Page 29 - Vishwa_April_22
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मेंसाकारहोतेरह।ेइसीिौरमेंपदंडतप्रिीपकादलखागीत‘ऐपाश्वजागादयकाकेतौरपरलतामगंेशकरकीभी। मरेेवतनकेलोगो’लतामगंेशकरकीआवाज़मेंसनुकरपंदडत दरअसलयिऐसीसपंणू्शआवाज़िैजोसनुनेकेहलएनिीं,बस
नेहरूकीआखँ रोंमेंआसँ ूआनेकीबातकहीरातीह।ै इसीिौर में उनकी आवाज़ के रािू से सरी ‘पाकीरा’ की ऐसी चचाजा होती है दक बां्लािशे यर्ु हारने के बाि दशमला समझौते के दलए भारत आएज़दुलफ़कारअलीभटिुोकेसाथआईउनकीयवुाबेटीबेनज़ीर येदरलमिखेनेकीइचछारतातीहैंऔरउनकेदलएइसकादवशषे शोरखाराताह।ै
मिससू करनेऔरजीनेके हलएि।ै इसआवाज़मेंकायाकाजादू भी हमलता िै और आतमा का राग भी। ये आवाज़ हच‍त बनाती िै और हच‍तों के पार जाती ि।ै इस आवाज़ में पयार पहव‍त िो जाता ि,ै इसकेपकुारनेसेईश्वरकुछकरीबआजाताि-ैयिसांसाररकताके बीचआरयाहतमकताकोबसानेवालीआवाज़ि।ैिमखशुहकसमत िैंहकिमनेयेआवाज़सनुीि।ै
लतामगंेशकर92सालकीउम्रमेंगईह-ैंएकभरा-परूारीवन रीकर। यह उनके राने का शोक नहीं ह,ै बस यह महससू करने का है दक रीवन के दकतने दवराट और भरे-परू े रलक पर आर परिा दगर
यिआवाज़निोतीतोवेहिलमेंशायदअपनाजादूकाफीकुछ
खो दते ीं। सत्तर का दशक आते-आते यि आवाज़ कु छ और रिौ़ि,
पररपकव, गिरी और परतदार िो जाती ि।ै ‘आधं ी’, ‘मौसम’ या
‘अहभमान’जैसीहिलमोंकेउनकेगीतएकअलगआयामबनातेि।ैं गया।इसमेंशकनहींदकगायनकेससंारमेंिसूरीलतामगंेशकरनहीं
‘खामोशी’केगीत‘हमनेिखेीहैउनआखँरोंकीमहकतीहोगी।लेदकनउनकेगीतबनेरहगेंे।उ्हरोंनेगायाहीह,ै“रहेंनरहेंहम, ़िशुब’ूकेश्िरोंकोलतारैसीनईऊँचाईिेडालतीह।ैंदरलममहकाकरेंगे,बनकेकली,बनकेसबा,बागेवफ़ाम।ें’
‘अदभमान’ में एक टूटी हुई पतनी बन कर रब वे गाती हैं तो लगता है दक बस यही आवाज़ रया भािड़ु ी की सकु चाहट और बाि में उनके आसँओुंकेसाथइसंाफ़करसकतीह।ैरबवे‘मक़ुद्रकादसकंिर’ केदलएमरुरागातीह–ैं‘सलामेइश्क़मरेीरानज़राकबलूकरले’ तो आवाज़ में एक अलग सी शोखी और कमनीयता चली आती ह।ै
बेशक,बिुतसारेसगंीतममज््शइसमजुरेकोपाकीजायादसूरी हिलमोंमेंलताद्ारागाएमजुरोंकीटककरकानमानें,लेहकनइस गीतकाभीअपनीतरिकाजादूि।ै यिहसलहसलाजैसेखतमिोता िी निीं।
अससीकेिशकम,ेंरबवे़ििुसाठपारहोचकुीह,ैंतबवे ‘सोलहबरसकीबालीउमरकोसलाम’रैसागीतगातीह।ैं यहां उनकी आवाज़ कु छ और होती मालमू होती ह।ै न्बे के िशक में ‘1942अलवसटोरी’कागीत‘कुछनाकहो,कुछभीनाकहो’रैसे प्रेमऔरउिासीकेआगंनमेंटहलताहुआगीतह।ैयहदसलदसला दबलकुलनईसिीतकचलाआताह।ै 2004मेंवे‘वीररारा’तक केदलएगातीह।ैंयहसचहैदकलतामगंेशकरकेइसदवशालसरर में बहुत सारे ऐसे पड़ाव हैं दरन पर सवाल उठते रहे ह।ैं कई लोगरों कामाननाहैदकउ्हरोंनेिसूरीगादयकाओंकारासतारोका।लेदकन लतामगंेशकरइतनीदवराटप्रदतभाथींदकउ्हेंदकसीकारासता रोकने की ज़रूरत नहीं थी।
कई लोग यह मानते रहे दक आशा भोसले में उनसे जयािा दवदवधता ह।ै दनससिं हे ‘इराज़त’ और ‘उमराव रान’ रैसी दरलमरों में आशा भोसले ने रो ग़ज़लें और नजमें गाई,ं वे अपनी तरह से अप्रदतम ह,ैंलेदकनइससेलतामगंेशकरकीश्षेठतापरज़राभीखररोंचनहीं आती। बेशक, उनके रारनीदतक रुझानरों को लेकर कई लोग दनराश औरनाराज़तकहोतेह,ैंलदेकनएककलाकारकामलूयांकनहम उसकीरारनीदतकसमझसेनहींकरसकते।लतामगंेशकरकेगीत लतामगंेशकरकेदवचाररोंसेकारीबड़ेह।ैंकईतरहकेभावरोंका रोभारतहमारेसामनेह,ैअपनेसारेअतंदवरजाोधरोंकेबावरिूकईतरह की पहचानरों वाला रो सांसकृ दतक सामरं सय हमने बनाया ह,ै उसमें दहिंीदसनेमाकीभीएकभदूमकाहैऔरउसकीसबसेकामयाब
लतपा री के दो संसमरण
रवाहरलाल नेहरू के बारे में मशहूर था दक वो न तो कभी सावजारदनकतौरपररोतेथेऔरनहीदकसीिसूरेकाइसतरहरोना पसिं करतेथे।लेदकन27रनवरी,1963कोरबलतामगंेशकर ने कदव प्रिीप का दलखा गाना ‘ऐ मरे े वतन के लोगरों’ गाया तो वो अपने आसँ ू नहीं रोक पाए।
गानेकेबािलतासटेरकेपीछेकॉफ़ीपीरहीथींतभीदनिशदेक महबबू़िाँनेलतासेआकरकहादकतमुहेंपदंडतरीबलुारहेह।ैं महबबू ने लता को नेहरू के सामने ले रा कर कहा, “ये रही
हमारी लता। आपको कै सा लगा इसका गाना?”
   Áअप्रैल 2022 / विशिवा
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