Page 34 - Vishwa January 2022
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धकसीकायँू्ोहुआकौनउम्रभरधफरभी येहुसनओइश्क़्ोिोकाहैसबमगरधफरभी हज़ार बार ज़माना इिर से गज़तु रा है नईनईसीहैकतुछ्ेरीरहगज़तुरधफरभी कहूँ ये कैसे इिर दखे या न दखे उिर धकदद्तदद्तहैधफरभीनज़रनज़रधफरभी ख़शतुाइशारा-ए-पैहमज़हेसकतुू्-ए-नज़र दराज़होके़िसानाहैमख़तु्सरधफरभी झपकरहीहैंज़मानओमकाँकीभीआखँ ें मगर है क़ाध़िला आमादा-ए-स़िर धफर भी शब-ए-ध़िराक़सेआगेहैआजमरेीनज़र धक कट ही जाएगी ये शाम-ए-बे-सहर धफर भी कहीं यही ्ो नहीं काधश़ि-ए-हया्-ओ-ममा् ये हुसन ओ इश्क़ ब-ज़ाधहर हैं बे-ख़बर धफर भी पलट रहे हैं ग़रीब-उल-व्न पलटना थिा वो कू चा रू-कश-ए-जनन् हो घर है घर धफर भी लटतुाहुआचमन-ए-इश्क़हैधनगाहोंको धदखा गया वही कया कया गलतु ओ समर धफर भी ख़राब हो के भी सोचा धकए ध्रे महजरू यही धक ्ेरी नज़र है ध्री नज़र धफर भी हो बे-धनयाज़-ए-असर भी कभी ध्री धमट्टी वो कीधमया ही सही रह गई कसर धफर भी धलपटगयाध्रादीवानागरचेमधंज़लसे उड़ी उड़ी सी है ये ख़ाक-ए-रहगज़तु र धफर भी ध्री धनगाह से बचने में उम्र गज़तु री है उ्र गया रग-ए-जाँ में ये नेश््र धफर भी ग़म-ए-ध़िराक़ के कतुश््ों का हश् कया होगा ये शाम-ए-धहज्र ्ो हो जाएगी सहर धफर भी ़िना भी हो के धगराँ-बारी-ए-हया् न पछू उठाएउठनहींसक्ायेदद-्तए-सरधफरभी धस्म के रंग हैं हर इधऱ्िा्-ए-धपनहाँ में करम-नमतुाहैंध्रेजौरसर-ब-सरधफरभी ख़्ा-मआतु ़ि ध्रा अफ़व भी है धमसल-ए-सज़ा ध्री सज़ा में है इक शान-ए-दर-गज़तु र धफर भी अगरचेबे-ख़दतुी-ए-इश्क़कोज़मानाहुआ 'ध़िराक़’ कर्ी रही काम वो नज़र धफर भी
हसत्रों से उलझत् ि् रि् िूँ
शब-ए-़ितु क़्त ् बहु् घबरा रहा हूँ ध्रे ग़म को भी कतु छ बहला रहा हूँ जहाँ को भी समझ्ा जा रहा हूँ
यक़ीं ये है हक़ीक़् खलतु रही है गमतुाँ ये है धक िोके खा रहा हूँ अगर ममतु धकन हो ले ले अपनी आहट ख़बरदोहुसनकोमैंआरहाहूँ हदें हुसन-ओ-मोहबब् की धमला कर क़याम् पर क़याम् ढा रहा हूँ ख़बरहै्झतुकोऐज़ब्-ए-मोहबब् ध्रेहाथिोंमेंलटतु्ाजारहाहूँ असर भी ले रहा हूँ ्ेरी चपतु का ्झतु े क़ाइल भी कर्ा जा रहा हूँ भरम्ेरेधस्मकाखलतुचकतुाहै मैं ्झतु से आज कयँू शरमा रहा हूँ उनहींमेंराज़हैंगलतु-बाररयोंके मैं जो धचगंाररयाँ बरसा रहा हूँ ध्रे पहलू में कयँू हो्ा है महससू धक ्झतु से दरू हो्ा जा रहा हूँ हद-ए-जोर-ओ-करमसेबिचलाहुसन धनगाह-ए-यार को याद आ रहा हूँ जो उलझी थिी कभी आदम के हाथिों वोगततुथिीआज्कसलतुझारहाहूँ मोहबब् अब मोहबब् हो चली है ्झतुे कतुछ भलू्ा सा जा रहा हूँ अजलभीधजनकोसनतुकरझमू्ीहै वो नगमे धज़दंगी के गा रहा हूँ ये सननाटा है मरे े पाँव की चाप 'ध़िराक़’ अपनी कतुछ आहट पा रहा हूँ
मफ़रपाक़ की गिलें
 खुशी कपा मंत्
जोसवयंखशतुरह्ाहैवहीदसूरोंकोखशतुरख्ाह–ैएनफ्ैंक एनफ्ैंक(1942से1944्कधवश्वयद्धतु केदौरानहुएअनभतुव के आिार पर धलखी बेहद मशहूर धक्ाब, ‘द डायरी ऑफ अ यंग गल्त’ की लेधखका)
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विशिवा / Áजनिरी 2022


























































































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