Page 46 - Vishwa_April_22
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्ुसतक समीक्षपा
 दहनदी में दवधपागत नयपा मुहपावरपा तलपाशती दो ्ुसतकें
भारतीय वां्मय के चररत्रों में सवाजादधक सखं या और प्रभाव उन नायकरों का रहा है रो अपनी दवराटता और वयापकता में ईश्वरततव को प्रापत हो चकु े ह।ैं इसदलए वे काला्तर में सादहतय के नायक से अदधक धमजा के नायक हो गए। ऐसे में उनमें रचनाकार का सरृ न, कलपना और मौदलकता सभी सीदमत हो गए। इस दववशता ने भारतीय वां्मय की शलैीऔरचररत्गतदवदवधताकोभीसीदमतकरदियाह।ैहोसकता है यही कारण रहा हो दक हमें भारतीय सादहतय में उस दवदवधता का अभावदिखाईितेाहैरोवतजामानदवश्वसादहतयमेंभारतीयसादहतय की उपदसथदत को िरजा नहीं करवा पा रहा ह।ै
कापड़ी।
यहमानवीयसघं ष-जाक्षमताऔरसाहसकाएकअिभ् तु िसतावेज़
ह।ै औरदवधागतप्रयोगतोहैही।
दूसररी पुसतक ‘आइहिय् से परदे तक’
दरसकेिोलेखकहैंरोदसनेमा,पटकथालेखनसेरड़ुेहुएह–ैं रामकु मार दसहं और सतयाँशु दसहं । दकसी भीभाषामेंदवदवधदवषयरोंकीसामग्री
उपल्ध होती है तो उस भाषा की मांग
 अबधीरे-धीरेहीसहीदह्िीमेंदवषयऔरशलैीकीदवदवधताबढ़तीह।ैआरहमिखेतेहैंदकसभी
वालासादहतयनज़रआनेलगाह।ै कोईभीभाषाकेवलकहानी औरकदवताकेबलपरसमर्ृ नहींहोसकती।उसेरीवनकीतरह वयापक और दवदवध होना पड़ेगा इस दृदषट से हम रारकमल की िो पसु तकरों का नाम ले सकते ह।ैं
पहली– 1232 KM परूानाम‘स्तहदन/स्तर्त/स्तप्ि्सरी/1232KM’ कोरोनाकालमेंएकअसभंवसफ़र–हिनरोदक्पड़री औरिसूरी–आइहिय्सेपरदेतक –र्िकुि्रहसिंऔरसतय्ँशुहसिं
कोरोना काल के रूप में िदुनया ने
एकनईवयादधऔरउसकेअभतूपवूजा पररणामिखे.ेयहसमारकीसवंेिनाऔर
रीवन मलू यरों की परीक्षा का समय था।
दरसमें मनषुय की सरलता-असरलता, दररीदवषाऔरसीमाओंकेदवदवधरूप िखेनेकोदमले।रहाँकुछलोगइससकंट
में अपनी रान बचाकर घररों में कैि हो गए
तो कु छ भखू और पलायन से अपने प्राण बचानेकेदलएदबनादकसीसाधन,सदुवधाऔरआश्वासनकेएक िगु जाम और साधनहीन सफ़र पर दनकलने को मज़बरू हो गए। कहीं सड़करों पर प्रसव हो गए तो कहीं रेल पटररयरों पर लोग कट गए, कहीं गगंामेंदतरतेलावाररसशवरोंनेहमारीसीमाएँबतािीं।
ऐसे अघट में रो घटा वह भी मानव की दररीदवषा और िवे त्व का एक और ही रूप दिखा गया।
श्िरों में दचदत्त इस दरलम के सात नायक ह–ैं ररतेश, राम बाब,ू अशोक, कृ षणा, मकु े श, संिीप और सोनू रो कोरोना में रोरगार और आवास दछन राने पर गादज़याबाि से सहरसा दबहार के दलए साइदकलरों से 1232 दकलो मीटर की रानलेवा यात्ा पर चल पड़े। और इनके साथ दनरंतर सपं कजा में बने रहे पसु तक के लेखक दवनोि
लोग कुछ भी खोरने के दलए अग्रं ेरी की साईटगगूलमेंरातेहैंकयरोंदकवहाँउ्हें अ्य भाषाओ ं की बराय अदधक सामग्री दमल राती ह।ै
दह्िी में इस प्रकार की पसु तकें कम उपल्ध ह।ैं िशकजा दरलम िखेतेहैंलेदकनपरिेकेपीछेकेसरजाकउ्हेंदिखाईनहींितेे।उ्हें पताहीनहींहोतादकदरसहीरोकेसवंािरों,गीतरोंपरवेदफ़िाहो रहेहैंउनकेपीछेदिखाईनिनेेवालेलेखक,कदव,सगंीतकारऔर दनिशदेकहोतेह।ैंऐसेहीएकछोटीसीकहानीकोअपनेपटकथा लेखनऔरसवंािरोंसेसरानेवालेलेखकदकतनाश्मकरतेह।ैंदकसी दवचारकोपरिेतकलानेकेदलएदरनरचनाकाररोंकायोगिानहोता हैवहसबकोपताहोनेकेसाथ-साथउसकलाकेबारेमेंभीिशकजारों, पाठकरों को रानकारी होनी चादहए।
लेखकद्यचदंूकइसकामसेरड़ु ेहैंइसदलएइसकीप्रमादणकता असदंि्धह।ैसाथहीदरलमरोंमेंलेखनकेक्षेत्मेंरोरआरमानेवालरों केदलएभीयहपसुतकमागजािशकजाहोसकतीह।ै–स.ं
एक असहर बसथदत सरे सपामनपा करती दो दकतपाबें
दकसीभीिशे औरसमारकाएकइदतहासहोताह,ैउसकाभतूकाल दरसकीसमदृतयाँअपने-अपनेअनभुवरोंऔरपररवेशसेपकतीहुईं उसकेदचतंनऔररातीयसमदृतकासथायीअगंबनरातीह।ैंलेदकन वे सभी अर्जा सतय होती हैं कयरोंदक वे उसकी एक आयामी दृदषट का सच होती ह।ैं इसदलए वयदकत दकतना भी दनरपेक्ष हो राए, अपनी वयदकतगतअवधारणाओंसेपणूतजायामकुतनहींहोसकता।ऐसेमें दकसी समार को अपने अपने अर्जा सतयरों को काल के प्रवाह में दवसदरजातकरकेएकनएसमवायीभदवषयकासवपनिखेनाचादहए रो दकसी िाशदजा नक, कलाकार, सरजाक, रचनाकार द्ारा ही िखे ा रा सकता ह।ै कयरोंदक वह अपेक्षया दवकंु ठ होता ह,ै उसे होना चादहए।
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विशिवा / Áअप्रैल 2022








































































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