Page 12 - Vishwa January 2022
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के धबन से बाहर आ गया थिा। उसकी थिोड़ी-सी ्ोंद धनकली हुई थिी। उसने कतु छ क्षणों ्क पहले की ्रह इधन्ज़ार धकया। उसकेसीनेकेकालेबालोंकोयाँधचहमशेाहरैानीसेदखे्ाथिा। “ह,े”अ्ं्:क्ोिसेबोलाथिा।धफरिमका्ेहुएभारीआवाज़
याँधचनेधप्ाकीआखँ ोंमेंकतुछपिनाचाहा,लेधकनइसप्रयास मेंउसेसफल्ानधमली।धप्ाकेचश्मेकासोनेकाफ्ेमबहु्चमक रहाथिा।वहशरमा्ेहुएअपनेधप्ाकोझीलमेंनहा्ेदखे्ारहा।
“अब आ सक्े हो ्मतु ।” धप्ा की इजाज़् धमलने पर याँधच दबतुक्ा-सहम्ापानीमेंउ्रगया।वहधप्ासेएकक़दमकी दरूीपरथिा।लेधकनयाँधचअपनेआपकोपरूी्रहधभगोनहींरहा थिाऔरनहीअपनेपसदंीदाढंगसे्ैरपारहाथिा।शहतुयदानेयह बा्जानली।
में बोला, “खले कर रहा है मरे े साथि, चल धनकल, मज़ाक म् कर।” लेधकन कोई जवाब नहीं आया। “कहाँहै्?ू”शहतुयदानेऊँचीआवाज़मेंढूँि्ेहुएपछूा।
अपने आस-पास, दरू ्क, पीछे की ्ऱि जहाँ याँधच धगरा थिा हर ्ऱियाँधचकोढूँिनेलगा,कयोंधकयाँधचपानीकेनीचेभीअचछी ्ैराकीकरले्ाथिा।
यहसबकरनेकेबादशहतुयदानेअनभतुवधकयाधकयाँधचकी इसदसूरीडतुबकीमेंपहलीडतुबकीसेभीअधिकसमयबी्चकतुा थिा। बहु् अधिक समय।
“कयों डर लग रहा है कया?” ध्रसकारपणू ्त शबदों में धचड़धचड़ा्े
हुएशहतुयदानेपछूाथिा। वहबरतुी्रहसेडरगया।जरदीसेपानीमेंकूद्ाहुआउस
“नहीं ्ो !”
“धफरगोबरगणशे-साकयोंबैठाह?ै” वेउसखबंेकेनज़दीकखड़ेथिेधजसकेदसूरी्ऱिबचचेसनान
सथिानपरपहुचँाजहाँलड़कापानीमेंधगराथिा।बीच-बीचमेंलगा्ार धचरला्ाजारहाथिा,“याँधच...।याँधच...।”
वहयाँधचकोखबंेकेपीछेकी्ऱिभीनहींढूँिपाया।उसने अपनी दोनों बांहों से प्वार की ्रह पानी को हटाना शरूतु धकया। बे्र्ीबी से पानी हटा्े हुए उसने झील की स्ह पर दखे ने का प्रयास धकया,धकं्तुधमट्टीवालेपानीमेंवहएकबाधलश््सेअधिककतुछभी
कर्े ह।ैं याँधच के सीने ्क पानी थिा, हालांधक उसके धप्ा ध़िफ्त
कमर ्क पानी में डूबे थिे। दोनों अपनी टांगों को मोड़ पानी में बैठ
गयेथिे।अबवेगदन्त ्कपानीमेंडूबेहुएझीलके दधूियानीले
पानीकीथिपथिपाहटकाआनंदउठानेलगे।दधूियानीलापानीउनके नहींदखे सका।धफरउसनेअपनेसखू ेधसरकोपानीमेंडतुबोयाऔर आस-पासउछालेंमाररहाथिा।शहतुयदानेखलेनेकेमडूमेंहसँ्ेचश्मेकेपीछेसेअपनीपैनीधनगाहोंसेएकमछलीकी्रहटटोलने हुएयाँधचसेपछूा, लगा।ढूँि्ारहा,ढूँि्ारहा,हर्रहकाप्रयासकर,रे्मेंपेटके
“कयों दोस्, डरपोक हो कया?”
