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वदराम।ेंपत्-पललिकेपथिपर्ात्ाकरआकारमखुीपखं रुर्ोंके वखलानेसेउसकाअवभसारपिूत्शाप्राप्करनाह।ैमानि-जीिनभी मानोंउसीभांवतएकअवभप्रा्कोसपंिूत्शादनेेकेवलएकालसे कालांतर में विवभनन प्रजनमों के मध् ्ात्ा कर रहा ह।ै उसका प्रारंभ जैि-जीिनकीप्रिवृत,कामनाऔरउसकीपवूत्शसेह।ै परंतुवकसी वभननमखुीअपररहारीअवभप्रा्सेिहजैि-जीिनकीजीि-प्रिवृत्त को पराभतू कर एिं उसका अवतक्रमि कर अपने जीिन में ही एक वभननप्रकृवतकीभािभवूमकीरचनाकीतपस्ामेंवनमगनह।ै इस वमट्ीमेंवनवहतजीिनऔरसवृटिकेरहस्एिंव्तिकेअतंरालमें अव्तिके सिं ानके माध्मसेही्हाँकामानि्गु ोंसेवजस भािातमकससंारकोरचनेकीचटिेामेंवनमगनह,ैिहीवभनन-वभनन अि्िों के रूप में वभनन-वभनन काल ख्ं ों में अवभव्ति हुआ ह।ै वकनतुउसकेअतंवन्शवहतसिरूपमेंभारतिष्शकीविवरटिताऔरइकाई समग्तामेंप्रक्टहुईह।ैसािककीसािनाम,ेंकविकेकाव्म,ें सगंीतज्केसगंीतमेंऐक्केआविष्कारऔरउसीऐक्कोपाने कीतपस्ासभीओरसेपररलवक्षतह।ैजनमसेमतृ्ुप्ांतविसततृ जीिन में सामव्क चचा्श और आचरि में जीिन का िह अवभप्रा् और कातर वनिेदन एक विरषे रूप पररग्हि करने का प्र्ास कर रहा ह।ै कहीं-कहीं िह रूप वकसी-वकसी व्वति के जीिन में ्ा सावहत् के कालपवनक चररत् में उजजिल और सपटि होकर इस जीिन दरन्श औरजीिनिाराकाविवरटिविग्हमवूत्शिनग्ाह।ै श्ीराम,श्ीकृष्ि, िधिु , पारसनाथि और गांिी इस जीिन सािना के उजजिलतम विग्ह ह।ैं औरइतनाहीक्ों?समंग्विश्वससंकृवतमेंमहाप्राि्ीरुतथिा
हलचल : शदेललोटि, ना्मा कैरोवलना शाखा
्ीपा्वली प्वमा 2020 का जूम पर भव्य आ्योजन
प्सतुरत : रप्या भारद्ाज, शाखा अध्यक्ष
अतंरा्शष्ट्ी्वहनदीसवमवतकी आगामी अध्क्षा श्ीमती अनीतावसघंल,्ॉ.के.्ी. उपाध्ा्एिंश्ीमहरेदरेाश्ी केसदप्र्ासोंसेरलेचो्ट,नाथि्श कैरोवलनामेंअतंरा्शष्ट्ी्वहनदी सवमवत की राखा का गठन वक्ा ग्ा वजसकी अध्क्ष वप्र्ा भारद्ाज मनोनीत की गई।
राखा का प्रथिम का््शक्रम
31 अक्टूिर 2020 की राम को वदिाली पि्श के उपलक्् में थिा, ज़मू पर काव्-सधं ्ा।
