Page 39 - Vishwa January 2024
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काजहनदीसाजहतयसममलेनसेद्कोंपरुानासबंंधटूटगया।
गाँधी िी द्ारा प्रस्ताजवत यह जहनदस्ु तानी कोई नई वस्तु नहीं थी। जहनदीकापहलावयाकरणहालैंिजनवासीिॉनिो्आु केटलरद्ारा िच भाषा में 1698 ई. में जलखा गया जिसका ्ीषकशि ह,ै ‘जहनदस्ु तानी
आजदनेजहनदीका।बहुमतजहनदीकेपक्षमेंथाऔरसजंवधानसभा ने जहनदी को सघं की रािभाषा तय कर जदया।
आिआिादीकाअमतृ महोतसवमनातेहुएिबहमसजंवधान सभा के उकत जनणयशि के प्रभाव का मलू यांकन करते हैं तो हमें लगता ग्रामर’।बेंिाजमन्लुिेद्ारालैजटनमेंजलखागयाऔर1745ई.में हैजकजहनदीकोइसकेजलएबडीकीमतचकुानीपडीह।ैदजक्षणके प्रकाज्तग्रथंकानामह,ै‘ग्रामजेटकाजहनदोस्ताजनका’।िॉनफागशिसुनजहनदीजवरोधकामखुयकारणयहीह।ैिोलोगपहलेगाँधीिीके
की पस्ु तक है ‘ए जिक्नरी आफ द जहनदस्ु तानी लै्ँवेि,’ िो 1773 ई. में प्रकाज्त है और 1790 ई. में प्रकाज्त िॉन जगलजकस्ट के वयाकरणग्रथं कानामह,ै‘एग्रामरआफदजहनदस्ुतानीलैं्वेि’।गासािं दतासीद्ाराजलजखततथाकजथतजहनदीसाजहतयकापहलाइजतहास भीवास्तवमेंजहनदईुऔरजहनदस्ुतानीसाजहतयकाइजतहासह।ै
जहनदस्ुतानी्लैीही“दग्रेंिपापलुरस्पीचऑफजहनदस्ुतान”थी। आगेचलकरइसीजहनदस्ुतानीकीलडाईरािाज्वप्रसादजसतारेजहनद नेभीलडी,जिसेवे“आमफहमऔरखासपसदं”भाषाकहतेथे।
पता नहीं, गाँधी िी को जहनदस्ु तानी के इस इजतहास की िानकारी
थीयानहीं,जकनतुअपनेअनभुवोंसेवेभली-भाँजतसमझचकुेथेजक वसीहमदैानपैदाकरद।ेंजहनदस्ुतानीकालफिइखतयारकरकेहमने इसद्ेकीएकताकोकायमरखनेमेंजहनदस्ुतानीबडीभजूमकाअदाजहनदीऔरउदशिूकेइखतेलाफकोभीदरूकरजदयाथा।कयोंजकिब करसकतीहैऔरइसीमेंजनजववशिादरूपसेइसद्ेकीराष्ट्रभाषाबननेआसानउदशिूऔरआसानजहनदीबोलनेऔरजलखनेकीकोज््की कीक्षमताह,ैदभुाशि्यव्िबभारतकेसजंवधानसभामेंराष्ट्रभाषाके िातीहैतोदोनोजमलकरएकिबानहोिातीह।ैंतबउदशिूऔरजहनदी मद्ुेपरबहसहोरहीथीतबतकपररजस्थजतयाँबहुतबदलचकुीथीं।काफकशिबाकीनहींरहता।”मोहममदइस्माईलनेगाँधीिीकोउद्धतृ िैसे- िैसे आिादी करीब आती गई, दो राष्ट्रों के जसद्धांत को बल करते हुए कहा था जक “भारत के करोडो ग्रामीणों को पस्ु तकों से कोई जमलता गया और सामप्रदाजयकता में ऊफान आता गया। जहनदी और मतलब नहीं ह।ै वे जहनदस्ु तानी बोलते हैं जिसे मजु स्लम उदशिू जलजप में जहनदस्ुतानीकेमसलेकोभीनएढंगसेदखेािानेलगा।नेताओंनेजलखतेहैंतथाजहनद,ूउदशिूजलजपयानागरीजलजपमेंजलखतेह।ैंअतएव उदशिूकोभीजवभािनकोबढ़ावादनेेवालीभाषाकेरूपमेंदखेाऔरमरेेऔरआपिैसेलोगोंकाकतशिवयहैजकदोनोजलजपयोंकोसीख।ें” इस तरह जहनदी और उदशिू को जहनदू और मजु स्लम से िोडकर दखे ने वैसे भी जहनदस्ु तानी कहने से जिस तरह वयापक राष्ट्रीयता और वालोकीसखंयाबढ़तीगई।आिादीकेसाथद्ेजवभाजितहोचकुासामाजिकसमरसताकाबोधहोताहैउसतरहजहनदीकहनेसेनहीं। था।गाँधीिीकीहतयाहोचकुीथीऔरपाजकस्तानअपनेद्ेकीइस्बदमेंनतोक्षे‍तीयताकीगधंहैऔरनिाजत-धमशिकीसकंीणतशिा। राष्ट्रभाषाउदशिूघोजषतकरचकुाथा।अतंत:गाँधीिीकेसमनवय यजदजहनदस्ुतानीकोरािभाषाकेरूपमेंस्वीकृजतजमलगईहोतीतो
