Page 41 - Vishwa_April_22
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िने े से अतय्त कलषे में हो, तब उसे इस दवचार से सा्तवना दमल सकती हे दक एक सिा सचचा िोसत उसकी सहायता करने को ह,ै उसकोसहारािगेातथावहसवशजादकतमानहैऔरकुछभीकरसकता ह।ै वासतव में आदिम काल में यह समार के दलए उपयोगी था। पीड़ा में पड़े मनषु य के दलए ईश्वर की कलपना उपयोगी होती ह।ै समार को इस दवश्वास के दवरुर् लड़ना होगा। मनषु य रब अपने पैररों पर खड़ा होने का प्रयास करता है तथा यथाथजावािी बन राता ह,ै तब उसे श्र्ा कोएकओररेंकिनेाचादहएऔरउनसभीकषटरों,परेशादनयरोंका परुु षतव के साथ सामना करना चादहए, दरनमें पररदसथदतयाँ उसे पटक सकतीह।ैंयहीआरमरेीदसथदतह।ैयहमरेाअहकंारनहींह,ैमरेे िोसत! यह मरे े सोचने का तरीका ह,ै दरसने मझु े नादसतक बनाया ह।ै ईश्वर में दवश्वास और रोज़-ब-रोज़ की प्राथजाना को मैं मनषु य के दलए
सबसे सवाथजी और दगरा हुआ काम मानता हू।ँ मनैं े उन नादसतकरों के बारेमेंपढ़ाह,ैदर्हरोंनेसभीदवपिाओंकाबहािरुीसेसामनादकया। अतः मैं भी एक परुु ष की भाँदत राँसी के र्िे की अद्तम घड़ी तक दसर ऊँ चा दकये खड़ा रहना चाहता हू।ँ
हमेंिखेनाहैदकमैंकैसेदनभापाताहू।ँमरेेएकिोसतनेमझुे प्राथजाना करने को कहा। रब मनैं े उसे नादसतक होने की बात बतायी तो उसने कहा, “अपने अद्तम दिनरों में तमु दवश्वास करने लगोगे।” मनैं े कहा, “नहीं, पयारे िोसत, ऐसा नहीं होगा। मैं इसे अपने दलये अपमानरनकतथाभ्रषटहोनेकीबातसमझताहू।ँ सवाथजीकारणरोंसे मैंप्राथजानानहींकरूँगा।”पाठकोऔरिोसतो,कयायहअहकंारह?ै अगर है तो मैं सवीकार करता हू।ँ
  संसककृदत सरेतु
 ‘कोलकातामेंिगुाजापरूाकोअभी-अभीअमतूजादवरासतसचूीमें शादमलदकयागयाह.ैभारतकोशभुकामनाए।ँ’(यूनेसकरोक्‍ट्िरी‍ट) यनूेसकोनेिगुाजापरूाकोदवश्वदवरासतकेरूपमेंमा्यता
िते े हुए दरस श्ि ‘अमतू जा दवरासत’
का नाम दिया वह भारतीयता और दवशषेकरिगुाजापरूाकेदलएबहुत
वयंरक और साथकजा ह।ै यह बात
और है दक वतजामान समय के चलन
के अनसु ार हम भी मदू तजायरों के आकार
बढ़ाकर मतू जाताओ ं की दरस िौड़ में
शादमल हो गए हैं वह भारतीय िशनजा , दचतंनऔरलोकमानससेबहुतमलेनहींखाता।इसीदलएभारतकी लोकचतेनाकोमतूजातासेसमझने-समझानेकेचककरमेंहमभारतीय और अभारतीय सभी कंु ि और दनःश्ि हो राते ह।ैं
भारतीयता को समझने के दलए उसकी प्रतीक और दमथकीय परमपराकोसमझनाबहुतज़रूरीह।ै वहकदवताभीभाषामेंसोचती औरअदभवयकतहोतीह।ैिगुाजाइसीदमथकीयचतेनाकाएकराग्रत सवरूपह।ैं िगुाजाकोईभौदतकयारैदवकदवग्रहनहींह।ै वहलोककी समवेतदररीदवषाऔरसामदूहकसचंतेनाकासवाांगीणसमचुचय
ह।ैरबएक-एककापथृकपराकमथकताहैऔरअहकंारटूटता हैतबसमदषटकीशदकतसमझमेंआतीह।ैसभीिवेतारबअकेले- अके ले मदहषासरु से हार गए तो आद़िरकार अपनी समदषट को िगु ाजा केरूपमेंआकारिनेापड़ा।दरसमेंसभीकीशदकत,चतेना,दववेक और कु शलता समादहत थी। इस एकातमता से कौन परादरत नहीं होगा। कौन दटक सके गा उसके सामने?
भारती विश्
(कोरोनिा महामारी में पलायनि के दद्द और साहस को वाणी देता पूजा पंडाल में एक निलप)
इसीचतेनाकेबलपरबंगालभारतीयपनुराजागरणकाअग्रितू ह।ैदवचार,सगंठन,आदतमकता,कला,सादहतय,वेिांतसभीक्षेत्रों मेंबंगालकीमधेाऔरचतेनानेनेततृवदकयाह।ै रबिदुनया राषरिवािकीसकंीणतजाासेत्सतथी,सयंकुतराषरिसघंकीपररकलपना भी नहीं थी तब टैगोर ने दवश्व मानवता का स्िशे दिया था। धमषों कीकंुठासेरझूतीिदुनयाकोदववेकानंिनेविेांतकेिशनजासे पररदचत कराया था।
बंगालकीिगुाजापरूाअपनेसमयकेसभीदवमशषोंकोलेकर, दवभिेरोंकोसमटेतीहुईउसअमतूजाचतेनाकोइननौदिनरोंमें रूपादयत करती ह।ै
अनेकरूपािवेी लोकरूपेणसदंसथता।
दुगपाजा ्ूरपा : दमथक और रीवन की संगदत
   Áअप्रैल 2022 / विशिवा
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