Page 31 - Vishwa January 2024
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आशपा्नूणपाशि देवी की एक कहपानी
आहत ्ौरुष
अनुवाद : रण्जीत कुमार सािा
दबुली-पतलीऔरछोटी-सीदहे। अपनेहीगाँव-िवारकेऔरएकपडोसीहोनेकेनातेइसछोकरे
रूखा-सखूाचहेरा,तेिनकुीलीदाढ़ी-मछंूऔरचमडेसेमढ़ानेजपछलेएकमहीनेसेयहाँखमेािालाहुआह।ैऐसाभीनहींिान हाड-पिंर।लेजकनआखँोंमेंसारीदजुनयाकीपीडाऔरथकान।पडताजकनौकरीनजमलीतोवहअपनेगाँवलौटिाएगा।इसजलए इसचहेरेकोदखेकरिवानीिैसेजकसी्बदकोइसकेनिदीकउसेनौकरीजदलानेकीकोज््मेंमनैंेकोईकोताहीनहींकी।लेजकन नहींलायािासकता...औरअगरलायाभीगयातोजसफशिहसँीही नौकरीकीगिंुाइ्भीतोहोकहीं?दजुखयाब्राह्मण-घरकीऔरतों आएगी।छीछालेदरकीइससमभावनाकेबाविदूउसनेकहाथा,औरमदनोकाकामहैदसूरेकेघरोंकाखानापकानाऔरइसीमेंवे “कोई भी काम िब जमलता ही नहीं है चाची...तब काम अचछा है सनतोष कर लेते ह।ैं िानी के घर में ही वह पला-बढ़ा ह।ै मामा और या बरा, इस बात पर सोचना ही बेमानी ह।ै नौकरों वाला काम ही माजमयाँ भी हैं लेजकन वैसे रसोईघर में कया कु छ पकता रहता ह,ै कभी करूँगा।गलेमेंपिीिनेऊखोलकररखदगँूा...औरकया?ब्राह्मणमडुकरनहींदखेाहोगाउसने।हमाराजनताईभीइसीमेंरािीथा। होने की झ‍ठू ी अकड छोडनी पडेगी। िवानी के जदनों में भी मामा के तो जफर?
भरोसेकबतकबै‍ठा-बै‍ठारोटीतोडतारहूगँा।” तभीतोउसनेयहतयजकयाहैजकिनेऊउतारदगँूा...और तभीउसकेमहँुसेिवानीकीदहुाईदनेेवालीबातेंसनुकरमैंकया?”कहूगँाजकजनचलीिातकालडकाहू।ँिबनौकरीहीकरनी हसँ पडीथी।लेजकनदसूरेहीक्षणइसेबडीमजुश्कलसेदबातेहुए हैतोइनसारीबातोंकारोना-गानाकैसा...?िवानीतोऐसेहीबीत
मनैंेपछूाथा,“तमुहारीउमरजकतनीह?ै” चली...।” उसनेिबबताया,“पचचीस...”तोबेसाखतामरेीहसँीजनकल औरतभी...एकनौकरीकीखबरजमलीथी।घरकीचाकरीही
पडीथी...“दोकेऊपरपाँच...कहींइसकाआकँडाउलटा-पलुटातो थी।टेलीफोनपरएकसहलेीकीबेटीनेबताया,“एकनौकरचाजहए नहींहोगया?कहींपाँचकेऊपरतोदोनहीं?” मौसी...जमलिाएगा।नौकरानीनहीं...नौकर।िीनादभूरहोगया
