Page 28 - Vishwa_April_22
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समरण : लतपा
  मपा‍टी में सपाँस रूँकनरे वपालपा सवर
दसतारेरोज़टूटतेह,ैंआरआसमानटूटाह–ैकुछदिनपहलेयहरातीथीं,उसिौरमेंउ्हेंलतामगंेशकर वाकयदमत्वयोमशेशकुलनेनतृयगरुुदबररूमहारारकेिहेावसानकेगीतरोंनेरीनेकेबहानेदिए,रीनेकी वप्रयदश्वन केबािदलखाथा।लेदकनलतामगंेशकरकेदनधनकीवयाखयाके वरहिी,रीनेलायकतसललीऔरराहतकवव,कहानीकार,पत्रकार
दलएशायिइससेसहीकोईवाकयसोचनामदुश्कलह।ैवाकईसगंीत
का,सरुरोंकाआसमानआरटूटगयाह।ैसत्तरसालसेयहआवाज़
एक पयाजावरण की तरह हमारे ऊपर छाई हुई थी। वह हम माटी के
पतुलरोंकोसांसलेतेमनषुयरोंमेंबिलतीथी।इसआवाज़कीसगंत
में हम पहचान पाते थे दक हमारे पास एक दिल है रो धड़कता ह,ै
प्रेम करता ह,ै मायसू होता ह,ै ररश्ते दनभाता ह,ै ररश्तरों के दलए रान
ितेाह,ैउिासहोताह,ैउिासीसेउबरताह,ैअपनेिशे कोरानता ह,ैअपनीिदुनयाकोपहचानताहैऔऱििुकोउसआवाज़मेंबहनेहोतेतोहमारीदसत्यरोंकीिदुनयाशायिउतनीरीवतंऔरबहुरंगी केदलएछोड़ितेाह।ै नहोतीदरतनीआरह।ैलताबसलतानहींथीं,एकदवशाल
बसकलपनाकरेंदकलतामगंेशकरन होतींतोकयाहोता।बेशक,दहिंीदरलमरोंकी िदुनयामेंबहुतसारीआवाज़ेंथीं,लेदकन लतामगंेशकरवालीिवैीसपंणूतजाादकसीमें नहींथी।वेनहोतींतो‘महल’की‘आएगा, आएगा,आएगा’वालीवहअबझूपकुार कैसेसभंवहोपातीदरसमेंसमयभीसांस
लेता मालमू होता ह?ै वे न होतीं तो ‘मग़ु ले आज़म’मेंशहशंाहअकबरबनेपथृवीरारकपरूकीरलतीहुईआखँरों के सामने कौन बगावत की वह शमा रला पाता दक पयार दकया तो डरना कया, और कौन इस अिं ाज़ में गा पाता दक ‘परिा नहीं रब कोई ़ििु ा से, बंिरों से परिा करना कया?’
वेनिोतींतो‘पाकीजा’मेंमीनाकुमारीकेदद्शकोविमीठी टीस कौन दे जाता हजसके साथ चलते-चलते एक उम्र हनकल जाती ि?ै ‘दगाइड’कीविरोज़ीकैसेसाकारिोतीजो‘कांटोंमेंखींचकर येआचंल,तोड़केबंधनबांधीपायल’गातीऔरकितीहकआज हिरजीनेकीतमननािैऔरइसगसुताखीपरभीदहुनयाहनसारिोती?
