Page 11 - Vishwa January 2022
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“्मतु हीं लोग मरे ी मतृ यतु का कारण बनोगे। यह छोकरा मरे ी जान लेकरहीदमलेगा,”शहतुयदापतनीकीबा्बीचमेंहीकाट्ेहुए क्ोि से बोला, “हाँ, ्मतु हीं लोग मरे ी मतृ यतु का कारण बनोग।े मरे ी मतृ य.तु..।” वह धनरं्र बोल्े हुए आगे बि्ा ही जा रहा थिा। क्ोि में उसकी नसें भी फू ल गयी थिीं। उसके धलए उसका क्ोि एक ्ीखी धमच्त के ज़ायके से कम नहीं थिा। क्ोि से फलीभ्ू आनंद ने उसकी दोपहर की उदासीन्ा भी दरू कर दी थिी।
“पिरहाहू,ँ”लड़कािीरेसेहकला्ेहुएफतुसफतुसायाथिा।अपने बचावकेधलएशधमदांगीसेशनूयमेंदखे्ेहुएयाँधचकीनज़रएक क्षणकेधलएअपनीमाँसेजाटकरायीथिी।धप्ाकीओरउसनेदखे ा भीनहींथिा।केवलअनभतुवकीथिी,हरजगह,हरसमय,एकघणृा।
“म्पि्ू...कया़िायदा्ेरेपिनेका,”शहतुयदानेहवामें हाथिधहला्ेहुएकहा,“धनकमम!े”
“पि ्ो रहा ह,ै” माँ बीच में बचाव कर्े हुए बोली थिी। उसने मम्ा से याँधच को अपनी छा्ी से लगा धलया और पयार से उसका धसरथिपथिपा्ेहुएशहतुयदासेकहनेलगी,“बेह्रहोगाधकअब्मतु इसेमआतु ़िकरदो,”धफरशहतुयदाकेउत्रकीप्र्ीक्षाधकयेधबना यकायक याँधच से बोली, “जा अपनी अचछी-सी नहाने की पोशाक ले आ, पापा ्झतु े भी नहलाने ले जायेंगे।”
याँधचसमझनहींपायाधकइ्नीदरे सेचलरहेइसझगड़ेकाअ्ं इ्नी जरदी कै से हो गया। लेधकन वह शीघ्र्ा से खड़ा होकर दालान की ओर भागा। वहाँ से एक छोटे से अिं रे े कमरे में गया। दराज़ों में अपने ्ैरने की पोशाक ढूँिने लगा। एक दराज़ में पोशाक धमल गयी। यह पोशाक ठीक उसके पापा की पोशाक जैसी थिी। बस, ज़रा-सी छोटीज़रूरथिी।यहदोनोंपोशाकेंश्ीम्ीशहतुयदानेहीधसलीथिीं।
धप्ाअधसथिरसेधदख्ेथिे।पतनीसेधबनाकतुछबोलेशहतुयदा झाड़ीकेनज़दीकऐसेचपतुचापखड़ाथिाजैसेधकउसेदरेकररहेलड़के की प्र्ीक्षा करनी पड़ रही हो। लेधकन वास्व में वह कतु छ और ही सोच रहा थिा। लोहे के विार को पार करके वह अपनी सामानय गध् सेभीअधिकगध्सेझीलकी्ऱिबिरहाथिा।लड़काअभी्क पोशाक ही ढूँि रहा थिा।
याँधच अपनी छठीं कक्षा की वाधषक्त परीक्षा में लैधटन भाषा में फे ल हो गया थिा। इन गधमय्त ों में कमपाट्तमटें की परीक्षा होनी थिी। इसधलए उसे छतु रट्टयों में भी धबना मन के पिना पड़ रहा थिा। धप्ा ने उसेएकहफ़्े्कझीलमेंसनाननकरनेकीसज़ादेरखीथिी।अभी उसकी सज़ा के दो धदन शषे थिे। झील सनान का यह अवसर याँधच खोना नहीं चाह्ा थिा। वह अिीर्ा से कपड़ों को इिर-उिर फें क रहाथिा।अ्ं्:उसने्ैरनेकीपोशाकढूँिलीथिी।वहपोशाक कोघचतुमचतु करहवामेंउड़ा्ेहुएआगँनमेंआया।वहाँध़िफ्तमाँ इधन्ज़ार कर रही थिी। उसने उचक्े हुए अपनी माँ के पयारे-पयारे मखतु पर एक पपपी दी और धप्ा के पीछे दौड़ पड़ा।
माँ पीछे से धचरलायी थिी धक बाद में वह भी झील धकनारे आयेगी।
शहतुयदापगडंडीपरलगभगबीसक़दमआगेथिा।भाग्ेसमय याँधच की चपपलों की थिपक से धमट्टी उड़्ी जा्ी। झाड़ी वाली पटरी केसाथि-साथिवहजरदबाजमेंदौड़रहाथिा।लेधकनधप्ा्कपहुचँने
