Page 22 - Vishwa January 2024
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महत्वपणू शि जबनदु है ‘लोक’ और िब ‘स्‍ती’ की बात आती है तो ‘लोक’छूटहीनहींसकता।्हरहोयाजकगाँव,औद्योजगकरणका दौरहोयाजकपँिूीवादका‘लोक’कीपररभाषा‘स्‍ती’केबगैरअधरूी ह।ै पररवार,परमपरा,समाि-सस्ंकृजत-सभयता,आजथशिक-रािनैजतक पररदृश्यकाइजतहास,‘स्‍ती’िैसेमहतवपणूशिकारककेबगैरप्रतयक्ष यापरोक्षपणूतशिाप्रापतहीनहींकरसकता।लोकऔरसस्ंकृजतका प्रतीक ‘स्‍ती’ यगु ों से साजहतय-इजतहास के पष्ृ ‍ठों से अनपु जस्थत रखी गई। इस ‘लोक’ की इजतहास या‍ता को समटे े बगैर ‘स्‍ती जवम्’शि के सदंभशिमें‘जहनदीसाजहतयकाइजतहास’अधरूाह।ै
िैसीरचनाएँसामनेआई।ं‘जहनदीसाजहतयकाइजतहास’परजवश्लेषण करतेहुए‘समुनरािेिीने‘जहनदीसाजहतयकाआधाइजतहास’ (2003)जलखजदयाऔरजफरममताकाजलयािीने–‘मजहला लेखनकेसौवष’शि(2020)–येसभीतरययहप्रमाजणतकरतेहैंजक ‘आधजुनकजहनदीसाजहतयकाइजतहास’औरउसकीजवकासया‍तामा‍त साजहजतयकदस्तावेिनहींबजलकगौणरचनाकारों,उनकीरचनाओ,ं अनपु जस्थत ‘लोक’ और हाज्ए के हस्ताक्षरों, उपेजक्षत िन-समािों, बोजलयों-भाषाओ ं की जवकास या‍ता के साथ ही उनका इजतहास भी हैिोगभंीरअनवेषणऔरनयायकीमांगकरताह।ैस्‍ती-जवम्शिके बीिभारतीयसाजहतयमेंअदंाल,िनाबाईदासी,ललद्यद,हबबा खातनू,रुकैयाबेगम,पजंितारमाबाई,साजव‍तीबाईफुलेसेचलकर महादवेीवमाशि,रमजणकागपुता,नाजसरा्माशिआजद-आजदतकपजुष्पत- पललजवत होती ह।ैं प्रतयेक कालखिं में स्‍ती जवम्शि के साजहजतयक हस्ताक्षरह,ैंआवश्यकताइससाजहजतयकसघंषशिकोदिशिकरनेकी ह।ैऔर,स्‍ती-जवम्शिकेसदंभशिमेंस्‍ती-परुुषलेखकऔरजचतंकको साथचलनाभीहोगा।सजममजलतप्रयासकेबगैरयहया‍ताअबतक की तरह एकांगी और आधी ही रह िाएगी। और, स्‍ती-जवम्शि भी
‘आधजुनकजहनदीसाजहतयऔरस्‍ती-जवम्’शिकेसदंभशिमेंचौथा
महत्वपणूशिजबनदुहैि्हसएक्ििसि्जजिसेहम‘वणशिवयवस्था’
तोछोजडएसमािकाहीअगं नहींमानते।परनतुश्ेष्‍ठसगंीत,श्ेष्‍ठ
नतृ य, श्ष्े ‍ठ कावय का जवकास और सरं क्षण इसी समाि में हुआ
“तवायफोंकासमाि”।जहनदीसाजहतयऔरस्वाधीनताआदंोलन
केजवकासकाइजतहासइनकेयोगदानकोस्वीकारजकएबगैरअधरूा
हीह।ै अज़रीजनब्ई(कानपरु;वाजिदअजल्ाहद्ारासरंजक्षता),
उिर्ि ज्न (1840) जद्दनब्ई (1892-1908) ि्हजरन (वाजिद अली्ाहकीसरंजक्षता);िोरनसरक्र(महाराणारणिीतजसहंकीखमेबेािीके्तरंिमेंउलझकरअपनीलक्यप्राजपतसेदरूहीरहगेा पतनी), बेगि सिरू (उत्तर प्रद्े ), बेगि िज़रत ििल (वाजिद कयोंजक आचायशि ्कु ल की तीसरी प्रजतज्ञा– “आजद से अतं तक इनहीं अजल्ाह की पहली पतनी), गौिर ज्न (26 िनू 1873-17 िनवरी
1930)जिनहें ‘The gramophone girl’ कहा िाता ह,ै आजद की रचनाओंनेजहनदीकीलोकजप्रयताबढ़ाईह।ैअतः‘आधजुनकजहनदी साजहतय का इजतहास’ में इस जद्ा पर भी जवचार एवम् काम होना चाजहए।
