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जवजशष्ट शंखलपा : ज्पान्ी‍ठ ्ुरसकपार 1976
  आशापूणागा देवी (1909-1995)
आशपा्नूणपाशि देवी
प्र्तुसत : डॉ. दीपक पाणडेय
भारतीयज्ञानपी‍ठकावष1शि976काज्ञानपी‍ठपरुस्कारबां्लाभाषाकीप्रखयातकवजय‍ती एवंउपनयासकारआ्ापणूाशिदवेीकोउनकेबां्लाउपनयास‘प्रथमप्रजतश्जुत’केजलए प्रदानजकयागया।आ्ापणूाशिदवेीकेसिृनातमकसाजहतयमेंनारीिीवनकेजवजभननपक्ष, पाररवाररक िीवन की समस्यायें, समाि की कंु ‍ठा और जलपसा अतयंत पैनेपन के साथ उिागर हुई ह।ै उनकी कृजतयों में नारी का वयजतिगत -स्वातनत्य और उसकी मजहमा नई दीजपतकेसाथमखुररतहुईह।ैचरर‍तोंकारेखांकनऔरउनकेमनोभावोंकोवयतिकरते समय वे यथाथशिवाजदता को बनाये रखती थीं। सच को सामने लाना उनका उद्श्े य रहा। उनका लेखन आ्ावादी दृजष्टकोण जलए हुए था। उनके उपनयास मखु यतः नारी के जनद्रत रहे ह।ैं उनके उपनयासों में िहाँ नारी मनोजवज्ञान की सक्ू म अजभवयजति और नारी के स्वभाव उसके दपशि,दभं,द्दंऔरउसकीदासताकाबखबूीजच‍तणजकयाहुआहैवहीँउनकीकथाओंमें पाररवाररक प्रेम सबं ंधों की उतकृ ष्टता दृजष्टगोचर होती ह।ै उनकी कथाओ ं में तीन प्रमखु जव्षेताएँपररलजक्षतहोतीहैं–वतिवयप्रधान,समस्याप्रधानऔरआवेगप्रधान।उनकी कथाएंहमारेघरससंारकाजवस्तारहैंजिसेवेकभीननहीबेटीकेरूपमेंतोकभीएक जक्ोरीकेरूपमेंतोकभीममतवसेपणूशिमाँकेरूपमेंनवीनजिज्ञासाकेसाथदखेतीह।ैं आ्ापणू ाशि दवे ी िी की साजहतय-साधना में लगभग 113 उपनयास, 23 कहानी सग्रं ह पा‍ठकों को जमले . 1936 में पहली कहानी ‘पतनी ओ प्रेयो्ी’, आनंद बािार पज‍तका के पिू ा अकं में प्रकाज्त हुई तथा ‘प्रेम ओ प्रयोग’ उनका पहला उपनयास था, िो 1944 में प्रकाज्त हुआथा।उनकासमपणू शिसाजहतय‘आ्ापणू शिदवेीररोचोनाबोली’(प्रका्क-जम‍ताओघोष) 10खिंोंमेंउपलबधह।ैआ्ापणूशिदवेी:बां्लाकहाजनयाँजहनदीमें
आ्ापणूाशिदवेीकािनम8िनवरी1909कोपजश्चमीबंगालकेकलकत्तामेंहुआ था। उनका प्रारंजभक बचपन एक पारंपररक और बेहद रूजढ़वादी पररवार में बीता। हालाँजक आ्ापणूाशिकेपासकोईऔपचाररकज्क्षानहींथी,जफरभीवहस्व-ज्जक्षतथीं।आ्ापणूाशि के जपता हरेंद्र नाथ गपु ता उस समय के प्रजसद्ध कलाकार थे, िो फनशीचर जनमाशिता सी. लािर एिं कंपनीकेजलएजििाइनरकेरूपमेंकामकरतेथे।माँसरोलासदंुरीकेसाजहतयप्रेमने आ्ापणूाशिऔरउनकीबहनोंमेंकमउम्रमेंहीसाजहतयकेप्रजतअनरुागसचंररतकरजदया था। जिस अवजध में आ्ापणू ाशि का पालन-पोषण हुआ वह सामाजिक और रािनीजतक रूप सेअ्ांतथा,राष्ट्रवादीआदंोलनऔरिागजृतकासमयथा।जपताहरेंद्रनाथकेमहातमा गांधीऔरअनयरािनीजतकनेताओंकेनेततृवमेंपरूेद्े मेंचलरहीबेचनैीकेप्रजतकाफी सवंेदन्ीलथे।
आ्ापणू ाशि िी को जवश्वजवद्यालय की औपचाररक ज्क्षा नहीं जमली लेजकन बालयकाल सेहीवेइसअनिानीलेजकनजिज्ञासाऔरकौतहूलसेभरीदजुनयाकासाक्षातकारकरती रहीं।‍ठोस,खरुदरुी,जनममशि औरअयाजचतदजुनयारोिजकसीनजकसीरूपमेंनएवातायन और वातावरण के साथ उनके सामने उपजस्थत हो िाती और अपने अनोखे और अिबू े पा‍तोंकासभंारउनकेजलएिटुादतेीं।
‘प्रथमप्रजतश्जुत’उपनयासमेंआ्ापणूाशिदवेीिीनेसतयवतीकेमाधयमसेनकेवल नारी िाजत के आतम-सममान का बजलक एक िागरूक लेजखका के रूप में सतेि सिशिक वयजतितवऔरआद्मोंनमखुीयथाथशिकापररचयजदयाह।ैवयजति-स्वातंत्यकेजलएपल-पल प्रायोजित सामाजिक प्रताडना तथा घर और घराने की मयाशिदा के नाम पर कदम-कदम पर
  डॉ. दीपक पाणडेय
सिायक सनदेशक, कद्रें ीय सिंदी सनदेशालय, सशक्ा मंत्रालय भारत सरकार, नई सदलली 110066 ईमेल –dkp410@gmail.com
 जनवरी 2024 / ववशववा
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