Page 17 - Vishwa January 2022
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मिनके हम ऋणी हैं
नपागरी के अग्रदूत : िससटस शपारदपाचरण ममत्
  शारदाचरण वमत्र
कलकत्ा में जनम,े कलकत्ा में पिे-धलख,े कलकत्ा धवश्वधवद्ालय से एक ही वष्त में बी.ए. और एम.ए. की परीक्षा दके र दोनो में प्रथिम सथिान प्राप् करके कीध््तमान बनाने वाले, प्रेसीडेंसी कॉलेज में मात्र 21 वष्त की उम्र में अग्रं ेजी के प्रोफे सर और बाद में बी.एल. की धडग्री लेकर कलकत्ा हाईकोट्त में नयायािीश रहे जधसटस शारदाचरण धमत्र (17.12.1848- 04.09.1917)दवेनागरीधलधपकेविाराराष्ट्ीयएक्ाकासपनादखेनेवालेअप्रध्म सवपनदशषी और सत्रू िार थिे। राष्ट्ीय च्े ना ने उनहें ‘एकधलधप धवस्ार पररषद’ नामक ससं थिा के गठन की ओर प्रेरर् धकया। अगस् 1905 ई. में कलकत्ा में उनहोंने ‘एकधलधप धवस्ार पररषद’कागठनधकया।सव्तत्र,धवशषेकरभार्वष्तमेंसबभाषाओंकेधलएससंकृ्ाक्षर (दवेनागरी)कावयवहारचलाना्थिाबिानाहीइसपररषद्कामखतुयउद्श्ेयथिा।इसके वे प्रथिम प्रिान मत्रं ी थिे। इसके सदसयों में धवश्वकधव रवीनद्रनाथि ठाकतु र, सर गरुतु दास बनजषी, महामहोपाधयायपधंड्स्ीशचद्रं धवद्ाभषूण,महाराजासररामश्ेवरधसहं (दरभगंा), महाराजा बहादरतु प्र्ापनारायण धसहं (अयोधया), महाराजा रावणश्े वर प्रसाद धसहं (धगद्धौर, मगंतुेर),श्ीिरपाठक,बालकृष्णभट्ट,रामानंदचटजषीजैसेमनीषीथि।े उसदौरकीधहनदी कीसवा्तधिकप्रध्धष्ठ्पधत्रका‘सरसव्ी’के‘धवधविधवषय’स्ंभकेअ्ंग्त्आचाय्त महावीरप्रसादधविवेदीने‘एकधलधपधवस्ारपररषद’्कीधनयमावलीको‘उपयकतु्और उधच्’ घोधष् धकया थिा और कहा थिा धक “हम इस पररषद् के धह्धच्ं क ह।ैं ” (सरसव्ी, फरवरी 1905 (भाग-6, सखं या-12) ‘धवधवि धवषय’ स्ंभ, पष्ृ ठ 450)
आगेचलकर1907ई.मेंइसससंथिाकीओरसेजधसटसशारदाचरणधमत्रने‘दवेनागर’ नामकपत्रधनकालाजोबीचमेंकतुछबािाओंकेबावजदू 1917ई.्कधनकल्ारहा। इसकेप्रवेशांकसेलेकरछबबीसवेंअकं ्कसपंादकथिेयशोदानंदनअखौरी।लगभगसवा वष्त ्क इसका प्रकाशन सथिधग् रहने के बाद 1911 में इसका नए रूप में प्रकाशन धफर से शरूतु हुआ, धकन्तु आगे मात्र ्ीन वष्त ्क ही इसका प्रकाशन हो सका।
‘एकधलधपधवस्ारपररषद’केगठनसेपवू्तजधसटसशारदाचरणधमत्रने22धदसबंर 1904कोकलकत्ाधवश्वधवद्ालयइसंटीचयटूकेऐध्हाधसकसभागारमें“एयधूनफाम्त अरफाबेटएडंधसक्पटफॉरइधंडया”शीषक्तअग्रंेजीमेंवयाखयानधदयाथिा।उक्सगंोष्ठीकी अधयक्ष्ा सर गरुतु दास बनजषी (्तकालीन कतु लपध्, कलकत्ा धवश्वधवद्ालय) ने की थिी। अपने अधयक्षीय वक्वय में सर गरुतु दास बनजषी ने जधसटस शारदाचरण धमत्र के राष्ट्धलधप दवेनागरीसेसबंंधि्धवचारोंकापणू्तसमथि्तनधकयाथिा।जधसटसशारदाचरणधमत्रका यहलेखबादमेंडॉ.सधचचदानंदधसनहाविारासपंाधद्“धदधहनदसतु्ानररवयूएडं कायसथि समाचार” के जनवरी 1905 ्थिा सयं कतु ्ांक अप्रैल-जनू 1905 के अकं ों में प्रकाधश् हुआ थिा।उसीवष्तइसलेखकाधहनदीअनवतुाद‘भार्धमत्र’(साप्ाधहक)केदोअकंोंमेंछपा थिा।बादमेंनयायमधू््तशारदाचरणधमत्रकेधवचारोंकासाराँशबालकतुकंतुदगपतु्नेअपने शबदोंमें‘जमाना’(उद)्तूकेअप्रैल-मई-1907केअकंमें‘धहनदसतु्ानमेंएकरसमलतुख्’ शीषक्त लेखकेमाधयमसेवयक्धकयाथिाऔरउनकीप्रशसंाकीथिी।
आचाय्त महावीरप्रसाद धविवेदी ने ‘सरसव्ी’ के फरवरी 1905 (भाग-6, सखं या-2) के अकं में अपनी धवस््ृ प्रध्धक्या वयक् कर्े हुए धलखा थिा, “कलकत्ा हाइकोट्त के नयायमधू ््त शारदाचरण धमत्र एम.ए., बी.एल. चाह्े हैं धक इस दशे में धज्नी भाषाएँ ह,ैं सब एकहीप्रकारकीधलधपमेंधलखीजायं।यहधलधपससंकृ्कीवणम्तालाकीधभधत्पर होनी चाधहए अथिा्त्् दवे नागरी अक्षरों में सब प्राधन्क भाषाएँ धलखी जानी चाधहए.... अपने
 डॉ. अमरनार
लेिक कलकत्ा ववशवववद्ालय के पूव्थ प्रोफेसर एवं वहनदी ववभागाधयषि है। समपक्क–ईई- 164/402, सेक्टर-2, साल्टलेक, कोलकाता- 700091 ईमेल: amarnath.cu@gmail. com मो. 9433009898
 जनवरी 2022 / ववशववा
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