कहने का अजभप्राय यह जक जद्वेदी-यगु में साजहतय में उपेजक्षता स्‍ती-पा‍तोंपरबहसचलीतो‘उजमलशिा’,‘मारिवी’,‘जवष्णजुप्रया’–
अमरीकपामेंअंबिे कर
14 अक‍टूबर 2023 को अिररीक् के एकोके क (िरैररीलैंड) िें भ्रत से ब्िर डॉ. भरीिर्ि अंबेडकर की ‘सि्नत् की प्रहति्’ न्ि से भ्रत से ब्िर बनरी अब तक की सबसे ऊं चरी प्रहति् क् अन्िरर हकय् गय्। 13 एकड़ िें िरै ले इस हिश्ल पररसर िें एक उचच सतररीय अधययन कें द्र भरी बन्य् ज्एग्। सिरूप िें यि तरैलंग्न् िें लगरी प्रहति् जरैसरी िरी िरै हजसक् हनि्रार प्रहसद हशलपक्र र्ि सतु ्र ने हकय् िरै।
हिशि्स िरै हक यि प्रहति् ब्ब् स्िब द््र् भ्रतरीय हचंतन के स्र तति सिरूप हिकहसत सहं िध्न के नय्य, सित् और ि्निरीय गररि् के सदं ेश क् हिशि िें प्रस्र करने क् शुभ्रंभ करेगरी।
जचत्तवजृ त्तयों की परंपरा को परखते हुए साजहतय परंपरा के साथ उनका समिं स्य जदखाना ही ‘साजहतय का इजतहास’ कहलाता ह”ै 10 –जितनी अधरूीरहगयीहैउसेपरूाकरनासाजहतयकेजवद्याथशीकेनातेहमारा भी उत्तरदाजयतव ह।ै
स दं भ रा स चू री
1.सन्1848िलुाई,नयूयॉकशिमें‘दसेनेकाफॉलकनवने्न’–‘मजहलाओं के अजधकार’ के जलए मजहलाओं द्ारा आयोजित पहला कांजतकारी सममलेनथासयंकुतराष्ट्रमेंजिसकेसातद्कबादमजहलाओंकोमतदान का अजधकार प्रापत हुआ– https://www.history.com/topics/ womens-history/seneca-falls-convention
2. जहनदी साजहतय का इजतहास, आचायशि रामचनद्र ्कु ल,जद्तीय सस्ं करण, नागरी प्रचारणी सभा, वाराणसी, प.ृ 87.
3. वैचाररकी पज‍तका, मई-िनू 2022, भाग 38, अकं 3, I.S.S.N. 0975- 6531, प.ृ 81.
4. वैचाररकी पज‍तका,मई-िनू 2022,भाग 38, अकं 3, I.S.S.N. 0975- 6531, प.ृ 81.
5. वैचाररकी पज‍तका,मई-िनू 2022, भाग 38,अकं 3, I.S.S.N. 0975- 6531, प.ृ 82.
6. वैचाररकी पज‍तका, मई-िनू 2022,भाग 38,अकं 3, I.S.S.N. 0975- 6531, प.ृ 82.
7. भारतीयसाजहतय,िॉ॰प्रजमलाअवजस्थ,लक्मीकानतपारिेय,लोकभारती प्रका्न प.ृ 105.
8. भारतीयसाजहतय,िॉ.प्रजमलाअवजस्थ,लक्मीकानतपारिेय,लोकभारती प्रका्न, प.ृ 117.
9. जहनदी साजहतय का इजतहास, आचायशि रामचनद्र ्कु ल, जद्तीय सस्ं करण, नागरी प्रचारणी सभा, वाराणसी, प.ृ 101.
10. जहनदी साजहतय का इजतहास, आचायशि रामचनद्र ्कु ल, कालजवभाग, जद्तीय सस्ं करण, नागरी प्रचारणी सभा, वाराणसी.
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विशिवा / जनिरी 2024






































































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