से कतु छ पहले ही अपनी गध् मदं कर ले्ा और अपने आस-पास दखे ्े हुए यँू धसमट जा्ा जैसे माधलक के पीछे टहल्ा कतु त्ा यह सोच कर धसमट जा्ा है धक कया माधलक उसे दततु कारने वाला ह।ै
धप्ा अब ्क एक शबद भी नहीं बोले थिे। ऊपर की ओर महँतु कर्े हुए शनू य में दखे रहे थिे। बीच-बीच में अपने धप्ा के मखतु की झलक दखे ने पर याँधच को लग्ा धक धप्ा के मखतु पर कठोर्ा छायी हुई ह।ै याँधच को लगा धक उसके धप्ा उसका ख़याल नहीं रख रहे हैं और वह उनके धदमाग़ में भी नहीं ह।ै
याँधच जो एक क्षण पहले प्रसनन थिा अब उदास बोधझल क़दमों से आगे बि रहा थिा। उसे पयास लग रही थिी। कतु छ पीना चाह्ा थिा, साथि-साथिलघशतुकंासेभीधनवत्ृहोनाचाह्ाथिा।उसकामनकर रहा थिा धक वापस घर की ओर मड़तु जाये, लेधकन डर्ा थिा धक धप्ा धफर क्ोधि् हो जायेंगे। अपनी उस धसथिध् से उसके धलए छतु टकारा पानामधतुश्कलथिाऔरउसकीभलाईइसीमेंथिीधकवहचपतुचाप धप्ा के पीछे चल्ा जाये।
वह प्र्ीक्षा में थिा धक धप्ा अब उसे कया आदशे दगें े। बंगले से झील ्क का रास्ा कतु ल धमला कर चार धमनट का थिा।
झील में नहाने का यह धकनारा बहु् ही टूटी-फूटी अवसथिा में थिा।नयहाँपरधबजलीथिीऔरनहीअनयसाव्तजधनकसधतुविाए।ँ पतथिरों वाला यह धकनारा अतयं् धनमन स्र का थिा। यहाँ ध़िफ्त छोटे ्बकेकेकमच्तारीहीअपनीछतुरट्टयाँमनानेआ्ेथिे।
बाहर की ्ऱि ख्े ों में सट्ाबेरी के पेड़ों के नीचे मधहलाए-ँ परुतु ष सादे कपड़ों म,ें नंगे पाँव ्रबजू और भट्टतु े खा रहे थिे।
शहतुयदाअपनेपररधच्ोंसेअपनीपरतुानीमिरतुआवाज़मेंदआतु सलामकर्ाजा्ा।इसमहाभार्केबीचख़शतुीकेइनचदंसहज क्षणोंसेयाँधचनेयहअदंाज़ालगायाधकधप्ाउ्नेक्ोधि्नहींहैं धज्ने धदख्े ह।ैं हालांधक अगले ही क्षण धप्ा के चहे रे पर धफर क्ू र्ा केभावनज़रआनेलग्े।सरूजकीरोशनीमेंझींगरतुअपनागानागा रहे थिे। उनके नथिनतु ों ्क मीठे ठहरे हुए पानी की सौंिी महक आने लगी थिी। धकनारे पर बनी नहाने की वह टूटी-फूटी इमार् भी अब धदखायीदनेेलगीथिी,लेधकनशहतुयदाअबभीचपतु थिा।
इमार्कीदखे रेखकरनेवालीमधहलाश्ीम्ीइश््ैनैशनेअपने जड़ू े में लाल रंग का सकाफ्त बांि रखा थिा। उसने कपड़े बदलने के केधबनखोलकरउनहेंअदंरआनेकीइजाज़्देदीथिी।पहलेकेधबन में धप्ा को और दसू रे में पत्रतु को, जहाँ अकसर उसकी माँ कपड़े बदल्ी थिी, कपड़े बदलने की अनमतु ध् दे दी।
दरूएकयवतुककेअलावाधकनारेपरऔरकोईभीनहींथिा।वहाँ धकसीटूटी-फूटीछोटी-सीनावकीमरमम्चलरहीथिी।यवतुकज़गं लगीमड़तुी-्ड़तुीकीलोंकोसीिाकरनेमेंवयस्थिा।याँधचजरदीसे अपने कपड़े बदल के धबन से बाहर आ गया, लेधकन वह समझ नहीं पा रहा थिा धक कया करे? वह पानी में कू द जाने को बे्ाब थिा, लेधकन धप्ा की आज्ा के धबना वह यह दसतु साहस नहीं कर सक्ा थिा। इसी असमजंसकीधसथिध्मेंवहअपनेपैरोंकोदखेनेलगा।जब्क उसकेधप्ाकपड़ेबदल्ेवहबड़ीसक्ूम्ासेअपनेपैरोंकोमआतुयना कर्ारहा।शहतुयदाअपनीलालरंगकीनहानेकीपोशाकपहनकर
 जनवरी 2022 / ववशववा
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