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सगुाताच्टजती,ओहा्ोनेसिरिधिवक्ा। इसकेिादभारतकेकोलकातारहरसेजड़ुीश्ीमतीमजंू
ग्टुगवु्ट्ाजीनेअपनीदोनोंिेव्ट्ोंऔरपौत्केसाथिगलुािजी का गीत ‘जीिन गाते गाते िीते’ को मिरु सिर में गा्ा। ्ह गीत ‘रबदों के परे’ नामक पसु तक से वल्ा ग्ा ह।ै इस गीत के मलू भाि में गीता का सार वनवहत है वक जि तक जीिन है ति तक कम्श करते रहना चावहए।
गलुािजीनेरिीनद्नाथिठाकुरकेिंगलागीतोंकावहनदीमें भािानिु ाद अपनी पसु तक ‘रिीनद् नाथि: वहनदी के दप्शि’ में वक्ा ह।ै इस पसु तक से एक गीत:
वरिानीमातनहवेल्ा(प्रतापगढ़,उत्तर-प्रदरे,भारत)नेभािपिू्शक प्रसततु वक्ा।
महाकवि की भवति भािना वकसी दिे ी दिे ता विरषे के प्रवत ना होकर उस रवति के प्रवत ह,ै वजससे सभी िम्श अनप्रु ावित होते ह।ैं ्ह रवति विश्व की रचना का प्रथिम सत्ू दने े के कारि आद्ारवति अिन्शारीश्वररूपमेंअितररतहोनेकेकारिभिानीऔरएकदगु्श कीतरहहमारीरक्षाकरनेकेकारिदगुा्शकहला्ी।्हीरवतिकभी सरसितीकेरूपमेंआकरसामान्मनष्ु्कोचतेनादतेीहैऔर कभी एक कवि को कवित्ि की रवति।
गुल्ब िरी की पिलरी ग़ज़ल पुसतक “सौ गुल्ब हखले” से एक ग़ज़ल
‘आज प्रभात समय तमु करके सनान नदमी के ति पर
चलमीआरहमीहोमथंरगरतसर्जतउ्जिलपरसे’ “प्राणमेंगनुगनुारहाहैकोई
इसेसगंीतवरवक्षकाश्ीमतीिदंनाहरर्ाििी,ओहा्ोनेराग वम्ाँ मलहार में गा्ा।
इसकेिादगलुािजीकीनवतनीप्रीवतख्ंेलिाल,न्ूजसतीके5 सालकेजड़ुिािचचोंनेएकभजन“सिकु्कृष्िाप्शिम”से“मनैंे तेरीतानसनुीह,ैरांतविजनमेंसमुनसमुनम,ेंहरतरुतिृ म,ेंल् अनजानसनुीह”ैसनुाकरदरक्शोंकोमोवहतकरवद्ा।
रिरमझुेयादआरहाहैकोई”
को श्ी विश्वनाथि नारा्ि,ओहा्ो ने गजल को नज़म के रूप मेंपेरवक्ा।्ेलगभग40िषयोंसेअमरेरकामेंसगंीतवरक्षकह।ैं गलुािजीकीपसुतक‘गीतिदंृािन’सेएकगीतप्रेरिाखमेका वसघंला,ओहा्ोनेगा्ा।इसगीतमेंरािाकाकृष्िसेविरहका
ििन्शह।ै इसकेब्दभहक्तगंग्केभिन- “लौिकरहररिदंृािनआते
“सहज हो प्रभु सािना हमारी, सहज रहे जीिन और सहज होमरि”गा्ाग्ा।इसेगलुािजीकीपोतीअकंुरख्ंेलिाल, कैवलफ़ोवन्श्ानेअपनेपत्ु वमवहरकेसाथिसहजतासेगाकरसभीको मत्ंमगुिकरवद्ा।इसगीतमेंईश्वरसेहमारापरूाजीिनसहजताके साथि विता सकने के साम्थ््श की ्ाचना की गई ह।ै
गलुाबजयन्तमी21िरिरमी,2021
‘हे प्रभु सि अपराि हमारे क्षमा करो’ भजन जो गलु ाि जी की पसु तक “वकतने जीिन वकतनी िार” से वल्ा ग्ा ह।ै इसे उनकी नवतनी वदव्ा गप्ु ा की िे्टी आरोही ने भारत से वप्ानो िजाते हुए समु िरु सिर में गाकर एक िार वफर दरक्श ों को चवकत कर वद्ा।
इसकेिाद“भवतिगगंा”पसुतकसेवलएहुएभवतिगीत“भगिती आद्रवति भिानी, ढूंढ थिके विवि, हरर, हर तेरी लीला वकसने जानी”
एक बार रमल लेतमी राधा उनसे जाते जाते”
‘सीता िनिास’ नामक पसु तक से दो गीत गाए गए - ‘चली जल को सीता सकु ु मारी’
गलुािजीकीदोनतवन्ोंने,वदव्ा(भारतसे)औरमतिुा (कै वलफोवन्श्ा से) जड़ु कर इतने अच्े से एक साथि गा्ा वक पता ही नहीं चला वक दोनों इतनी दरू िैठीं ह।ैं
दसूरागीत्गुलचािला,कलीिलैं्,ओवह्ोनेगा्ा,वजसके िोलहैं:“सीताआसं ूरोकनपाई”
इसकेिादमदृलुाकोठारी,कोलकाता,पवश्चमिंगालसेगजल ‘गगंाऔरइसकीलहरें’मेंसेगजलगा्ी–
“कभी िड़कनों में है वदल की तू कभी इस जहाँ से दरू है
्हकमालहैतेरेहुसनकावकनजरकामरेीवफतरू ह’ै का््शक्रमकेअतंमेंगलुािजीकीपत्ुीसगंीतविरारद,विभा झालानीनेिॉवरगं्टनसे“पखंवुड़्ाँगलुािकी”सेगजलगाई,
वजसकेिोलह–ैं
“हुआ पयार का यह असर रमलते रमलते रक झकु ने लगमी है नजर रमलते रमलते”
िन्िाद ज्ापन के िाद का््शक्रम समाप् होने से पिू ्श कु ् दरक्श ों नेगलुािजीकेिारेमेंरमरे जोरी,सपंादक(विश्वा);मदृलुाकोठारी; प्रो. ्ज् वतिारी, भारत से और श्ीमती सरु ीला मोहनका, ओवह्ो, ्ॉ. सरोज िजाज, वमवरगन, ्ॉ. सतीर वमश्, िावरगं ्टन ्ी।सी, आवद ने अपने-अपने विचार व्ति वक्े।
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विशिवा / Áअप्रैल 2021







































































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