Page 18 - Vishwa January 2022
P. 18

आवश्यक्ा ह।ै इस समय भार् में अनेक भाषाओ ं का प्रचार होने केकारणप्रांध्कभाषाओंसेसव्तसािारणकालाभनहींहोसक्ा। भाषाओंकोशीघ्रएककरदनेा्ोपरमावश्यकहोनेपरभीदसतुसाधय सा प्र्ी् हो्ा ह।ै
सथिान होना चाधहए। वे धलख्े ह,ैं “नीयरली आल धद कं ट्ीज ऑफ के वल भार्ीय भाषाओ ं के धलए, न धक पथृ वी भर की सभी भाषाओ ं यरूोपएडं अमरेरकाहवै पाधट्तकतुललषीवनअरफाबेटएडं वनधसरीज केधलएएकधलधपकाप्रचारकरनाह।ै”‘दवेनागर’काधसद्धां्सत्रू ऑफकैरेकटस्त,ह्ाइलवीइनइधंडयाहवैसोमनेी,एडंइजइटनाटअिोधलधख्ह,ै
प्रस्ाव के समथि्तन में नयायमधू ््त शारदाचरण धमत्र ने प्राय: वही बा्ें कहीहैंजोहमअपने‘दशेवयापक’केभाषासबंंिीलेखमेंकहचकतुे ह.ैं.लक्षणअचछेह.ैं....इसमामलेम,ेंजब्कबंगवासीअगआतु न होंगे ्ब्क सफल्ा की कम आशा ह।ै ” (सरसव्ी, फरवरी 1905 (भाग-6, सखं या-2) धवधवि धवषय स्ंभ, पष्ृ ठ 42-43)
इसपत्रकाउद्श्े यहैभार्मेंएकधलधपकाप्रचारबिानाऔरवह धलधपदवेनागराक्षरह।ैदवेनागरकावयवहारचलानेमेंधकसीप्रान्के यरूोपऔरअमरेरकामेंधलधपकीएकरूप्ाह।ै धलधपकीएकरूप्ा धनवासीकाअपनीधलधपयाभाषाकेसाथिसनेहकमनहींपड़सक्ा। भार्मेंभीअधनवाय्तह।ैभार्कीवहधलधपदवेनागरीहीहोनीहाँ,यहअवश्यहैधकअपनेपररधम्मणडलकोबिानापड़ेगा।” चाधहए।यरूोपऔरअमरेरकामेंरोमनधलधपकाजोसथिानह,ैभार्, 1911कीसपंादकीयधटपपणीकीपष्ृठसखंया32पर‘दवेनागर’के वमा्त,श्ीलंका,थिाईलैंडऔरजापानमेंभीदवेनागरीधलधपकावही बारेमेंसकंरपवयक्कर्ेहुएकहागयाह,ै“‘दवेनागर’काउद्श्ेय
नयायमधू््तशारदाचरणधमत्रकाधवचारथिाधकभार्केधवपरी्
टाइमदटै वीशडतु धथिंकऑफएकामनधसक्पट?आईएमकवाइटसयोर यूधवलएनसवर,एस.दटैकामनधसक्पटइनमाईओपीधनयनशडतुबीद दवेनागरी।इटशडतुअककूपाईदसेमपोजीशनइनइधंडयाइनकलधूडंग वमा्तऐडंधसलोनएडंएवेनसयामएडंजापानएजदरोमनकैरेकटर इनयरूोपएडं अमरेरका।”(दधहनस्ानररवयूएडं कायसथिसमाचार, इलाहाबाद, जनवरी 1905, पेज-8)
“श्रीरदभ्ार्वरमाभशनू्भरर्ैनामानाशवधैभारणे पणनूभमाार्भव्रानवरनोबंधा्सत्नूंदृढं। श्रीदवेाक्षरदक्षरकेाशलशपशवस्ारैकवीरंनवमप त्ंराजश्‘दवेनागर’रहो!गह्णृन्दु्तकोशवदा:”
अथिा्त््अनेकधवभधू्योंऔरअनेकप्रकारकेभाषणोंसेपररपणू्त श्ी भार्वष्त के समग्र मानवों के भवय मन को दृि्ा से ग्रधथि् करने केदृधष्टकोणसेदवेाक्षरकेधवस्ारमेंयतनशीलनवीनपत्रदवेनागर ह।ै इसे धवविान सवीकार करें।
््ृीयधहनदीसाधहतयसममलेन,कलकत्ा(धदसबंर1912)के
्ेरहवें प्रस्ाव पर बोल्े हुए शारदाचरण धमत्र ने कहा थिा धक भाषा
कापाथि्तकयदशेकालकेअनसतुारहुआह।ैदशेकेभदेसेभाषाका ‘दवेनागर’मेंबंगला,उद,्तूनेपाली,उधड़या,गजतुरा्ी,मराठी, भदेअपररहाय्तह।ैपरसाधहतयकीभाषाएकहोनीचाधहए।मैंआठकननड़,्धमल,मलयालम,पजंाबीआधदकीरचनाएँदवेनागरीमें
