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सथिानी्सिादहोताह,ैइसवलएउसीमेंकु्वभननताएँहोतीह।ैंइस साथिकमरपरिाँिीजानेिाली्ो्टीदगुी(केतलीड्म)द्ारावक्ा प्रकारपिूतीवजलेम,ेंसगंीतभव्ट्ालीसेवमलता-जलुताहैऔरउत्तरजाताह।ैपवश्चमिंगाल,विरषेकरिांकुड़ावजला,िीरभमूवजला, मेंभिै्ाकाप्रभािह।ैपवश्चममेंगानेथिोड़ेअलगहोतेह,ैंगानेलंिे परुुवल्ावजलाआवदमेंइक्टारासिसेलोकवप्र्ह।ैउत्तरीवदनाजपरु और नीरस चररत् में नीरस होते ह।ैं कई िाल गरुु थिे, और अभी भी वजले और मालदा वजले जैसे उत्तरी वजलों में ्ॉ्टारा ्ा सररं्ा का ह,ैंकवि,चतैन्महाप्रभु(13िींरताबदी)सिसेप्रवसधिगा्कथिे,सिसेअविकउप्ोगवक्ाजाताह।ैपिूतीवजलेमेंएकताराऔर और उनहोंने परू े भारत की ्ात्ा की। इवतहास उनहें िाउल कवि्ों दोतारा दोनों का उप्ोग वक्ा जाता ह।ै औरिादकीपीवढ़्ोंकेगा्कोंकेिीचसिसेिड़ेप्रभािकेरूपमें हालांवकिाऊलगीतपरूीतरहसेसभीकेद्ारासमझमेंनहीं वगना जाता ह।ै ललन फ़कीर, उनमें से सिसे प्रवसधि, एक क्रांवतकारी आते ह,ैं वफर भी िे काफी लोकवप्र् हैं और काफी हद तक सिीकार औरएकपवित्व्वतिथिे,वजनहोंने5000सेअविकऐसेगानेिनाए।वकएजातेह।ैंिेएकलोकगीतकीविवरटिविरषेताओंकेअनरूुप
ब्उल सगं रीत िें ि्द्
िाद््ंत्ों में सिसे अविक लोकवप्र् िौल गा्क ह,ै उनमें से एकतारा और दोतारा ह,ै वजसका उप्ोग लगभग सभी िालू के साथि-
ह,ैंवजसमेंसगंीतकारऔरगा्कपरंपराऔरसथिानी्ससंकृवतमें वनवहत ह,ैं उनकी भािनाएँ िासतविक और सहज हैं और िनु और ल्पारंपररकपै्टन्शपरआिाररतह।ैं अफसोसकीिातहैवकिाल सगंीतकीपरंपराअिकाफीहदतकखतमहोरहीह।ै
 आपनदेवलखाह.ै.. िैसेमरेाविचारथिावकअिरा्दहीकोईइसभ्रममेंहोवक्ह
‘िम्शकोिैवश्वकहीहोनाचावहए’मेंआएसथिानकानाम‘से्ान’ कविताजॉज्शपचंमकेवलएथिी।1950केआसपासहीकु्लोगों नहीं ‘से्ोना’ होना चावहए। ने ्ह िेकार की अफिाह फै लाई थिी। ्वद वकसी को ्ह गलत
एररज़ोनाकेसे्ोनावसथित‘चपैलऑफ़होलीक्रॉस’मेंिारिाअभीभीहैतो्हलेखपढ़करदरूहोजानीचावहए।जहाँ
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अफ्ीकी-अमरेरकीहॉलीि्ु अवभनेत्ीऔरजानीमानीगाव्कामरैी वमलिेन ने ‘ओम ज् जगदीर हरे।।’ भजन गा्ा। उललेखनी् हैइसरहरसे्ोनामेंवदिगंतभतूपिू्शसीने्टरजॉनमकैेनकाघर- कोन्शिेल मे वसथित ह।ै ्ह रहर लाल रंग के पहाड़ों पर िसा है तथिा ‘ग्ैं् कै वन्न’(Grand Canyon) की भांवत प््श्टकों को आकवषत्श करता ह।ै इसकी तलु ना ज्परु से की जा सकती है जो वक लाल रंग केमहलोंसेिसाह–ैअतंर्हहैवकज्परुिसा्ाग्ाहैजिवक से्ोनाप्राकृवतकमलू रूपसेह।ै
दरे विदरे सेलगभग50लाखलोग्हाँप्रवतिष्शघमूनेके
तकमझुेपताह,ै्हगीतदिेीकीसतवुतह।ैइसकेएकअतंराकी पवंतिहै‘सनेहम्ीतवुममाता’,उससेहीमझुे्हभानहुआथिा। होसकताहैमरेीिारिागलतहो।
कविताएँ भी िहुत अच्ी ह,ैं विरषे रूप से सेवलना चौिे की ्े पवं ति्ाँ िहुत सनु दर है जो उदितृ करने ्ोग् ह:ैं ‘खरु हाल ्ादों की विखरी सामवग््ाँ’। विभा झालानी वलवखत उनके पजू ् पापाजी कवििरश्ीगलुािख्ंेलिालकेससंमरिपढ़करिहुतअच्ा लगा। इस उत्तम रचना के वलए लेवखका को ििाई और िन्िाद।
अगलेअकं कीप्रतीक्षारहगेी। हिनोदहति्ररी Boulder, CO 80305; USA
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आपका विश्वा के अक्टूिर 2020 अकं में ्पा समपादकी् ‘समद्ु मथिं न’ पढ़ा। िासति म,ें दो िार पढ़ा ति इस गढ़ू विष् का भाि और मम्श समझ में आ्ा। आपने इसकी प्रासवंगकता ित्शमान सम् में अमतृ और विष के माध्म से हमें िखिू ी समझा्ा है और लगता है पाठकों को समझ में भी आ्ा होगा।
मझु ेआराहैवकविश्वाके भविष््के अकं ोंमेंभीहमेंअपने िावमक्श ग्थिंोंिेदऔरपरुािसेित्शमानसामावजकऔरआवथि्शक विषमताओ ं का समझने में मदद वमलेगी और आपके ज्ान के प्रकार से पाठक लाभावनित होंगे।
- डॉ. प्रक्श चंद
Avon, Ohio
वलए आते ह।ैं
-डॉ. प्रय्ग न्र्यण हिश्, एररज़ोना, आजीिन सदस्
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वप्लेकु्वदनोंमेंविश्वालगभगपरूीपढ़ी।मैंिीरेिीरेआनंदलेकर ही पसु तक-पवत्काएँ पढ़ता हू।ँ आपका ्ह अकं भी िहुत अच्ा लगा। इसके विष् में और कु ् लेख, कविताओ,ं और आपके उत्तमसमपादकी्परपहलेहीवलखचकुाहू।ँरषेरचनाओंमेंरेि,ु सत्जीत रा्, और अरं ु जौहरी की उत्तम कहावन्ों का आनंद वल्ा। सत्जीत रा् और रेिु की ्े कहावन्ाँ पहले नहीं पढ़ी थिीं। ्ॉ. अमरनाथि का जॉज्श वग््स्शन पर और ्ॉ. दीपक पां्े का महा कवि कु रूप पर लेख िहुत रोचक और ज्ान ििक्श ह।ैं जॉज्श वग््स्शन के विष् में थिोड़ा िहुत पता थिा वकनतु इतनी अच्ी जानकारी नहीं थिी। िेदव्ास का जन गि मन पर आलेख सामव्क महत्ि का ह।ै
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विशिवा / Áअप्रैल 2021











































































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