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हलचल
“गुलाि ज्यंती 2021”, रव्व्वार 21 िर्वरी, गीत औरगजलकीएकशाम
प्सतुरत : िोभा खंडडेलिाल
shobhakhandelwal@gmail.com
 सावहत्िाचसपवतमहाकविगलुािख्ंेलिालजीका97िाँ जनमवदन,गलुािज्ंतीकेरूपमेंआभासीवििासे21फरिरी 2021 को इस साल अमरे रका के कलीिलैं् रहर में मना्ा ग्ा। ज़मू पर लगभग 170 से भी ज्ादा लोगों ने अमरे रका के विवभनन रहरोंऔरभारतसेजड़ुकरदखेा।
“गिल गंग् और उसकी लिरें” क् लोक्पराण
इसअिसरपरगलुािजीकीलगभग400गजलोंकासकंलन “गजलगगंाऔरउसकीलहरें”कालोकाप्शिभारतसेजड़ुेहुएश्ी जहीरकुरैरीऔर्ॉ.कंुिरिेचनै केकरकमलोंसेहुआ।
‘ग़ज़लगगंाऔरउसकीलहरें’कालोकापतिणभारतसेजड़ुेहुएश्मीजहमीर कुरैशमीऔरडॉ.कंुिरबेचनै केकरकमलोंसेहुआ
्ॉ.कंुिरिेचनैजीनेइसपसुतकको‘दीिाने-ए-गलुाि’के
नामसेसिंोवितवक्ा।उनहोंनेिता्ावकजैसेदीिान-ए-ग़ावलिउद्शू
भाषाकीफारसीवलवपकीििम्शालाकेिि्शकेक्रमानसुारह,ैउसी चकुेह।ैंख्ंकाव्‘आलोकित्तृ’1976सेअभीतकउत्तरप्रदरे प्रकारगलुािजीकेइसग़ज़लसग्ंहमेंवहनदीभाषाकीदिेनागरीकेइ्टंरकेपाठ््क्रममेंपढ़ाईजारहीह,ैजोअपनेआपमेंगि्शका ििम्शालाकेक्रमसेररेोंकोरखाग्ाह।ैऐसाकरनेसेवकसीभी विष्ह।ै कवि्ारा्रकीवकसीरचनाकोढूँढनेमेंआसानीरहतीह।ै गलुािजीकेव्वतितिऔरकृवततिपरकेंवद्तसातविष्ों ििम्शालाकेक्रमसेर’ेरोंकीसजाि्टकेकारिइसपसुतकको परपीएच्ीकीउपाविप्रदानकीगईहैऔरतीनपरअभीकाम दीिानेगलुािभीकहाजासकताह।ैइसदीिानमेंलगभग1957चलरहाह।ै ररेह,ैंजोसखं्ाकीदृवटिसेिहुतसपंननह।ै्वदइसेदीिानकहा ्ॉक्टररिीनद्रा्,वहनदीविभाग,आरा,विहारसेइसप्रोग्ाममें जाए तो वहनदी गजल के क्षेत् में ्ह प्रथिम पवं ति के दीिानों में से एक जड़ु े और उनहोंने 1985 में की गई अपनी पीएच्ी के िारे में िता्ा। ह।ैदरक्शोंको्हजानकरआश्च््शहोगावकगलुािजीजानेके राकेरविजारवि्ा,वहनदीविभाग,ज्परु,राजसथिानसेजड़ुेऔर पहलेसि्ंहीररेोंकोक्रमिधिकरगएथिे।्हकामइनहोंनेविना उनहोंनेअपनीपीएच्ीकेविष्“गलुािख्ंेलिालकीकवितामें कंप््टूरकेखदुहीवक्ाथिा।कंुिरिेचनैजीनेगलुािजीकेर’ेरोंराष्ट्ी्चतेनाकीअवभव्वति”परप्रकार्ाला। कीभरूर-भरूरप्ररसंाकी।उनहोंनेकहावकगलुािजीकोआतम-गौरि
के साथि ्ह कहने का हक तो िनता ही है वक–
‘कई िार ्ंू तो आई तेरे िाग में िहारें
्हगलुािपरकहाँथिेमरेीरा्रीसेपहले’ सगंीतकेका््शक्रमकाप्रारंभगलुािग्थिंािलीकेभवतिगीत श्ीजावहरकुरैरीजीनेलोकाप्शिकरतेहुएकहावकगलुािजी‘्ोड़मतदनेापथिकेिीच’सेहुआ।इसगीतकोरास्ती्सगंीतकी की गजलों से प्रभाि ग्हि करने की िात ग़ज़ल के गोमखु दष्ु ्नत वरवक्षका, वगररजा दिे ी की ्ात्ा, ‘सेनी-िनारस’ घराने की श्ीमती
कुमारनेभीसिीकारकीह।ैइसप्रकारश्ीगलुािख्ंेलिालवहनदी गजलकेपहलेप्रितिागजलकारमानेजासकतेह।ैंउनकेअनसुार ग़ज़लकीसपुररवचतभवूमपररहकरभीगलुािजीनेवहनदीकेसिीकृत सौंद््श िोि को वनरंतर उचच से उचचतर िनाने की कोवरर की ह।ै
21 भवति गीतों के पष्ु प-गचु ् का इलेकट्ॉवनक रूप से प्रकारन - इस अिसर पर महाकवि के 21 भवति गीतों और गजल के पष्ु प गचु ् को दिे नागरी तथिा रोमन वलवप में समाररका के रूप में सकं वलत
करदरक्शोंकोइलेकट्ॉवनकरूपसे(Electronically)भजेाग्ा। िि्कहि क् िरीिन पररचय -
महाकविगलुािजीकीिड़ीपत्ुििू्ॉ.रोभाख्ंेलिालने आगतं कु अवतवथि्ों का सिागत करके कवि का सवं क्षप् जीिन पररच् वद्ा।उनहोंनेिता्ावकमहाकविगलुािख्ंेलिालएककम-्श्ोगी थिे।िेवनरंतरसावहत्सजृनमेंलगेरहतेथिे।गलुािजीनेलगभग 1000गीतोंकीरचनाकीह।ै ्ेसभीगीतगे्ह।ैं इसतरहउनहोंने सावहत्सेसगंीतकोजोड़करवहनदीसावहत्कीिहुतिड़ीसेिा कीह।ै इनकीरचनाएँकालज्ीह।ैं
 ्ॉ.रोभाख्ंेलिालनेिता्ावकगलुािजीकामहाकाव् ‘उषा’,ख्ंकाव्‘कच-दिे्ानी’विश्वविद्ाल्केपाठ््क्रममेंरह
मोवनका विश्नोई, नागपरु, महाराष्ट् से “महाकवि गलुाि ख्ं ेलिाल की काव् भाषा और वरलप वििान” पर पीएच्ी कर रही ्ात्ा ने अपने विष् के िारे में िता्ा।
 अप्रैल 2021 / विशिवा
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