धलपयं्रर् होकर छप्ी थिीं। इसमें प.ं रामाव्ार शमा्त, डॉ. गणशे प्रसाद,धशरोमधणअनं्वायतुशास्ती,अक्षयवटधमश्,कोधकलेश्वर भट्टाचाय्त जैसे मनीधषयों की रचनाएं आम्ौर पर प्रकाधश् हो्ी थिीं। गोपालकृष्णगोखले,सरतुेनद्रनाथिबनजषी,मो्ीलालघोषजैसेमनीधषयों नेदवेनागरकीमकतु्कंठसेप्रशसंाकीह।ै
‘दवेनागर’केपहलेहीअकं मेंउसकेउद्श्ेयोंकीघोषणाकर्े साव्तजनीनधलधपकेप्रश्नपरधवचाराथि्तभार्ीयोंऔरभार्ीयधह्ों हुए धवस्ार से धलखा गया ह,ै “जगधविखया् भार्वष्त ऐसे महाप्रदशे का पणू ्त प्रध्धनधितव करने वाले आयोग का गठन सरकार को करना मेंजहाँजाध्-पाँध्,रीध्-नीध्,म्आधदकेअनेकभदेदृधष्टगोचरचाधहए।(द्रष्टवय,दवेनागरीधलधपआनदोलनकाइध्हास,रामधनरंजन
वषथों से यह चष्े टा कर रहा हूँ धक नागरी धलधप सारे भार् में प्रचधल् हो।सभंवहैधकधहनदीभाषासारेभार्मेंप्रचधल्होनेकेधलए इसमें पररव््तन की आवश्यक्ा हो। पर इस रूपान्र से धहनदी की कोईहाधननहींहोसक्ी(््ृीयधहनदीसाधहतयसममलेन,कलकत्ा काय्तधववरण,पहलाभाग,1912,पष्ृठ85)
धनधश्च्रूपसे‘दवेनागर’एकअनोखाप्रयोगथिा।इसमेंसभी
भार्ीयभाषाओंकीरचनाएँदवेनागरीधलधपमेंधलपयं्रर्होकर
प्रकाधश्हो्ीथिीं।इसकीखयाध्समपणू्तभार्मेंथिी।उससमय
भार्काभगूोलभीआजजैसानहींथिा।‘दवेनागर’मेंभार्के सपंणू्तजनसखंया315132537मेंसे294875811वयधक्धनरक्षर धवस्ारकोकश्मीरसेकतुमाररकाअ्ंरीपऔररिह्दशेसेगांिारपयां्थिे।यद्धपधलंगऔरिम्तकेअनसतुारइसधनरक्षर्ाकेप्रध्श् कहागयाह।ैइसधवशालभ-ूभागकोएक्ाकेसत्रूमेंबाँिनाहीमेंउ्ार-चिावथिा,धफरभी90प्रध्श्परुतुषऔर99प्रध्श् जधसटस शारदाचरण धमत्र का सकं रप थिा। मधहलाएँ धनरक्षर थिीं। ऐसी दशा में भार्ीय भाषाओ ं के धलए एक
हो रहे ह,ैं भाव की एक्ा रह्े भी धभनन-धभनन भाषाओ ं के कारण एकप्रां्वाधसयोंकेधवचारोंसेदसूरेप्रां्वालोंकाउपकारनहींहो्ा। इसमेंसदंहे नहींधकभाषाकामखतुयउद्श्ेयअपनेभावोंकोदसूरेपर प्रकट करना ह,ै इससे परमाथि्त ही नहीं समझना चाधहए, अथिा्त् मनष्तु य कोअपनाधवचारदसूरेपरइसधलएप्रकटकरनापड़्ाहैधकइससे दसूरेकाभीलाभहोधकन्तुसवाथि्तसािनकेधलएभीभाषाकीबड़ी
पररमलेनद,तु पष्ृ ठ 238)
उरलेखनीय है धक जधसटस शारदाचरण धमत्र ने सपं णू ्त भार् वष्त
के धलए नागरी धलधप के प्रयोग का प्रस्ाव और उसके धलए सघं ष्त उस वक् चलाया धजन धदनों रेवरेंड जे. नोरस जैसे लोग लंदन से सपं णू ्त भार् के धलए रोमन धलधप का प्रयोग प्रस्ाधव् कर रहे थिे और ईसाई धमशनररयाँ भार् के कोने-कोने में इसके प्रचार में लगी हुई थिीं.
1913ई.मेंजधसटसशारदाचरणधमत्रऔरउनकेकतुछसहयोधगयों विाराभार्केसेक्ेटरीआफसटेटकोएकज्ापनभीधदयागयाथिा। इसमेंकहागयाथिाधक1911ई.कीजनगणनाकेअनसतुारभार्की
 16
विशिवा / Áजनिरी 2022












































































   16   17   18   19   20