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 वटिपपणी
विना स्वभाषा के महाशककत कैसदे !
आमतौरपरलोगोंकोपतानहींहोतावकस्ं तिु राष्ट्21फरिरी इनदरे ोंमेंभीभारतकीतरहपवबलक कोविश्व-मातभृाषावदिसक्ोंमनाताह।ैदवुन्ाकेलगभगसभीराष्ट्ोंमेंसकूलोंकीिहारआईहुईह।ैसपंनन इसवदनमातभृाषाओंकेसममानसेजड़ुेआ्ोजनहोतेह,ैंलेवकनइसका औररहरीमध्मिग्शकेिचचेइनहीं
श््े हमारे पड़ोसी राष्ट् िांगलादरे को जाता ह।ै िांगलादरे 1971 के पहले सकू लों में लदे रहते हैं और िे ही अग्ं ेजी
तक पावकसतान का वहससा थिा। इसे पिू ती पावकसतान कहा जाता थिा। इस माध्म से पढ़े िचचे सरकारी नौकरर्ाँ पिूतीपावकसतानकीजनतािांगलाभाषीहैलेवकनइसपरउद्शूथिोपदीगई हवथि्ालेतेह।ैं्वदमातभृाषाओंऔर थिी।पवश्चमपावकसतानकेलोगोंकीभाषाएँह–ैंपजंािी,वसिंी,िलचूऔरराष्ट्भाषाकोउनकाउवचतसथिानवमल पशतोलेवकनउनहोंनेभारतसेगएमहुावजरोंकीभाषाउद्शूकोराष्ट्भाषा जाएतोहमारेअसपतालऔरन्ा्ाल्सभीमुद्ोंपरसततसररिय
 सिीकारकरवल्ाथिा।1948मेंजिपावकसतानकीसवंििानसभामेंउद्शू को राजभाषा घोवषत वक्ा ग्ा तो िांगला सदस्ों ने उसका कड़ा विरोि वक्ा लेवकन उनकी दलीलें रद् कर दी गई।ं
ि्तृभ्ष् आनदोलन
नतीजा्हहुआवकपरूेपिू तीपावकसतानमेंआनदोलनकीआगभड़क उठी।ढाकाविश्वविद्ाल्के्ात्ोंनेजिदस्शतप्रदरन्श वकए।ऐसेहीएक प्रदरन्श परपावकसतानीफौजनेगोवल्ाँिरसाई।ं21फरिरी1952कोपांच नौजिानरहीदहोगए।तभीसे21फरिरीकावदनमातभृाषा-वदिसके तौरपरिांगलादरेमेंमना्ाजानेलगा।इसीमातभृाषाआनदोलनसेआगे चलकर िांगलादरे का जनम हुआ। िांगलादरे के वनमा्शि (1971) के िाद ्हमांगवनरंतरउठतीरहीवकमातभृाषा-वदिसकोअतंरराष्ट्ी्मान्ता वदलिाई जाए। रखे हसीना के नेततृ ि में िांगलादरे सरकार ने ्नू ेसको की महासभा से 21 फरिरी को विश्व मातभृ ाषा वदिस घोवषत करिा वल्ा। सन 2000से्हसारीदवुन्ामेंमना्ाजाताह।ै दवुन्ामेंइससम्7000 मातभृाषाएँ्ासिभाषाएँ्ािोवल्ाँह।ैंइनमेंकइ्ोंकीकोईवलवपनहींह,ै व्ाकरि नहीं ह,ै पसु तकें नहीं ह,ैं अखिार नहीं हैं लेवकन वफर भी िे जीवित हैं और प्रचवलत ह।ैं
उनमें से लगभग आिी ऐसी ह,ैं वजनकी रक्षा नहीं हुई तो िे काल- किवलतहोजाएगँी।दवुन्ाकेदसूरेदरेोंकीिातअभीजानेद,ेंहमारेदवक्षि एवर्ामेंमातभृाषाओंकाआजक्ाहालह?ै्वदहमअफगावनसतान, नेपाल और भ्टू ान को ्ोड़ दें तो िताइए कौन सा ऐसा दरे हमारे पड़ोस मेंह,ैजहाँउसकीसिभाषा्ामातभृाषा्ाराष्ट्भाषाकोउसकासमवुचत सथिान वमला हुआ ह।ै दवक्षि एवर्ा के इन दरे ों को आजाद हुए अि 75 सालपरूेहोनेकोहैंलेवकनजहाँतकमातभृाषाकासिालह,ैइसमामले में िे अि भी घ्टु नों के िल रेंग रहे ह।ैं मनैं े अफगावनसतान, नेपाल और भ्टूानकीससंदोंऔरराज-दरिारोंमेंउनकीअपनीभाषाओंकाप्र्ोग होतेहुएदखेाह।ैउनकेकाननू,न्ा्,वरक्षि,राज-काजऔरघर-िाजार की भाषा उनकी अपनी ह।ै इन तीनों दरे ों को अपनी भाषा, ससं कृ वत और जीिन-पधिवत पर गि्श ह।ै