सचमचु उसनेपचचीसकेबदलेअपनीउमरबावनबतायीहोती ह.ै..”औरकहते-कहतेउसकागलारुंधगयाथा। तोमैंउसपरयकीनकरलेता।लेजकनमरेीहसँीदखेकरवहथोडी जनताईपासहीखडाथाऔरमनैंेररसीवरपरिोकुछकहा, दरे के जलए ज‍ठ‍ठक गया। लेजकन मरे े सवाल के पीछे जछपे सकं ेत को वह सनु रहा था। मरे े ररसीवर रखने पर उसने छूटते ही कहा, “‍ठीक समझकरउसनेजसरझकुाकरकहा,“खानेकोदो‍ठोदानातकनहींहैचाची...मझुेभिेदीजिए।” िटुताचाची...इसीजलए्रीरकीहालतइतनीखस्ताहोगयीह।ै... मनैंेआनाकानीकीथी।कहा,“दखे जनताई,ऐसाहैजकउनहें औरमामाभीवैसेहीमकखीचसू...” एकनौकरकीिरूरतह।ैमोटा-मोटाकामकरनापडेगा।वेतमुहेंितूे
 अगरमैंउसकीसगीचाचीरहीहोतीतोउसकीबातोंपरअवश्य झाडनेकोकहगेंे...गनदेकपडेसाफकरने...” ही्जमशिनदाहोती।लेजकनबातकुछदसूरीहीथी।अपनेगाँव-िवार जनताईनेगदनशिझकुाकरकहाथा,“सोतोकहगेंेहीचाची...मैं काहोनेकेनातेऔरपडोसीहोनेकीसजुवधाकेचलतेयहदररद्र तोयहसबिान-बझूकरहीस्वीकारकररहाहू।ँ” ब्राह्मण-सनतानइसघरकेमाजलकको्रूुसेहीचाचाऔरमझुे “दखेोबेटे...ऐसानहोजकअपनेमान-सममानकीबाततमुहेंछू चाचीकहताआयाह।ैऔरतभीसेएकनौकरीकािगुाडकरदनेेिाएऔरतमुदखुीहोिाओ।समझगयेन...?” काजवनम्रअनरुोधकरतारहाह।ैउसेतोकुछऐसाहीिानपडता मनैंेदखेाजकजनताईअपनीबातपरअडाह।ैउसनेदृढ़तासे है जक कलकत्ता महानगर एक कलपवक्षृ है और उसमें नौकरी रूपी
हिारों-लाखोंपकेऔरमी‍ठेफललटकेहुएह.ैं..बसहाथबढ़ानेकी
िरूरतह।ैऔरिोलोगइतनीढेरसारीजकताबेंजलखतेहैंउनकेजलए
जकसीछापाखानेमेंएकनौकरीकाबनदोबस्तकरवादनेाकौन-सी
मजुश्कलबातह?ैलेजकनयहकाममजुश्कलहीनहीं...नाममुजकनह.ै..
यहउसकीसमझसेपरेह।ै अपनीसहलेीकीबेटीकेअनरुोधकीरक्षाकरपानेकीख्ुी
लेजकन जकया कया िा सकता ह?ै
के साथ एक आदमी को खामखाह जब‍ठाकर जखलाने के दाजयतव से मजुकतभीजमली।अपनीछोटी-मोटीपोटलीमेंदो-एककपडेसमटेकर उसनेमझुसेवहपचशीलेली,जिसपरघरकानाम-पताजलखाथा औरकाँकुजलयाकीतरफरवानाहोगया।
जकताबेंजलखमारनेवालेलेखकोंकीसाखऔरधाकजकतनी
होतीह,ैइसेलेखकअचछीतरहिानतेह।ैंअगरऐसीकोईमिबरूी
नहोतीतोउसकेजलएनौकरीकािगुाडकरदनेातोबहुतकुछमरेे
हीहकमेंहोता। थोडीदरेकेबादहीमरेीसहलेीकीबेटीनेअपनीहसँी-ख्ुी
कहा, “अरे नहीं चाची...िब स्वीकार कर जलया तो पीछे कयों हटने लगाभला?मझुेपताहैि‍ठूेबतशिनभीउ‍ठानेपडेंगे,ितूेचमकाने होंगे...सबकरूँगा।दसूरेकेगलेपडेरहनेसेयहकामकहींकमही अपमानिनकहोगा...हैन?”
मैंकुछकहनहींसकी...कयाकहतीभला?
 जनवरी 2024 / ववशववा
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