Page 32 - Vishwa January 2024
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का इिहार करते हुए टेलीफोन पर मझु े धनयवाद जदया। बोली, “मैं आपका उपकार कै से भलू सकती हू,ँ मौसी...। मैं ही िानती हूँ जक मैं जकतनी परे्ान थी...।”
मैं मन-ही-मन मस्ु करा रही थी। दरअसल बडे लोगों की तकलीफें भी कुछ जयादा ही बडी होती ह।ैं ऐसा न होता तो उसकी गहृ स्थी में हैं ही जकतने लोग...जसफशि दो िने। खदु वह और उसका पजत...बस। कोई बाल-बचचा नहीं। लेजकन सबु ह...दोपहर...्ाम तीनों वेला कोई नौकरसामनेनदीखपडेतोआखँोंकेसामनेअधँरेा-साछािाता ह।ै हालाँजक वह चाहे तो जिजफिेिर के भले के जलए ही सही एक जदन सौदा-सलु फु करके परू े सपताह भर आराम कर सकती ह।ै एक जदन खाना पकाकर दो-तीन जदनों तक खा सकती ह।ै ...खाना थोडा गरम ही तो करना होगा।
“मैंउसेखानापकानाजसखादगँूी...चाची।”कुछजदनोंकेबाद ्ीला की भारी-भरकम आवाि टेलीफोन के तार को झनझनाती गिंू पडी।” आपने तो बहुत ही बजढ़या आदमी भिे जदया है चाची...। िरा-सा ना-नकु ु र नहीं...बेचारा बक दो...झक दो...चपु रहता ह।ै वैसे इसकीिरूरतहीनहींपडती।इसकेपहलेवालातोबडाही्तैान था। ...बास्टिशि...”
बीच-बीच में ्ीला का फोन आता रहता। ्ीला वैसे एक आधजुनकानारीह।ै कहनाचाजहएिरूरतसेजयादाआधजुनकाह।ै
...औरइसतरहकेआधजुनकसमािमेंवहएकबारगीसबसे आगेदीखपडनेकीयो्यताभीरखतीह।ै लेजकनमाँऔरमौजसयों केमामलेमेंउसकाकुछदसूराहीनिररयारहाह।ैवहाँ्ीलाका वयजकततवउसेदसूरोंसेएकदमअलगकरदतेाथा।
अपनेजपछलेनौकरोंकेबारेमेंउसनेजिन-जिनजव्षेणोंका हवालाजदयाउसेटेलीफोनकेइसजसरेपरसनुनेवालेमरेेकानएकदम जदप उ‍ठते थे।
गनीमत यह थी जक ईश्वर की कृपा से मनैं े जिस आदमी को उसके पास भिे ा था, उससे ्ीला ख्ु थी।
जनताई भी कम ख्ु नहीं था।
दोजदनोंबादहीवहजमलनेआयाथामझुसे।उसकीदहेपर हवाई ्टशि और गाढ़े का पायिामा था। हिामत बनी हुई थी और सफाचटचहेरेपरमस्ुकानखले रहीथी।
“आपने तो बहुत ही अचछी िगह काम जदलवा जदया चाचीिी... वे दोनों भी बडे अचछे लोग ह।ैं ...और मनैं े तो उनहें कहा तक नहीं... तोभीउनहोंनेखदु अपनीइचछासेयेसारेकपडेजदयेह।ैं”
मैंमन-ही-मनहसँतीरही।
एक तरफ तो कोई भी छोटी-मोटी नौकरी पाने की जचनता में िनेऊतकउतारकररखदनेेकीतैयारीऔरदसूरीतरफब्राह्मणका बेटाहोनेकेबाविदूदसूरोंकेउतारेपरुानेकपडेपहनलेनेमेंिरा भी ्रम नहीं।
‍ठीक ही कहा गया है भात के आगे कैसी िात!
