतीह।ैंवेस्पष्टरूपसेऊँच-नीचकेभदेभावको जमटानेकोकहतीह।ैंपढंरपरुकेब्राह्मणिबचोखाकोसतातेहैं तो वे सीधे कहती ह–ैं पंढररीचे ब््मिरे चोखय्सरी छळरीले। यह परूापदइसप्रकारह–ै
पढंरीचेब्ामहणेचोखयासीछळीले।तयालारींकेलेनवलदवेें॥१॥ सकळसमिदुावचोप्खयाचेघरी।ररधदीप्सप्धदद्ारीप्तष‍ठताती॥२॥ रंरमिाळासडेरढुीयातोरण।ेआनंदप्कतगानवैषणववांचे॥३॥ असखंयब्ामहणबैसलयापरंती।प्वमिानीपाहतीसरुवर॥४॥ तो सखु सोहळा प्दवाळी दसरा। वोवाळी सोयरा चोखीयासी ॥ ५॥
अथाशित्पढंरपरुकेब्राह्मणोंनेचोखाकोधोखाजदया,जव‍ठोबा इससे चौंकते ह,ैं लेजकन उनहोंने अपने भकत का साथ नहीं छोडा। परूासमदुायचोखाकेघरआपहुचँा।घरसिा-धिाथा,ररजद्ध जसजद्ध द्ार पर खडी थीं। मालाएँ टँगी थीं, तोरण लगा था, जवष्णु की स्तजुतगाईिारहीथी।असखं यब्राह्मणपजंकतमेंबै‍ठकरखारहेथे। दवेतागणइसदृश्यकोजनहाररहेथे।मानोजदवालीऔरद्हरा इकट्ठे हो। और सोयरा ने चोखा की आरती उतारी।
रोज़मराशि की जदनचयाशि के बीच सोयराबाई के जलए भजकत ही सबकुछह,ैभदेभावकीचोटसेमजुकतकारास्ता,कमकशिांिका िवाबऔरद्नशि काजवकलप।
सोयराबाई की कोई तस्वीर तो है नहीं, लेजकन उनकी िो छजवयाँ कलपना से गढ़ी गई हैं उनसे िाजत, िेंिर और ज्ञान के उलझेतारोंकापताचलताह।ै
आ्ने जलखपा है–
1.
जवश्वाकेअकटूबर23,अकं मेंश्ीधमशिपालमहद्रें िैनकाआलेख...अपने ही लोगों से जवद्े में प्रताजडत दजलत... अतयतं जवचारोत्तिे क, साथशिक और समीचीनलेखह।ैनस्लीभदेभावसेभीअजधककष्टकारीिातीयभदेभाव ह।ैनस्लीभदेभावपरूेजवश्वमेंहैऔरउसेसमाप्तकरनेकेजलएवैजश्वक स्तर पर अनेक संस्थाएँ सगं ‍ठन और सरकारें सराहनीय काम कर रही ह।ैं यहीकारणहैजकआिअमरेरकायरूोपऔरएज्याईद्ेोंमेंनकसलीय प्रभाव कम हुआ ह।ै वहां की सरकार और प्र्ासन में नस्ल के आधार पर भदेभावनहींहैऔरसभीकोप्र्ासनऔरसरकारमेंजहस्सदेारीदनेेका प्रयासजकयािारहाहैजकंतुदभुाशि्यहैजकिोिातीयभदेभावभारतवषशि में हिारों वषमों से जहदं ू समाि के जलए नासरू बना हुआ है उसका प्रभाव न के वल भारत पर अजपतु जवश्व के अनय द्े में रहने वाले भारतीयों तक भीपहुचँगयाह।ैऐसानहींहैजकभारतमेंिातीयउनमलूनकेप्रयासनहीं हुए।भारतीयसजंवधानकेजनमाशिणसेलेकरआितकसभीसरकारोंने वंजचतसमदुायकोप्रजतजनजधतवदनेेकीजद्ामेंबडेकदमउ‍ठाएहैंजकंतु वयवहार में अभी भी छु टपटु ही सही,द्े के जहस्सों में िातीय उतपीडन की िघनयघटनाएँहोहीिातीह।ैं िातीयभदेभावऔरधाजमकशि असजहष्णतुा को समापत करने के प्रयासो को ऐसी घटनाओ ं से बहुत धकका लगा है और यहीकारणहैजकयरूोपअमरेरकाऔरएज्याकेअनयद्ेोंमेंिातीय आधार पर िो भारतीयों के साथ भारतीयों के ही द्ारा कम मा‍ता में ही सही िो वयवहार जकया िा रहा ह,ै उसके जवरोध में अब आवािें उ‍ठने लगी ह।ै
स्वयंमेंश्ेष्‍ठऔरआतमम्ुधरहनेवालाकोईभीसमािजचरस्थाई नहीं हो सकता। वसधु वै कुटुंबकम का जसद्धांत भारत का मलू स्रोत ह,ै िो हमारी राष्ट्रीय एकता को न के वल भारत में अजपतु जवद्े ों में भी प्रजतस्थाजपत करता ह।ै इसजलए हमें भारत में ही नहीं जवद्े ों में भी इस अमानवीयऔरसमताजवरोधीमानजसकताकायथासभंवजवरोधकरना चाजहए,िोहरभारतीयकाकतशिवयभीहैऔरराष्ट्रीयतथाअतंराशिष्ट्रीय एकता के जलए भी आवश्यक ह।ै िब तक भारत और जवश्व में िातीय भदेभावकीएकभीघटनाहोगी,तबतकभारतकीवसधुवैकुटुंबकम्और जवश्वकेसबसेबडेलोकतांज‍तकद्े कीछजवनहींबनपाएगी।मरेीओर सेजवश्वाकेसमपणूशिसपंादकमिंलकोसाधवुादऔरलेखकश्ीधमपशिाल महद्रें िैनकोजव्षे धनयवादजकउनहोंनेमानवीयदृजष्टकोणअपनातेहुए मानवधमशिकोअनयसभीधाजमकशिसांप्रदाजयकसकंीणतशिाओंसेऊपररखा।
  2.
मैंजवश्वाकािलुाईअकंहीपढ़करसमापतकरपायाहू।ँवैसेतोसभी लेखकऔररचनाकारप्र्संनीयहैंलेजकनमैंजव्षेकरअपनीकृतज्ञता और धनयवाद “साजहतय का सदं ्े ” आलेख के लेखक वेद वयास िी को अजपशितकरनाचाहताहू।ँ उनकालेखऐसेतोगद्यजनबंधहैलेजकनइसमें पद्य-कजवताकीमी‍ठीएहसासऔरअनरुागकीअनभुजूतहोतीह।ैइसमें कजवता का बहाव और जनरंतरता भी ह।ै
जवनम्र आग्रह है जक भजवष्य के अकं ों में ऐसी ही और रचनाएँ
प्रकाज्त करें।
डॉ. र्िगोप्ल भ्रतरीय
आिीवनसदस्य,अतंरराष्ट्रीयजहदंीसजमजत मरे ‍ठ उत्तर प्रद्े , भारत मो. 8126481515
 ्ढ़ते-्ढ़पाते
1.गाजलयांघणृाऔरजहसंाकी्ाजबदकअजभवयजतिहैं।
2. जिस वयवस्था में असमानता और अतयाचार का जवरोध न हो
वह कु छ भी हो, धमशि नहीं हो सकती ।
3. अगर सनातन का अथशि सनातन मानवीय मलू यों से है तो सभी
धमशि सनातन ही हैं ।
डॉ. प्रक्श च्ँद
ओहायो
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विशिवा / जनिरी 2024









































































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