Page 11 - Vishwa January 2024
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वपातपायन : रूसी कहपानी
  एटंनचेखोव(1860-1904)
अ्रपाधी
एंटन चेखोव
धारीदारक़मीज़औरपैबंदलगीपतलनू पहनेएकबहुतपतला-दबुला,छोटेक़दकाजकसान अदालतमेंनयायाधी्केसामनेखडाह।ैउसकेचहेरेपरबहुत-सेबालऔरचचेककेदाग़ ह,ैं और उसकी घनी भवँ ों में जछपी उसकी मजु श्कल से जदखने वाली आखँ ों में उदास मजलनता भरीहुईह।ै उसकेजसरपरउलझेहुए,गदंेबालोंकेगचुछेहैंजिनकीविहसेउसकेचहेरेपर छाईमजलनताऔरप्रगाढ़होिातीह।ै वहवहाँनंगेपैरखडाह।ै
“िेजनसग्रगेोरयेव!“नयायाधी्नेबोलना्रूु जकया।”पासआओऔरमरेेप्रश्नों केिवाबदो।िलुाईकेइसमहीनेकीसाततारीख़केजदनरेलवेकाचौकीदारईवान सेमयोनोजवचऐजकनफोवसबुहकेसमयरेलकीपटररयोंकेपासगश्तलगारहाथा।तब उसने तमु हें एक सौ चौदहवें मील पर स्लीपर को रेल की पटररयों से िोडने वाला एक पेंच खोलते हुए रंगे हाथों पकडा। यह रहा वह पेंच! ... उसने तमु हें इस पेंच के साथ जगरफतार कर जलया। कया यही हुआ था?”
“क ...कया?”
“कया िैसा ऐजकनफोव ने कहा ह,ै वैसा ही हुआ था?”
“िी, िनाब, यह सच ह।ै ”
“‍ठीकह,ैतमु वहपेंचकयोंखोलरहेथे?”
“क...कया?”
“’कयामतकहोऔरसवालकािवाबदो।तमु वहपेंचकयोंखोलरहेथे?”
“अगर मैं नहीं चाहता तो मैं वह पेंच नहीं खोलता।”छत की ओर दखे ते हुए िेजनस ने
ककशि ् आवाज़ में कहा।
“तमु हें वह पेंच कयों चाजहए था?”
“पेंच? हम मछजलयाँ पकडने वाली अपनी िोरी के जलए उससे वज़न बनाते ह।ैं ” “’हमकौनह?ै”
“हम ... यानी सब लोग; मतलब जकलमोवो के जकसान!”
“सनुो,मरेेसामनेमखू शिबननेकाअजभनयमतकरो।ढंगसेबताओ।वज़नबनानेकेबारे
मेंयहाँझ‍ठू बोलनेकीज़रूरतनहीं!”
“मनैं ेबचपनसेहीकभीझ‍ठू नहींबोलाह,ै औरअबआपमझु परइलज़ामलगारहे
हैंजकमैंझ‍ठू बोलरहाहू.ँ..,“पलकेंझपकातेहुएिेजनसनेकहा।”जबनावज़नकेआपकया करेंगे,श्ीमानिी?अगरहमकीडायाअनयिीजवतचाराहुकमेंफँसाएगँेतोकयावहजबना वज़नकेनदीकेतलपरपहुचँ पाएगा?...औरआपकहरहेह,ैंमैंझ‍ठू बोलरहाहू,ँ“िेजनस खीसें जनपोर कर बोला।
“उसकीडेकाफायदाहीकयाहैिोपानीकीसतहपरहीतैरतारह?े सारीमछजलयाँ तो समद्रु के तल के पास चारा ढूँढ़ती ह।ैं के वल ज्जलस्पर नाम की मछली ही पानी की सतह परतैरतीह।ै औरहमारीइसनदीमेंज्जलस्परमछजलयाँनहींपाईिातीहैं...मछजलयोंको बहुत सारी िगह चाजहए।”
“तमु मझु े ज्जलस्पर मछजलयों के बारे में कयों बता रहे हो?”
“क...कया?आपनेखदु हीतोमझुसेपछूाह।ैहमारेइलाक़ेमेंभीआमजकसानऐसेही मछजलयाँ पकडते ह।ैं सबसे बेवक़ू फ छोटा बचचा भी जबना जकसी वज़न के मछजलयाँ नहीं पकडेगा। हाँ, जिसे मछजलयाँ पकडना आता ही नहीं, वह ज़रूर ऐसा करेगा। बेवक़ू फों के जलए कोई जनयम थोडे ही होता ह।ै ”
“यानीतमु कहरहेहोजकतमुनेअपनीमछलीपकडनेवालीिोरीमेंवज़नलगानेके जलए यह पेंच वहाँ से खोल कर जनकाला?”
 अनुवाद : सुशांत ससु प्रय
A-5001, गौड़ ग्रीन ससटी, वैभव खंड, इंसदरापुरम्, गास़ियाबाद-201014 (उ. प्र.) मो. 8512070086 ई-मेल : sushant1968@gmail.com
 जनवरी 2024 / ववशववा
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