सन्1800मेंकलकत्तामेंिोफोटशिजवजलयमकॉलेिबनाथा
उसमेंभीजहनदीजवभागनहीं,अजपतुजहनदस्ुतानीजवभागखलुाथा
जिसकेपहलेअधयक्षिॉनजगलजकस्टथे।िॉनजगलजकस्टकेअनसुार
उससमयजहनदस्ुतानीकीतीन्जैलयाँप्रचजलतथीं,पहलीफारसी
यादरबारी्लैी,दसूरीजहनदस्ुतानी्लैीऔरतीसरीजहनदवी्लैी। केरूपमेंकहाथा।“श्ीमान,्भारतकीराष्ट्रभाषाजहनदस्ुतानीके जगलजकस्टदरबारीयाफारसी्लैीकोआजभिातयवगशिमेंप्रचजलतअजतररकत,िोजहनदीतथाउदशिूकायोगह,ैकुछऔरनहींहोनीचाजहए औरदरूुहमानतेथेऔरजहनदवी्लैीको‘वलगर’।उनकीदृजष्टमें औरकुछहोभीनहींसकती।”इसीतरहमौलानाअबलु कलाम
औरधमजशिनरपेक्षतावादीदृजष्टकोणकेपक्षमेंआवािेंमदंपडतीगयीं। िाजहरह,ैइनपररजस्थजतयोंकागभंीरप्रभावसजंवधानसभाकी बहसों और होने वाले जनणयशि ों पर पडा। जहनदस्ु तानी और जहनदी को लेकरसदनदोजहस्सोंमेबँटगया।गाँधीिीकेजनष्‍ठावानअनयुायी िवाहरलाल नेहरू, मौलाना अबलु कलाम आिाद सजहत दजक्षण के िॉ. पी. सबु बारायन, टी.टी. कृ ष्णामाचारी, टी.ए. रामजलंगम चरे ट्यार, एन.िी.रंगा,एन.गोपालस्वामीआयंगर,एस.बी.कृष्णमजूतशिराव, कािीसैयदकरीमद्ुीन,दगुाशिबाईद्ेमखु आजदनेजहनदस्ुतानीका समथशिनजकयातोदसूरीओररािजषशिपरुुषोत्तमदासटरिन,से‍ठगोजबनद दास,रजव्कंर्कुल,अलगरूाय्ास्त्री,समपणूाशिनंद,के.एम.म्ँुी
जहनदी-उदशिूकाझगडासदाकेजलएखतमहोगयाहोता।जनजचितरूप सेजहनदस्ुतानीकीिगहजहनदीकोरािभाषाकेरूपमेंस्वीकारजकया िाना एक बडी ऐजतहाजसक भलू थी।
सजंवधानलागूहोनेकेबादसममलेनकीगजतजवजधयोंमेंजगरावट आनी ्रूु हो गयी। दजक्षण का सहयोग लगभग बंद हो गया। कु छ लोगों ने जवरोध करना ्रूु कर जदया। रािजषशि टरिन का अपना स्वास्रयभीअबपहलेिैसानहींरहगयाथा।पररजस्थजतयाँभाँपकर टरिनिीतथाउनकेसहयोजगयोंनेसममलेनकेजहतमेंतयजकया जकउसेराष्ट्रीयमहतवकीसस्ंथाघोजषतकरकेउसकेसरंक्षणका दाजयतवसरकारकोसौंपजदयािाय।टरिनिीनेस्वयंहीप्रस्ताव
प्रभाव में आकर जहनदी का प्रचार कर रहे थे वे ही बाद में जहनदी के जवरोधी हो गए। जहनदी-उदशिू में भदे बढ़ता गया। आम िनता से दोनो कीदरूीबढ़तीगयी।आिरािभाषाजहनदीकास्वरूपइतनाकृज‍तम होचकुाहैजकजहनदीभाजषयोंकोभीवहदरूुहऔरअपररजचत लगताह।ैउसकीतलुनामेंअग्रंेिीलोगोंकोअजधकसगुमलगती ह।ैसजंवधानसभामेंहोनेवालीबहसोंमेंगाँधीकेअनयुाजययोंने िोसभंावनावयकतकीथी,पररणामउसकेअनरूुपहीआरहेह।ैं
गाँधीिीकीप्रखयातअनयुायीदगुाशिबाईद्ेमखु नेसदनका धयानइसओरआकृष्टकरतेहुएलंबावकतवयजदयाथाऔरजनष्कषशि
आिादनेकहाथा,“आिसेतकरीबनपचचीसवषशिपहलेिबयह सवालआलइजंियाकाँग्रेसकमटेीकेसामनेआयाथातोमरेीही तिबीिसेउसनेजहनदस्ुतानीकानामइखतयारजकयाथा।मकसद्यह था जक ज़बान के बारे में तंगखयाली से काम न लें। जयादा से जयादा
 जनवरी 2024 / ववशववा
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