“नहीं।” इसपरशहतुयदानेअपनीदोनोंबाँहोंसेलड़केकोउठाकर
उछाल्े हुए पानी में फें का धदया। याँधच हवा में लहराने लगा। वह छपाक की आवाज़ के साथि अपनी कमर के बल पानी में धगरा थिा। एकअजीब-सीधवधनकेसाथिपानीफटगयाथिाऔरधफरएक रहसयमयढंगसेयाँधचकेऊपरधफरसेजड़तु गयाथिा।याँधचकतुछ क्षणों ्क पानी में डूबे रहने के बाद कधठनाई से पानी की स्ह पर आ पाया थिा। अपनी नाक और महँतु में भरे पानी को उगलने लगा। उसने एक-दो बार ज़ोर से अपनी आखँ ों को मला, कयोंधक पानी से धनकल्े ही वह एकदम से कतु छ भी नहीं दखे पाया थिा।
“कयोंमज़ानहींआयाकया?”धप्ानेपछूा।
“नहीं ्ो... ठीक थिा।”
“धफर एक बार और।” एक... दो... और ्ीन की आवाज़ के
साथिहीशहतुयदानेपरूीशधक्सेयाँधचकोउठाकरहवामेंउछाल धदया।यहलगभगवहीसथिानथिाजहाँउसनेपहलेयाँधचकोफेंका थिा।लेधकनइसबारपहलेसेभीअधिकदरूीपरउछालफेंकाथिा। वहींउसीखमभेकेपीछे,जहाँशहतुयदाभीयहनहींदखे पायाधक धकस्रहउसकालड़काखमभेकेदसूरी्ऱिहवामेंपलटीले्ेहुए अपनीकमरऔरधसरकेबलपानीमेंजाधगराथिा।इसधलएशहतुयदा पलट कर ढूँिने लगा।
उसके सामने बला्ोन का धकनारा थिा। झील ऐसे चमक रही थिी जैसे करोड़ों ध््धलयों के हीरे जैसे चमक्े पखं झील की स्ह पर पानी को थिपथिपा रहे हों।
बल,कतुहनीके बल,एड़ीके बल,कभीएक्ऱिकोझकतु ्ेहुए,हर ्ऱि, छोटी-सी छोटी जगह पर जहाँ वह ढूँि सक्ा थिा।
परयाँधचकहींनहींथिा।
हर ्ऱि बस पानी ही पानी थिा। एक जैसा डरावना पानी। पान उगल कर कधठनाई से उठ्े हुए उसने गहरी सांस ली थिी।
शहतुयदाजब्कपानीकेनीचेडतुबकीलगायाँधचको्लाश कर रहा थिा, उसे ििंतु ली-सी आशा थिी धक इस बीच उसका लड़का पानी से बाहर आ गया होगा, हसं ्े हुए उसके सामने खड़ा होगा खबं े के नज़दीक या झील धकनारे, या के धबन में कपड़े बदल रहा होगा। लेधकन ्भी उसने महससू धकया धक यह ध़िफ्त उसका भ्रम थिा धक वह पानी के भी्र दरे ्क रहा थिा, जबधक वास्व में वह पानी के अदंरकेवलएकयादोक्षण्कहीथिाऔरइसदौरानबचचाझील से बाहर जा ही नहीं सक्ा थिा।
पानी की स्ह इ्नी शां् और इ्नी अजनबी भी हो सक्ी हैऐसीकरपनाअब्कशहतुयदानेनहींकीथिी।
“अरे,कोईह?ै”धकनारेकी्ऱिमहंतुकरकेधचघंाड़ाथिाशहतुयदा। उसकोअपनीहीआवाज़अजनबीलगरहीथिी।
“कहीं नहीं है वह,” नावकीमरमम्कररहेयवतुकनेदरूसेआ्ीआवाज़परकान
लगा्ेहुएपछूा,“कयाबा्ह?ै” “कहींनहींह,ै”भयसेउसकीआवाज़भीघरघराउठीथिी। “कौन?” “मझतुेनहींधमलपाया,”गलाफाड़करधचरलायाथिाशहतुयदा,
“बचाओ।”
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विशिवा / Áजनिरी 2022
































































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