Page 31 - Vishwa January 2022
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(1896-1982)
सहायकवनदेशक,केंद्ीयवहनदीवनदेशालय,वशषिा मंत्रालय, भारत सरकार, वेस्ट बलॉक-7, आर के परुरम, नयी वदलली, मो. +91-8929408999 E-mail: dkp410@gmail.com
मफ़रपाक़ गोरख्ुरी को 1969 कपा ज्पान्ीठ ्ुरसकपार
— प्रसतरुवत दीपक पाणडेय
बहु् पहले से उन कदरों की आहट जान ले्े ह।ैं
्झदु े ऐ शज़नदगी हर दरनू से पहिान ले्े ह।ैं ्बी््अपनीघबरा्ीहैजबसनदुसानरा्ोंर,ें
हर ऐसे रें ्ेरी ्ादों की िादर ्ान ले्े ह।ैं ्झदुेघाटानहोनेदगेंेकारोबारेउल्फ़्र,ें
हर अपने सर ्ेरा ऐ दोस् हर नकदुसान ले्े ह।ैं।
‘श्फ़राक़ अकसर बदलकर भसे शरल्ा है कोई काशफर- कभीहरजानले्ेह,ैंकभीपहिानले्ेह।ैं।
यह ग़जल बीसवीं सदी के उद्तू के महान शायर श्ी रघपतु ध् सहाय ‘ध़िराक़’ की ह,ै जो शायरी केक्षेत्रमेंध़िराक़गोरखपरतुीकेनामसेजानेजा्ेहैंऔरधजनहेंउनकीकृध्‘गलतु-ए-नगमा’ केधलएसन1969काज्ानपीठपरतुसकारप्रदानधकयागया।भार्ीयसाधहतयकीअधभवधृद्ध में ध़िराक़ का यह महतवपणू ्त योगदान है धक उनहोंने उद्तू कावय के सवर और ससं कार को नया रूपधदया।ख़वाजाअहमद़िारूक़ीकाकहनाह–ै “अगरध़िराक़नहो्े्ोहमारीग़ज़ल कीसरज़मीनबेरौनक़रह्ी,उसकीमरेाजइससेजयादानहो्ीधकवोउस्ादोंकीग़ज़लों कीकाब्तनकापीबनजा्ीयामदतुा्तऔरबेजानईरानीपरमपराओंकीनकक़ालीकर्ी।” उनकीकावय-भाषाकोशकीभाषानहोकरजनसमहू विाराबोलीजानेवालीजीधव्और गजंतुरर्भाषाहैधजसमेंशलैीकाधनखार,सवंेदनशील्ा,िीर्ाऔरस्ंलतुनकेऐसेगणतु पररलधक्ष्हैंजोउद-्तूकावयकेलंबेइध्हासमेंवयाप्ह।ैध़िराक़केकावयकीअ्ं:प्रेरर् सरल्ा अलौधकक्ा का ससं पश्त कर्ी ह।ै अथि्त और लय से समद्धृ ध़िराक़ की कधव्ा में भार्ीयससंकृध्कीबहुरंगीछटाऔरपनतुजा्तग्ृभार्केनव-मानव्ावादकादृश्य-सपदंन प्रध्धबंधब् ह।ै ध़िराक़ प्रेम और सौंदय्त के शायर थिे पर उनहोंने इन धवषयों को नए दृधष्टकोण सेदखेा।उनहोंनेनधस़ि्तयेधकभावनाओंऔरसवंेदनाओंकीवयाखयाकीबधरकच्ेनाव अनभतुधू्केधवधभननपररणामभीप्रस््तुधकए।उनकासौंदय्तबोिदसूरे्मामग़ज़लकहने वालेशायरोंसेअलगह।ैउनहोंनेउद्तूकेहीनहींधवश्वसाधहतयकेभीमानकोंऔरमरूयों सेपाठकोंकोपररचयकरायाऔरसाथिहीयगतु भावना,सांसाररक्ाऔरसभय्ाकेप्रबल पक्षोंपरज़ोरदकेरएकसवसथिवैचाररकसाधहतयकामाग्तप्रशस्धकयाऔरउद्तूग़ज़ल को अथि्त व धवचार और शबद व अधभवयधक् के नए धक्षध्ज धदखाए। जोश मलीहाबादी ने ध़िराक़ के बारे में कहा थिा, “मैं ध़िराक़ को यगतु ों से जान्ा हूँ और उनकी अख़लाक़ का लोहामान्ाहू।ँ इरम-ओ-अदबकीसमसयाओंपरजबउनकीज़बानखलतु ्ीहै्ोलफ़ज़ों केलाखोंमो्ीरोल्ेहैंऔरइसअधिक्ासेधकसनतुनेवालेकोअपनीकमसवादीका एहसासहोनेलग्ाह.ै..जोशख़सये्सलीमनहींकर्ाधकध़िराक़कीअज़ीमशधख़सय् धहदं ू सामईन के माथिे का टीका, उद्तू ज़बान की आबरू और शायरी की मांग का धसदं रू ह,ै वोख़दतुाकीक़समकोरमादर-ज़ादह।ै”ध़िराक़कीरचनाओंमेंधसफ्तप्रेमऔरसौंदय्तकी अधभवयधक् नहीं है अधप्तु उनहोंने समकालीन पररधसथिध्यों, सामाधजक धवषम्ाओ ं ्थिा सव्तहाराकीजवलं्समसयाओंकायथिाथि्तसवरभीमखतुरर्धकयाह।ैध़िराक़गोरखपरतुी नेग़लतुाममरतुकमेंधकसानों-मज़दरूोंकेदःतुख-दद्तकोसमझाऔरअपनीशायरीमेंउनको आवाज़ दी। जब वे इस ्रह की ग़ज़लें और नजमें धलख्े थिे, ्ो उसमें सामयवादी च्े ना
धदखलाई द्े ी थिी। मज़दरू ों का आह्ान कर्े हुए वे धलख्े ह–ैं
जनवरी 2022 / ववशववा
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