   हजरतमहुममदइसीप्रकारसेअनन्तमह।ैं अध्क्षानेसभीप्रवतभावग्ोंकासिागतकरतेहुएकहावक भारती्ज्ानपीठऔरउसकीप्रिरपररषदकोिन्िाददतेाहूँ ‘अतंरा्शष्ट्ी्वहनदीसवमवतसिवहनदीभाषीप्रिासीभारती्ोंतथिा वजनहोंनेसममावनतरचनामेंअवखलभारती्जन-जीिनकावचत्ांकन उनकीसतंानोकोवहनदीकेप्रचारिप्रसारकेवलएएकमचं दनेेका दखेाह,ैउनहोंनेअवखलभारती्जीिनकीकहानीकेरूपमेंहीइसप्र्ासहैजोहमारीभािीपीढ़ीमेंवहनदीभाषाकीसमझऔरउचच
रचनाकोसममावनतकरनाचाहाह।ैउनहोंनेदखेाह–ैभारतकेलाखों गाँिों में रहने िाले अवखल भारती् ग्ामीि जनसािारि िाह्य रूप में कु्वभननहोतेहुएभीभीतरसेएकहीसािनामेंवनमगनह,ैंएकही वसवधिकीओरउनमखु ह।ैंउनकीवनजीआरा-आकांक्षा,दखु-दद,्श प्रशन-समस्ाए,ँ रीवत-प्रकृ वत एक ही ह।ैं िाही वभननता होते हुए भी, िे एकताकेसत्ूसेिंिेहुएह।ैंउनहोंनेअवखलभारती्ससंकृवतकीिेदी सेअवखलभारती्दृवटिकीउदारतासेसपंननअवखलभारती्जीिन कीकहानीकेरूपमेंहीइसरचनाकोसममावनतकरनाचाहाह।ै
भारती्ससंकृवतनेकालसेकालांतरकेदरेसेदरेांतरकेभाि-
जीिन तथिा सांसकृ वतक जीिन के ससं पर्श में आकर जहाँ तक सभं ि
हुआ वनरंतर उसे अपना्ा ह।ै उसके चारों ओर के मखु ् द्ार सदिै
खलुेरहेह।ैंइसीमनोभािकोप्रकावरतकरनेकेवलएआचा््शरकंर
नेकहाथिा,“मातामेंपाि्शतीदिेी,वपतादिेोमहश्वेरों,मानजुाभ्रातर:
सिपेसिदरेोंभिुनत््म।”इस्गुमेंरिीनद्नाथिनेकहाह–ै“रकहूि
दलपाठानमोगलएकदहेहल़ॅोलीन।”भारतससंकृवतकेअगं-अगं उमगंगोसिामीऔरतोषीरमा्शनेक्रमरः‘करिाचौथि’और
पर इस त्थ् का विवचत् पररच् पररलवक्षत ह।ै ‘दीपािली’ तथिा ‘कानहा’ सनु ाई।ं (्हसामग्ी‘ज्ानपीठपरुसकार’सपंादक–विरन्टं्न, लाहो्टीजीनेिन्िादज्ापनवक्ा।
प्रकारक – भारती् ज्ानपीठ, नई वदलली से ली गई ह।ै )
भारती् जीिन मलू ्ों को विश्व में सथिावपत करने में सहा्क होगा। का््शक्रम में िाल गप्ु ा की कविताओ ं ‘दरे ्ोड़ आए हैं हम’ एिं‘मैंऔरमरेीपतनी’,अजंुअग्िालकी‘सनूीदीिाली’,साक्षी कुलश्ठिे कीकविता‘मरेेकानहा’और‘अिंरेावम्टानेकानाम
दीपािली’ ने रंग जमा वद्ा।
दिे वमश्ा ने ‘कृ ष्िा-वनंदा सतवु त’ नामक रचना प्रसततु की। अजंलीनेदोकविताएँपढ़ीं–‘वकसराििकोमारूँ’और
‘उवमल्शा’।
गीता वगललोरर्ा ने अपनी रचना से िचपन की दीपािली की
्ाद वदला दी।
वप्र्ाभारद्ाजजीने‘मगृ मारीच’रचनाकापाठवक्ा।आरीष
वतिारी की गज़ल का अपना ही आनंद थिा वजसने मौसम को रंगीन िनावद्ा।
श्वेतागप्ु ाने‘सीताजीकीव्थिा’और‘माँ’कविताएँप्रसततु कीं।
 अप्रैल 2021 / विशिवा
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