Page 38 - Vishwa January 2024
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यहदलीलसहीनहींह।ैउत्तरभारतमेंमसुलमानऔरजहनदूएकही भाषाबोलतेह।ैं भदे पढ़ेजलखेलोगोंनेिालाह।ै इसकाअथशियहहै जक जहनदू ज्जक्षत वगशि ने जहनदी को के वल सस्ं कृ तमय बना जदया ह।ै इसकारणजकतनेहीमसुलमानउसेसमझनहींसकतेह।ैलखनऊके मसुलमानभाइयोंनेउसउदशिूमेंफारसीभरदीहैऔरउसेजहनदओुंके समझने के अयो्य बना जदया ह।ै ये दोनो के वल पजं िताऊ भाषाएं हैं औरइनकोिनसाधारणमेंकोईस्थानप्रापतनहींह।ै मैंउत्तरमेंरहा हू,ँजहनदूमसुलमानोंकेसाथखबूजमलािलुाहूँऔरमरेाजहनदीभाषा का ज्ञान बहुत कम होने पर भी मझु े उन लोगों के साथ वयवहार रखने मेंिराभीकज‍ठनाईनहींहुईह।ै जिसभाषाकोउत्तरीभारतमेंआम लोग बोलते ह,ैं उसे चाहे उदशिू कहें चाहे जहनदी, दोनो एक ही भाषा की सचूकह।ैयजदउसेफारसीजलजपमेंजलखेंतोवहउदशिूभाषाकेनाम से पहचानी िाएगी और नागरी में जलखें तो वह जहनदी कहलाएगी।” (समपणू शि गाँधी वां्मय, खरि- 10, पष्ृ ‍ठ 29)
उललेखनीय है जक गाँधी िी के प्रयास से ही 1925 के कानपरु अजधवे्न में काँग्रेस का काम काि जहनदस्ु तानी में करने का प्रस्ताव पास हुआ था। इस प्रस्ताव के पास होने के बाद गाँधी िी ने इसकी ररपोटशि अपने प‍तों ‘यंग इजं िया’ और ‘नविीवन’ दोनो में दी थी। उनहोंने ‘यंग इजं िया’ में जलखा था, “जहनदस्ु तानी के उपयोग के बारे में िो प्रस्ताव पास हुआ ह,ै वह लोकमत को बहुत आगे ले िाने वाला ह।ै हमें अबतक अपना काम काि जयादातर अग्रं ेिी में करना पडता ह,ै यह जनस्सदं हे प्रजतजनजधयों और कांग्रेस की महा सजमजत के जयादातर सदस्यों पर होने वाला एक अतयाचार ही ह।ै इस बारे में जकसी न जकसी जदन हमें आजखरी फै सला करना ही होगा। िब ऐसा होगातबकुछवकतकेजलएथोडीजदककतेंपैदाहोंगी,थोडाअसतंोष भीरहगेा।लेजकनराष्ट्रकेजवकासकेजलएयहअचछाहीहोगाजक जितनी िलदी हो सके , हम अपना काम जहनदस्ु तानी में करने लगें।” (यंग इजं िया 7.1.1926) इसी तरह उनहोंने ‘नविीवन’ में जलखा, “िहां तक हो सके , कांग्रसे में जहनदी-उदशिू ही इस्तेमाल जकया िाय, यह एक महतव का प्रस्ताव माना िाएगा। अगर कांग्रेस के सभी सदस्य इस प्रस्ताव को मानकर चलें, उसपर अमल करें तो कांग्रेस के काम में गरीबों की जदलचस्पी बढ़ िाय।” (नविीवन, 3.1.1928)
इस जवषय को लेकर लमबे समय तक टरिन िी और महातमा गाँधी के बीच प‍त वयवहार होता रहा। टरिन िी को गाँधी िी ने 25.05.1945 को जलखे अपने प‍त में कहा ह,ै “मरे े पास उदशिू में खत आतेह,ैंजहनदीमेंआतेहैंऔरगिुरातीम।ेंसबपछूतेहैंजक,मैंकैसे जहनदीसाजहतयसममलेनमेंरहसकताहूँऔरजहनदस्ुतानीभाषामें भी?वेकहतेह,ैंसममलेनकीदृजष्टमेंजहनदीहीराष्ट्रभाषाहोसकती ह।ै जिसमेंनागरीजलजपकोहीराष्ट्रीयस्थानजदयािाताह।ै िबमैं सममलेनकीभाषाऔरनागरीजलजपकोपरूाराष्ट्रीयस्थाननहींदतेा हूँतबमझुेसममलेनमेंसेहटिानाचाजहए।ऐसीदलीलमझुेयो्य लगतीह।ै इसहालतमेंकयासममलेनसेहटनामरेाफिशिनहींहोता ह?ै ऐसाकरनेसेलोगोंकोदजुवधानरहगेीऔरमझु ेपताचलेगाजक मैं कहाँ हू।ँ ”
िवाब में टरिन िी ने 8.05.1945 को गाँधी िी को जलखा,
