Page 30 - Vishwa January 2024
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गजहतशिरूजढ़योंकेजवरुद्ध‘प्रथमप्रजतश्जुत’कीपा‍तसतयवतीकाजमटतेमानसका,नानाप्रकारकीउलझनोंमेंरुंध-ेफंसेजदन-रातोंका जवद्रोहउसयगुकेनारीमनकाहीवांजछतप्रजतरूपथा–जिसनेएकमानजच‍तप्रस्ततुकरतीहैंमरेीरचनाए।ँपरदखेेंतो,वेिन-मानस
जवद्रोजहणी का रूप धारण कर भी अपने सामाजिक ढाँचे को नहीं तोडा बजलक उसे मयाशिजदत और वयवजस्थत जकया। जनमनमधयवगशीय पाररवाररक जवव्ताओ ं के बीच जकसी रूजढ़ग्रस्त पररवार में छोटी- छोटीप्रताडनाओंकेजवरुद्धएकनारीकासघंषशिधीरे-धीरेजकसतरह जवराटहोउ‍ठताह–ै ‘प्रथमप्रजतश्जुत’इसकाजवलक्षणउदाहरणह।ै
िो बडे पररजचत से लगते ह,ैं कया सचमचु उतने पारद्शी होते हैं जितना हम समझते ह?ैं कया हम सचमचु उनके स्वभाव और प्रकृ जत के अनतस्तल तक इतना पै‍ठ सकते हैं जक उनहें ‍ठीक से दखे समझ सकें?जवश्लेषणकरनेपरमझुेऐसालगालगाहैजकमानवीयचतेना जिनततवोंकीबनीहोतीहैवेप्राय:जवरोधाभासीहोतेह।ैं नतोमानव
आ्ापणूाशििीकामाननाहैजकभारतीयनारीकासारािीवनमनकीअजंधयारीगहराइयोंतकपै‍ठपानासभंवहोताहैनिीवनके सामाजिकअवरोधोंऔरवचंनाओंमेंहीकटिाताहैजिसेउसकीमलूभतूसतयोंकोउदघ्ाजटतकरनाही।
आ्ापणूाशििीनेअपनीरचनाओंमेंभाव,भाषाऔरमहुावरे- ह।ैंजस्‍तयोंकीअसहायअवस्थाऔरअवयतिपीडानेमझुेअतयजधक लोकोजतियोंकेसाथ-साथिीवतंसवंाद,आतम-कथन,ज्लपऔरजवचजलतजकया।इनसारेउदघ्ाटनोंनेमझुेजदनपरजदनदजुखतजकया कथा-नयास को एक नयी िमीन और पहचान दी ह।ै इस दृजष्ट से और मरे े मजस्तष्क में जवद्रोह और प्रजतवाद का एक जव्ाल पवशित खडा वेरवीनद्रनाथ‍ठाकुर,्रदचद्रं,जवभजूतभषूणमखुोपाधयाय,माजणककरजदया।यहस्वीकारजकयािासकताहैजक‘प्रथमप्रजतश्जुत’की
तपस्या कहकर हमारा समाि गौरवाजनवत होता
आया ह।ै इस षि्यं‍त में ्ास्‍त और सामाजिक
सस्ं थाएं बराबर की भागीदार रही ह।ैं इस
जविंबना को और नारी िाजत की असहायता
को ही वाणी दने े में उनकी सिृ नातमकता
सकुारथहुईह।ैइसीमखुरप्रजतवादकोएक
आवश्यक हस्तक्षेप के तौर परसामने लाने के
जलए सतयवती की पा‍तता प्रतीक पा‍त में ढल
गयी। इसमें ततकालीन समाि की वे तमाम
जवसगं जतयां और असमानताएं भी नयस्त हो गई
िोस्वयंहमारेसमािमेंतबभीमौिदूथींऔर
दभुाशि्यसेआिभीजवद्यमानह।ैंआ्ापणूाशि
िी मानती हैं जक सामाजिक जवकृ जतयाँ और
सस्ं थागत दबु शिलताएँ हर यगु में रही हैं लेजकन
उनपरमानवताकेिररएहीजवियप्रापतकीिासकतीह।ै मझुेअपनाबचपनऔरयवुावस्थावाजदताकेप्रजतबंधोंमेंजबतानेपडे
बंद्योपाधयाय और समरे् बासु के समकक्ष िा ‍ठहरती हैं – जिनहोंने भाषा को उसके खरु दरु ेपन में िीते हुए भी उसमें जनजहत कजवता, करुणा औरछंदकोिगाएरखाह।ै