लतामगंेशकरनहोतींहमारीमधबुाला,मीनाकुमारी,वहीिा रहमान,वैरयंतीमाला,नतून,नरदगस,सायराबानो,शदमलजााटैगोर, रयाभािड़ुी,रेखा,हमेामादलनीकाफ़ीकुछअधरूीरहरातीं।वेन होतीं तो हमारे मकु े श, मोहममि रफ़ी, दकशोर कु मार, तलत महमिू , हमे तं कु मार और महद्रें कपरू दकतने अके ले लगते, सरु ैया, गीता ित्त, शमशािबेगम,आशाभरोंसलेऔरसमुनकलयाणपरुेतकदकतनी इकहरीरानपड़तीं?औरलतामगंेशकरनहोतीतोदहिंसुतानकी लड़दकयां कै सी होतीं? इस आवाज़ ने दहिं सु तान की लड़दकयरों को गढ़ा। दरस िौर में वे घररों से दनकल नहीं सकती थीं, बचपन में ्याह िीरातीथीं,उम्रभरपदतकीइचछाएँपरूीकरनेमेंगज़ुारितेीथीं औरबढ़ुापेमेंअपनीबीमारीकीउपेक्षाकरतीहुईएकदिनगज़ुर
छतनारवक्षृ थींदरसकेसायेमेंदहिंीदरलमरों केसगंीतकासनुहरािौरपरवानचढ़ा।कई असभंवलगतीधनुेंदसफ़जाउ्हींकीवरहसे रैसेसभंवहोपाई।ंवेबहुतहलकेसरुरोंमेंभी उठानभरितेीथींऔरबहुतऊँचेसरुरोंकोभी अपनीपकड़मेंबनाएरखतीथीं।मदुश्कलसे मदुश्कलगीतउनकेकंठमेंसहरपकुारहोकर रह राते थे।
यिशास‍तीयताकासधंानकरतीऔरलोककारसलेती आवाज़ थी। यि भी एक वजि थी हक उनके गीत िमें गीत निीं, जीवन का हिससा लगते। और हकतनी-हकतनी पीह़ियों को लता बनाती या हबगाड़ती रिीं?
दरलमीगीतरोंकीिदुनयामेंउनकाप्रवेशदज़िंगीकीमदुश्कलरों केबीचहुआथा।बचपनमेंउनकानामलतानहींहमेाहुआकरता था।सगंीतकारदपतािीनानाथमगंेशकरकेअसमयदनधनकेबाि 14 साल की उम्र में उ्हें पैसे कमाने के दलए माइक के सामने खड़ा होना पड़ा था। उ्हें अपने से छोटी तीन बहनरों– मीना, आशा और उषा मगं ेशकर के अलावा सबसे छोटे भाई हृियनाथ मगं ेशकर का भी खयाल रखना था। आने वाले वषषों में ये सब अपने ढंग से बड़े नाम हुए, लेदकन रो शरुु आत थी, उसे एक लंबा सफ़र तय करना था।
यिचालीसकादशकथा।हिदंीहसनेमातबबोलनाऔरगाना सीख िी रिा था। उसके बाद वे जैसे लगातार गाती-गाती-गाती चली गई।ं उनकी आवाज़ में लगातार हनखार भी आता रिा।
शरुु आती िशकरों में वह एक बहुत महीन और सत्ैण आवाज़ थीदरसपरकुछप्रभाविसूररोंकाभीथा।लेदकनधीरे-धीरेवह सवतंत् और दखली हुई आवाज़ में बिली– पचास और साठ के िशकरोंमेंगाएउनकेगीतइसआवाज़कीसबसे़िबूसरूतचढ़ानके बीचबने।मोह्बत,बगावत,आज़ािी,िशेभदकतसबइसआवाज़
िी,रीनेकासलीकाभीदिया। औरिानवतावादीववचारक इनगीतोंकेसिारेवेचलुबलुीबिनें
बनीं, पयारी भाहभयाँ बनीं, ममतामयी माँएँ बनीं, आज्ाकारी बेहटयाँ औरबिुएँबनीं,इनिींगीतोंकेबीचउनिोंनेशाहदयोंऔरिोली- हदवालीकेतयोिारोंकेसखुहलए,औरइनिींगीतोंकीछायामेंउनिोंने रिेम करना, हवद्ोि करना और घरों से भागना भी सीखा।
यहदहिंीदसनेमानहोताऔरउसमेंलतामगंेशकरकेगीतन
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विशिवा / Áअप्रैल 2022











































































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