“पजू यबापिू ी,आपका25मईकाप‍तमझु ेजमला।आपको स्वयंजहनदीसाजहतयसममलेनकासदस्यरहतेहुएलगभग27वषशि हो गए। इस बीच आपने जहनदी प्रचार का काम राष्ट्रीयता की दृजष्ट से जकया। वह सब काम गलत था, ऐसा तो आप नहीं मानते होंगे। राष्ट्रीय दृजष्ट से जहनदी का प्रचार वांछनीय ह,ै यह तो आप का जसद्धांत हैही।आपकेनएदृजष्टकोणकेअनसुारउद-शिूज्क्षणकाभीप्रचार होना चाजहए। यह पहले काम से जभनन एक नया काम ह,ै जिसका जपछले काम से कोई जवरोध नहीं ह।ै
सममले न जहनदी को राष्ट्रभाषा मानता ह।ै उदशिू को वह जहनदी की एक्लैीमानताह,ैिोजवज्ष्टिनोंमेंप्रचजलतह।ैस्वयंवहजहनदी कीसाधारण्लैीमेंकामकरताह,ैउदशिू्लैीमेंनहीं।आपजहनदी केसाथउदशिूकोभीचलातेह।ैंसममलेनउसकातजनकभीजवरोध नही करता। जकनत,ु राष्ट्रीय कामों में अग्रं ेिी को हटाने में वह उसकी सहायताकास्वागतकरताह।ै भदे केवलइतनाहीहैजकआपदोनो चलानाचाहतेह।ैंसममलेनआरंभसेकेवलजहनदीचलाताआया ह।ैजहनदीसाजहतयसममलेनकेसदस्योंकोजहनदस्ुतानीप्रचारसभा केसदस्यहोनेसेरोकनहींह।ैजहनदीसाजहतयसममलेनकीओरसे जनवाशिजचत प्रजतजनजध जहनदस्ु तानी एकै िमी के सदस्य हैं और जहनदस्ु तानी एकैिमीजहनदीऔरउदशिूदोनो्जैलयाँऔरजलजपयाँचलातीह।ै इस दृजष्टसेमरेाजनवेदनहैजकमझुेइसबातकाकोईअवसरनहींलगता जक आप सममले न छोडें। ....मझु े िो बात उजचत लगी, ऊपर जनवेदन जकया जकनतु यजद आप मरे े दृजष्टकोण से सहमत नहीं हैं और आप की आतमायहीकहतीहैजकसममलेनसेअलगहोिाऊंतोआपके अलगहोनेकीबातपरबहुतखदे होतेहुएभीनतमस्तकहोआप केजनणयशि कोस्वीकारकरूंगा।”
जवनीत,परुुषोत्तमदासटरिन(उद्धतृ,जहनदीराष्ट्रभाषासे रािभाषा तक, जवमले् काजनत वमाशि, पष्ृ ‍ठ-43)
गाँधी िी ने टरिन िी के उकत प‍त का जवस्तार से िवाब अपने 13.06.1945 को जलखे प‍त में जदया। इसके बाद जफर टरिन िी ने लगभग पाँच पष्ृ ‍ठ का प‍त गाँधी िी को जलखा। इस तरह लमबे प‍ताचार के बाद अनतत: सेवाग्राम से 25 िलु ाई 1945 को गाँधी िी को जलखना पडा,“आपकाता.11.7.45काप‍तजमला।मनै ेदोबारपढ़ा।बादमें भाईजक्ोरीलालकोजदया।वेस्वतं‍तजवचारकह,ैं आपिानतेहोंग।े उनहोंनेिोजलखाहैसोभीभिे ताहू।ँ मैंतोइतनाहीकहूगँा,िहाँतक हो सका मैं आप के प्रेम के अधीन रहा हू।ँ अब समय आ गया है जक वहीप्रेममझु ेआपसेजवयोगकराएगा।मैंअपनीबातनहींसमझासका हू।ँ यही प‍त आप सममले न की स्थाई सजमजत के पास रख।ें मरे ा खयाल हैजकसममलेननेमरेीजहनदीकीवयाखयाअपनायीनहींह।ै अबतो मरेेजवचारइसीजद्ामेंआगेबढ़ेह।ैं राष्ट्रभाषाकीमरेीवयाखयामें जहनदीऔरउदशिूजलजपऔरदोनो्जैलयोंकाज्ञानआताह।ै ऐसाहोने सेहीदोनोकासमनवयहोनेकाहैतोहोिाएगा।मझुेिरहैजकमरेी यहबातसममलेनकोचभुगेी।इसजलएमरेास्तीफाकबलूजकयािाय। जहनदस्ु तानी प्रचार सभा का कज‍ठन काम करते हुए मैं जहनदी की सेवा करूँगाऔरउदशिूकीभी।”(उद्धतृ,उपयशिकुत,पष्ृ‍ठ50)
और इस तरह जहनदस्ु तानी और जहनदी के जववाद में महातमा गाँधी
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विशिवा / जनिरी 2024
























































































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