िक्तवय क् स्र्ंश
नाजयका सतयवती मरे े ह्रदय के उन मौन प्रजतवादों का प्रतीक ह।ै वह ऐसी बाजलका है जिसकी सिग आखँ ों के सामने प्रारजमभक काल में हीपारमपरीयसामाजिकप्रथाओंकी‍तजुटयाँउदघ्ाजटतहोचकुीहैं औरवहतरुंतजवद्रोहीप्रजतकारोंमेंमखुरहोगयीह।ै
यहसचहैजकआधजुनककालमेंपररवतशिनकेकारणिीण-शि्ीणशि समाि का रूढ़ ढाँचा अब नहीं रह गया। जस्‍तयों ने िो वैधाजनक जस्थरता प्रापत कर ली है उसके कारण अपनी असहाय अवस्था पर जवियप्रापतकरलीह।ै वेबंददजुनयासेबाहरआगयीहैंऔरउनहोंने
वास्तव में साजहतय कायशि-दाजयतव मनोरंिन प्रस्ततु करना ही नहीं
होता ; वह तो राष्ट्र की ज्क्षा और सस्ं कृ जत का पररचय-स्तमभ हुआ
करता ह।ै उसका दाजयतव होता है अतीत की जनजध को सरु जक्षत
रखना, वतशिमान को गजतमय बनाना और भजवष्य की रूप-रचना प्रस्ततु करना।यहीकारणहैजकसिृेताकलाकारकीनहींबजलकसाजहतयएकमिबतूआधारप्रापतकरजलयाह।ैमैंइसेदवैीयआ्ीवाशिद केजवकासकामीसभीवगशिधनयवादएवंकृतज्ञताकेपा‍तहोतेह।ैं समझतीहूँजकमैंइसआधजुनकसामाजिकजवकासकीकमसेकम
मझुेिब-तबइसप्रश्नसेिझूनापडाहैजकमरेंेसिृनकीमलू एकगवाहतोरहीहू।ँ xxxx
सामग्रीकयाह?ै उत्तरमरेायहीहोसकताहैजकमरेेसमस्तरजचत (इसलेखकेजलएज्ञानपी‍ठपरुस्कार-सपंादकजब्नटंिन,भारतीय
की कराहें स्वर नहीं पाते, मा‍त जससजकयों के रूप में प्रकट होती ह।ैं इनहीं असखं य प्राजणयों का जनतांत घटना्नू य िीवन और इनके बनते-
साजहतयकीएकमा‍तआधाररतसामग्रीहमारेसमािकासामानयज्ञानपी‍ठप्रका्नपस्ुतककोआधारबनायागयाह।ैसपंादकएवं िन-मानव वगशि ह–ै वे असहाय प्राणी हैं जिनकी पीजडत आतमाओ ं प्रका्न सस्ं था के प्रजत कृ तज्ञता ज्ञाजपत करता हू।ँ )
कदाजचत महतवहीन से लगने वाले मानवों में ही जकतने ही रंग, घटनाओं के अनेक स्रोत, उचच-उदात्त जवचार और गहरी उपलजबधयां जछपी पिीहोसकतीह;ैंऔरइसकेजवपरीत,तथाकजथत बजु द्धिीजवयों और प्रजतजष्‍ठत भद्रिनों में सकं ु जचत मनोवजृत्तकारािहोसकताह।ैसतयतोयहहैजक वयजति हम्े ा यह नहीं िान सकता है जक उसकी वास्तजवक आकांक्षाएं कया ह,ैं वह िीवन में कया पाना चाहता है और कया अस्वीकारना चाहता ह।ै यह वाकई आश्चयशििनक है जक उसके मन का अवचतेनस्तरिैसेचतेनकेपहलूकोजनयंज‍तत करताह।ै
 ं
यह स्वाभाजवक ही था जक मैं अपने जवचार परुु षों से अजधक जस्‍तयों पर कें जद्रत करूँ ! कयोंजक
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विशिवा / जनिरी 2024






























































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