जनताई के स्वर में उसकी ख्ु ी झलक रही थी...“चाची माँ, कया बताऊँ?खाना-पीनासबएकदमफस्टशिकलासह।ै वेिोखदु खातेह,ैं वहीमझुेभीजखलातेह।ैंइसेहीकहतेह.ैं..ऊँचाआचारऔरऊँचा वयवहार।मैंभीयहीसोचताहूँजकजिनहेंहमअपनेजपतायागरुु की
तरहमानतेहैंउनसेभलाइतनीदरूीकैसी?िात-पाँतकाऔरछुए िाने का इतना जवचार कयों? ऐसे कै से चलेगा? इससे तो हमारा भी नकुसानहैऔरउनकाभी।औरवेदोनोंखातेभीजकतनाह.ैं..बस दजुनयाभरकीअचछी-अचछीचीिेंलाकरढेरलगादतेेह।ैंऐसा लगताहैजकवेसामानलातेह.ैं..िमाकरतेहैंऔरजफरफेंकदते ेहैं याजफरमझुसेकहतेह,ैंजनताईसनु...वहसबहमनहींखाएगँेअगर तझु ेखानाहैतोखाले।...केक...पेस्ट्रीऔरनिानेकया-कया?मैंतो उन सबके नाम भी नहीं िानता।”
मझुेउसकीबातेंसनुकरहसँीभीआतीऔरदखुभीहोता।मैं यही सोचती जक जिसे ब्राह्मण व्ं के होने का इतना गवशि था और िो यहाँतककहरहाथािनेऊखोलकररखदगंूा...वही...अबजबना जकसीजहचककेितूेझाडरहाह.ै..ि‍ठूाखारहाह।ै
िाने भी दो...मझु े खामखाह के झमले ों में पडना न पडे...यही बहुतह।ै लेजकनजफरभीमरेािीकुछउचाट-सारहा।
“...‍ठीकह.ै..िीलगाकरकामकरना,”मनैंेकहा,“बसदोही तो प्राणी ह।ैं िो करना है तझु े ही करना ह।ै बस इसी तरह...”
जनताई ने ‍ठहाका लगाते हुए कहा, “आपको कहना न होगा चाची...भयैाऔरभाभीिीतोकभीभलूकरभीनहींदखेते।िो करता हूँ मैं ही करता हू।ँ ”
मझु े सनतोष हुआ।
उधर्ीलाकासरुीलासवंादसनुनेकोजमलतारहताथा,“मैं तो आपको दोनों वेला प्रणाम करती रहती हूँ मौसी! काम करने का सलीका हो तो ऐसा। मझु े तो अपनी गहृ स्थी की तरफ निर उ‍ठाकर दखेनेकीिरूरततकनहींपडती।जनताईहीसौदा-सलुफुलेआता ह,ैबािारिाताह.ै..आिखानेमेंकयाबनेगा...सबउसीकेजिममे रहताह.ै..”
मैं यही सोचती रही जक चलो कहीं तो कोई फकशि पडा। लोगों केजलएनौकरयारसोइयेिटुादनेाअथवाजकसीकेबयाहकेजलए कहींकोईिगुाडजभडादनेातोआयेजदनलगाहीरहताहैलेजकन अब तक कहीं से जकसी का धनयवाद नसीब नहीं हुआ था। ज्कायतें औरउलाहनेहीजमलतेरहेहैंअबतकउपहारम।ें जनताईकीसादगी उसकीमिबरूीऔरथोडेमेंहीख्ु होिानेकीतैयारीनेमरेीइजित रख ली ह।ै
जनताई तो ऐसा ही था...लेजकन ऐसा रह नहीं पाया।
और मैं उसी बात पर आती हू।ँ
आि दोपहर को...िब मैं खा-पीकर हाथ में कहानी की एक
जकताब लेकर पढ़ रही थी और लगा जक नींद आ रही थी...अचानक... मनैं े दखे ा जक जनताई अपने हाथ में अपनी वही परु ानी पोटली लेकर मरे े सामने आ खडा हुआ ह।ै
“कयाबातहैजनताई...कैसेहो...?”मनैंेपछूा।
जनताईकीभोली-भालीसरूतऔरसहमी-सहमीआखँोंमें िैसेजचनगाररयाँफूटरहीथीं।जसरझकुाकरखडारहनेऔरअगं‍ठूे से िमीन कुरेदने वाली जचर-पररजचत मद्रु ा से अलग-थलग िान पडनेवाला जनताई आि एकदम सीधा खडा रहा।
“कयाहुआ?सारेकपडे-लत्तेलेकरचलेआयेतमु?”
“मैं अब वहाँ काम नहीं करूँ गा।” उसने साफ-साफ बता जदया।
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विशिवा / जनिरी 2024



































































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