Page 47 - Vishwa_April_22
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कंुदठतसरजाकनहींहोसकता।कंुदठतसरृ नअलपरीवीऔरदवकाररों को र्म िने े वाला होता ह।ै
महाभारत और रामायण के सरजाक सभी असहर दसथदतयरों से दनकलकर अतं मेंश्ोता-पाठककोदनमलजा,शांतकर ितेेह,ैंउसेदचतंनकेदलएदववशकरितेे ह।ैं उ्हें पढ़ने के बाि श्ोता और पाठक एक बेहतर इसं ान बनने की प्रदकया में आ राता ह।ै
रामर्मभदूमऔरबाबरीमदसरि दववािकीकाननूीप्रदकयासेपरेराकररोहलसोचागयाउसे दकसी की रय-परारय में नहीं बदलक एक महावयातमक दृदषट से िखे ा राना चादहए।
इससेपहलेइसप्रसगंमेंरोहुआउसेसमद्रुमथंनकहारा सकता ह।ै अमतृ की प्रादपत की एक लमबी दक्तु सखु ि प्रदकया। लेदकनयहसबनतोएकदिनमेंहुआहैऔरनहीबहुतसहररूपसे हुआह।ै यहाँतकआते-आतेसामा्यसमारबहुततनावरोंसेगरु रा ह।ै रारनीदतज्ञरों के मन और सतकमजा और िषु कमषों की वासतदवक समझ ईमानिाररचनाकारकोपरूीतरहनहींहोती।वहतोअपनीहीिदुनया रचता ह।ै उसके लेखन को इसी दृदषट से पढ़ा राना चादहए। एकांगी सोच वाले न तो सचचे पाठक हो सकते हैं और न ही समीक्षक।
समद्रुमथंनकीइसलेखकीयप्रदकयासेउपरीिोपसुतकेंमरेे सामने ह।ैं
1.रामभकतरंगबार–राकेशकायसथ,दह्िीय्ुम,नोएडा
2.दर्हेंरमु-जाए-इश्क़पेनाज़था–पकंरसबुीर,दशवना प्रकाशन, सीहोर
िोनरोंहीउप्यासरोंमेंधादमकजा िगंेपषृठभदूममेंहैंलेदकनदृदषट औररिीटमटेंअलग-अलग।पकंरसबुीरकेउप्यासकामखुयपात् रामश्े वर एक कोदचगं ससं थान चलाता ह।ै दरसके सपं कजा में उसके ऊँच-ेऊँचेपिरोंपरपहुचँेपवूजाछात्औरकईअ्यलोगभीह।ैंरामश्ेवर एकसरगदवचारक,धरुंधरपाठकऔरतादकजाकऔर्यायपणू जासोचा वाला वयदकत है रो अपने सपं कजा में आने वाले अपने दवद्ादथजायरों ही नहीं बदलक अ्य लोगरों पर भी प्रभाव डालता ह।ै इस उप्यास
मेंकेवलएकरातमेंिगंेके शरूु होने और उसके शांदतपवू जाक दनबट राने की कहानी ह।ै इस प्रदकया में लेखक अपने काल का अदतकमण करते हुए दर्ना, गाँधी और गोडसे से टेलीरोन पर सवं ाि सथादपत करता है और इस समसया के मलू में दसथत दवदभ्नआयामरोंकोछूताह।ै रोइस समसया की ततकालीन पररदसथदतयरों को समझने का तटसथ प्रयास ह।ैं
राकेशकायसथकेउप्यासकानायकएकमसुलमानिरजीशखे दनरामद्ु ीन वली सक्षं ेप में आदशक दमयाँ उफ़जा ‘रामभकत रंगबाज़’ ह।ै वहसभीखरुारातरोंसेिरूइसिशेकीदमलीरलुीससंकृदतकीसहर उपरहैरोटेलररंगकीएकहीिकुानकेिोनरोंभागरों‘दमसटरइदणडया’ और‘सादवत्ीबटुीक’कामादलकह।ैरामलीलामेंभीकामकरताहै और अपने वयवसाय के कारण लोगरों के िनै ंदिन रीवन में भी शादमल ह।ै उसे दकसी प्रकार की रारनीदत और कटिर धादमकजा ता छू तक नहीं गई ह।ै लेदकन रारनीदत उसके रीवन को उलटती-पलटती अतं में उसके रीवन की भटें ले ही लेती ह।ै
अतंमेंउसकाबेटाउसकेहतयारे,एककमदिमागयवुककोक्षमा करितेाह।ैऔरउप्यासएकअलौदककशांदतमेंसमापतहोताह।ै घणृा,कोधऔरप्रदतशोधमनषुयकेसथायीभावनहींह।ैंउ्हें सथायी बनाने में रारनीदत की रुदच हो सकती है लेदकन सबके साथ,
सबकेबीचसहररीवनरीनेवालेकेदलएयहसभंवनहींह।ै
रो बीत गया वह भी कया वासतव में बीत राता ह?ै कोई भी घाव भर राने पर भी हलका-गहरा दचह्न तो छोड़ ही राता ह।ै उसे कुरेिनाएकबातहैऔरउसपरदचतंनकरके,उससेसबकलेकर
सहरहोकरआगेबढ़रानािसूरीबातह।ै
महाभारत एक नया महाभारत रचाने के दलए नहीं बदलक उससे
बचने के दलए पढ़ा राता ह।ै
िोनरों लेखकरों ने अपने अपने समय को पढ़ने-दलखने की
ईमानिार कोदशश की ह।ै इ्हें पढ़ा राना चादहए। पढ़ना अपने ही मन को मांरने के दलए। –स.ं
   ्द्मभूषण सममपान 2022
ििु जाफरी, ितय नाडेला, िुनदर वपचाई
   पाककला, अहिनय मुखय काय्यकारी अहिकारी माइक्रोसरोफ्ट अल्ाबे्ट कंपनी के मुखय काय्यकारी अहिकारी
 Áअप्रैल 2022 / विशिवा
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