Page 41 - Vishwa January 2022
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 राजेश रेड्ी 1
अब कया ब्ाएँ टूटे हैं धक्ने कहाँ से हम
ख़दतु को समटे ्े हैं यहाँ से वहाँ से हम
कया जाने धकस जहाँ में धमलेगा हमें सकतु ून नाराज़ हैं ज़मीं से ख़़िा आसमाँ से हम
अब्ोसराबहीसेबझतुानेलगेहैंपयास लेने लगें हैं काम यक़ीं का गमतुाँ से हम
लेधकन हमारी आखँ ों ने कतुछ और कह धदया कतुछ और कह्े रह गए अपनी ज़बाँ से हम
आईने से उलझ्ा है जब भी हमारा अकस हट जा्े हैं बचा के नज़र दरधमयाँ से हम
धमल्े नहीं हैं अपनी कहानी में हम कहीं गायब हुए हैं जब से ्ेरी दास्ाँ से हम
कया जाने धकस धनशाने पे जाकर लगेंगे कब छोड़े ्ो जा चकतु े हैं धकसी के कमां से हम
ग़मधबकरहेथिेमले ेमेंख़धतुशयोंके नामपर मायसू होकलौटेहैंहरइकदकतुाँसेहम
कतुछरोज़मज़ंरोंसेजबउट्ठानहींिआतु ं गज़तु रे हैं सांस रोक के अमन-ओ-अमां से हम
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यहाँ हर शख़स हर पल हाधदसा होने से डर्ा है धखलौना है जो धमट्टी का ़िना होने से डर्ा है
मरेेधदलकेधकसीकोनेमेंइकमासमू-साबचचा बड़ों की दखे कर दधतुनया बड़ा होने से डर्ा है
न बस में धज़नदगी इसके न क़ाबू मौ् पर इसका मगरइनसानधफरभीकबख़दतुाहोनेसेडर्ाहै
अज़बयेधज़नदगीकीक़ैदह,ै दधतुनयाकाहरइनसां ररहाई मांग्ा है और ररहा होने से डर्ा है
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शाम को धजस वक़् ख़ाली हाथि घर जा्ा हूँ मैं मसतुकतुरा द्ेे हैं बचचे और मर जा्ा हूँ मैं
जान्ा हूँ रे् पर वो धचलधचला्ी िपू है जाने धकस उममीद में धफर भी उिर जा्ा हूँ मैं
सारी दधतुनया से अकेले जझू ले्ा हूँ कभी और कभी अपने ही साये से भी डर जा्ा हूँ मैं
धज़नदगीजबमझतुसेमज़ब्ूीकीरख्ीहैउमीद ़िैसले की उस घड़ी में कयँू धबखर जा्ा हूँ मैं
आपके रस्े हैं आसाँ आपकी मधंजल क़रीब ये डगर कतुछ और ही है धजस डगर जा्ा हूँ मैं
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ख़ज़ाना कौन सा उस पार होगा वहाँ भी रे् का अबंार होगा
ये सारे शहर में दहश्-सी कयों हैं यक़ीनन कल कोई तयोहार होगा
बदल जाएगी इस बचचे की दधतुनया जब इसके सामने अख़बार होगा
उसे नाकाधमयाँ ख़दतु ढूँढ लेंगी यहाँ जो साधहबे-धकरदार होगा
समझजा्ेहैंदररयाकेमसतुाध़िर जहाँ में हूँ वहाँ मझँ िार होगा
वो धनकला है धफर इक उममीद लेकर वो धफर इक दद्त से दो-चार होगा
ज़माने को बदलने का इरादा ्ू अब भी मान ले बेकार होगा
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यँू दधेखये ्ो आिं ी में बस इक शजर गया लेधकन न जाने धक्ने पररनदों का घर गया
जैसे ग़ल् प्े पे चला आए कोई शख़स सखतु ऐसेमरेेदरपेरुकाऔरगज़तुर गया
मैं ही सबब थिा अबके भी अपनी धशकस् का इरज़ाम अबकी बार भी धक़सम् के सर गया
कुछ गज़लें
एक सरुपररवचत, श्वणीय और पठनीय शायर, संपक्क : rajeshreddyvb@gmail.com
 जनवरी 2022 / ववशववा
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