Page 15 - Vishwa_April_22
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उकेनीभाषामेंअनवुािदकयाथा।बािमें‘सपतसरोर’मेंप्रकादशत कहादनयरोंकाभीउ्हरोंनेरूसीमेंअनवुािदकया।वेपहलेरूसी दवद्ान थे दर्हरोंने प्रेमचिं की रचनाओ ं पर दृदषट िौड़ाई। इस तरह उ्हरोंनेतलुसीिासऔरप्रेमचिंरैसेभारतकेिोमहानसादहतयकाररों सेरूसीरनताकोपररदचतकरानेकामहानकायजादकयाह।ैअनवुाि केअलावाउनकीअ्यप्रमखु पसुतकेंह–ैं
दहमपालय ददवस ्र दवशरेष लघु आलरेख
‘दह्िसु तानी’ (उिजाू और दह्िी), ‘दह्िसु तानी की पेचीिा दकया पर्दत’, ‘उिजाू में रारसी के ततव’, ‘दह्िी की समसयाए’ँ तथा ‘भारतीय भाषाओंकी परंपरा में ऐदतहादसक तलु नातमक पर्दत के ततव’ आदि।
भारतीयता एवं दह्िी के प्रदत समपजाण की दृढ़ भावना उनके पत्ु पयोत् बाराद्नकोव एवं पौत् चद्रं बाराद्नकोव के रूप में आगे भी रारी रही।
  दहमपालय मतलब केवल बर्फ?
दहमालयकीपहलीसमदृतनसजारीकलास
की ह,ै रब हमें दपकदनक के दलए
अलमोड़े से कौसानी ले राया गया था।
एक बहुत दवशाल दहमपरंु के सामने (युवा लेखक, पत्रकार, ववचारक) अवाकहोगए।तीन-चारबरसके िवेतातमानगादधरारकहतेह।ैंशांदतका एकिबुलेबचचेकीछदवधधँुलीयाि अथजाभीराना।
की तरह अभी तक बची हुई ह।ै वैसा दहमालयमनैंेदररकभीनहींिखेा।
नैनीतालमेंमरेेसकूलके एकसिु रू
कोनेसेदहमालयदिखाईितेाथा। बरजासेढकीचोदटयाँदहमालयनहींहोतीं। सकू ल के नरिीक दसथत सनो वयू की तरजा पर हम इसे छोटा सनो वयू उसके पहले दरन हरे-नीले-सलेटी पहाड़रों की शंखलाएँ पसरी दिखाई कहते थे। मशहूर दचत्कार के एल वमाजा हमें पदें टंग दसखाते थे। उनकी िते ी ह,ैं वे सब भी दहमालय ह।ैं रात के वकत्त इन पहादड़यरों पर दिखाई कलासेरसबसेअचछीइसमायनेमेंलगतीथींदकहफतेमेंएकबार िनेेवालीएक-एकरोशनीएकघरहोतीह,ैदरसकेभीतरएकपरूा वेहमेंछोटासनोवयूलेरातेऔरहमसेकहते,‘दहमालयकोिखेो’।पररवारअपनेमवेदशयरों,लोकिवेताओ,ंबचचरोंकीकहादनयरोंऔर दहमालयअकसरनहींदिखता,कभीवहबािलरोंकेपीछेहोताकभी परुखरोंकीसमदृतयरोंकेसाथखानापकाकरसोनेकीतैयारीकररहा कोहरे के । हम कहते, ‘दहमालय नहीं दिख रहा सर’। वे मीठी दझड़की होता ह।ै वे सारी रोशदनयाँ दहमालय ह।ैं उन रोशदनयरों के सवपनरों में ितेेहुएकहते,‘ऐसेबनोगेतमु लोगपेंटर!तमु रानतेहोवहवहाँह।ै आनेवालेरगंलकीहररयालीऔरबनैलेपशुभीउतनेहीदहमालय आखँेंबंिकरोऔरबािलरोंकोहटाकरिखेो।वहींहैदहमालय।’हैंदरतनाउनकेग्रामगीतरोंमेंसतततऊूउ-तऊूउकरतीरहनेवाली इसतरहबारह-तेरहकीउम्रमेंदहमालयकोतबभीिखेनासीखा,दचदड़या।
रब वह दिखाई नहीं ि।े
 19अगसत1994केदिनभारत-दत्बतसीमापरदसथतिारमा
घाटीसेवयांसघाटीकोरोड़नेवालेबीसहराररुटऊँचेदसन-ला
िरदे को पार करते हुए असल दहमालय से सबसे नरिीकी साक्षातकार
हुआ।पचंचलूीकीचोदटयाँइतनेनरिीकथींदकउनमेंअपनेचहेरे सेउसेबचानेकीररूरतकोलेकरनारेउभरेउससेजयािातेरीसे काअकसिखेारासकताथा।दपछलेछहघटंरोंसेबरजामेंधसँेहुएउसकीबबाजािीकीपटकथादलखीगई।पंरूीऔरउसकेलालचने और बेरान हो चकु े हमारे थके हुए पैर दकसी तरह आगे बढ़ पा रहे दहमालय को उपभोग की वसतु बना दिया। सरकारी प्रचार सामदग्रयरों थे।अगरसवगजाहोताहैतोसामनेऐसानराराथा,दरसकीतलुनामेंदमलनेवालादहमालयदकसीमनषुयताहीनप्राइवेटदलदमटेडकंपनी सवगजासेकीरासकतीथी!ऐसेमेंपचंचलूीसेएक्लेदशयरटूटकर काआभासिनेेलगा।यहप्रहसनअभीतकरारीह।ै दगरा।बहराकरिनेेवालीऐसीआवारमनैंेकभीनहींसनुी।हमारे अगलीिरादकसीऐसेदहलसटेशनपरराए,ँदरसकेबारेमें आसपास कहीं ऊपर से हराररों टन तारा बरजा सरसराती हुई नीचे आ आपने सनु रखा हो दक वहाँ से दहमालय दिखता है और मौसम या धधंु रही थी। हम उसकी चपेट में आ भी सकते थे, नहीं भी आ सकते थे। के कारणआपकई-कईदिनतकउसेनिखे पाएँतोदकसीदचदड़याकी अप्रदतमसिंुरदहमालयसामनेखड़ीमौतभीहोसकताह,ैपहलीिराआवारमेंउसेिखेनेकीकोदशशकरें।घासकेदवशालगट्रअपनेसर राना।एकाधघटंेबािदकसीतरहिराजापारहुआऔरआदिकैलाशपरलािेमर्मचालमेंरगंलसेलौटरहीदकसीकमठजापहाड़ीऔरत कीगररमामयचोटीसामनेआईतोरानाकयरोंहमारेपरुानेग्रथंइसेसेउसकापतादमलनेकीपरूीसभंावनाह।ैपछूकरिखेसकतेह।ैं
अशोक पांडे
दहमालय दकन-दकन चीररों से बनता ह–ै इससवालकाउत्तरखोरनेकाशऊर पानेमेंआधीदरिं गीलगरातीह।ै दसरजा
आसमां के हमसाये इस सबसे ऊँ चे पवजात को अललामा इकबाल दकंदचतगवजाकेसाथहमारासतंरीऔरपासबांबतातेथे,लेदकन बीसवींशता्िीकेबीचमेंयँूहुआदकदहमालयसेरड़ुीहरअतंरंग चीर को पयाजावरण और पाररदसथदतकी कहा राने लगा। दरतनी तेरी
 Áअप्रैल 2022 / विशिवा
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