गि्श तो भारत, पावकसतान, िांगलादरे , श्ीलंका और मालदीि को भी ह।ैिेअपनीभाषाकोमहारानीकहतेहैंलेवकनउसकादजा्शसि्शत्नौकरानी का ह।ै इन राष्ट्ों की अपनी भाषाओंमें न तो इनका काननू िनता है और न हीउनकेजररएअदालतोंमेंिहसहोतीह।ैजोफैसलेहोतेह,ैंिेभीअग्ंेजी मेंहोतेह।ैंइनदरेोंकीससंदोंमेंज्ादातरिहसभीअग्ंेजीमेंहीहोतीह।ै मातभृाषातभीसनुनेमेंआतीह,ैजिनेताजीकोअग्ंेजीनहींआतीहो।
जाद-ू ्टोनाघर िनने से िच सकते ह।ैं िररषठ रिन्िी प्रेमी परिकार स्ंतिुराष्ट्और्नूेसकोजिमातभृाषाओंकीिातकरतेहैंतोउनका आर््हनहींहोताहैवकिचचेदसूरीभाषाओंकािवहष्कारकरद।ेंिे अपनीमातभृाषाजरूरसीखेंलेवकनउसकेसाथि-साथिराष्ट्भाषाभीसीख।ें वजन राष्ट्ों में कई भाषाएँ ह,ैं िहाँ राष्ट्भाषा राष्ट्ी् एकता और समग् विकास का प्ा्श् होती ह।ै जहाँ तक विदरे ी भाषाओ ं का सिाल ह,ै उनहें
भीजरूरतकेमतुाविकसीखाजाएतोिहुतअच्ाह।ैविदरेीभाषाओं का ज्ान विदरे -व्ापार, राजन् और रोि-का््श के वलए आिश्क ह।ै लेवकनइनतीनोंकामोंमेंवकतनेलोगलगेह?ैं मवुशकलसेएकलाखलोग। लेवकन हमारे दरे में तो 140 करोड़ लोगों पर एक विदरे ी भाषा थिोप दी गई ह।ै अवनिा््श अग्ं ेजी के चलते करोड़ों िचचे हर साल अनत्तु ीि्श होते ह।ैं उनका मनोिल वगरता है और उनकी हीनता-ग्वं थि मो्टी होती चली जाती ह।ै सिचोचच पदों तक पहुचँ ने के िाद भी िह ज्ों की त्ों िनी रहती ह।ै
हमारेपरुानेमावलकोंकीभाषाअग्ंेजीवसफ्शसाढ़ेचारदरेोंकीभाषा ह।ैवब््टेन,अमरेरका,ऑसट्ेवल्ाऔरन्जूीलैं्की।्हकना्ाकीभी भाषाहैलेवकनआिाकना्ाफ्ांसीसीिोलताह।ैचीन,फ्ांस,जमन्शी, जापान, इ्टली आवद दरे ों का सारा महतिपिू ्श काम उनकी अपनी भाषा में होता ह।ै विदरे ी भाषा के जररए कोई भी दरे आज तक महारवति नहीं िनाह।ैइनसिदरेोंमेंरहकरमनैंेउनकेविश्वविद्ाल्,ससंद,ेंअदालतें, सरकारीदफतर,घरऔरिाजारदखे ेह।ैं सि्शत्उनकीअपनीमातभृाषा्ा राष्ट्भाषा का िोलिाला ह।ै हमारे दरे में अग्ं ेजी अके ली ऐसी विदरे ी भाषा ह,ै वजसका सि्शत् िोलिाला ह।ै इसका उप्ोग चीन, जापान, रूस, फ्ांस औरजमन्शीकेसाथिकरकेक्ाहमअपनेव्ापार,कू्टनीवतऔररोि- का्यों मेंउनका समवुचत लाभ उठा सकते ह?ैं
िौहलकत् को नुकस्न
एकमात्विदरेीभाषा(अग्ंेजी)कीअवनिा््शतानेभारतकोनकलची िनावद्ाह।ैउसकीमौवलकताकोपगंुकरवद्ाह।ैभारतकेमट्ुीभरलोगों की उननवत में अग्ं ेजी का ्ोगदान जरूर है लेवकन भारत के 100 करोड़ से भीज्ादागरीिों,वप्ड़ों,ग्ामीिों,मजदरूोंऔरिवंचतोंकाउधिारउनकी सिभाषाओ ं के विना नहीं हो सकता। आज तक सितंत् भारत में एक भी सरकारऐसीनहींआईह,ैजोराष्ट्ी्विकासमेंभाषाकीभवूमकाकोठीक से समझती हो। कु ् सरकारों ने जि-ति थिोड़े-िहुत कदम जरूर उठाए हैं लेवकनजितकमातभृाषाओंऔरराष्ट्भाषाकाहरक्षेत्मेंसिचोचचसतर तक प्र्ोग नहीं होगा, भारत महासपं नन और महारवति नहीं िन पाएगा।
िरेिप्ताप िैरिक
 अप्रैल 2021 / विशिवा
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