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खणडक्वय:मनोव्थिा,सावित्ी,महाभारतकथिा,दिेी होनेकेिादभीसथिानी्जनताकेअवतर्सनेहऔरअनरुोिको उपाख्ान,जनगीता,वनष्पाप,रहस्,सािना,नत्तुहसं,मवहमा,सिीकारतेहुएआदरेजीनेवत्वन्ा्कोहीअपनाकमक्ष्शेत्िना लवलता लक्मी,हतै कु भवति, तपसिी हाथिी, आचरििान साि,ु रि वल्ा।
दहन सथिान, कोप भाजन, राजतन्, गररमा, सतसगं वत, महति, रह गई भ्रतरीय हिद्् ससं थ्न, हत्हनड्ड एिं रोबरैगो – प्रो. ्ाद,वप्लीसवुि्ाँ हरररकंरआदरेनेवत्वन्ा्मेंअपनेका््शकालकेप्रारंवभकिषयोंमें
न्रक:दरेभवति,सरूदास,वनषादकुमार,अरोकिाव्टका, रिरी
उपनय्स:वनष्कलंक,गिुारदखेतेरहे हनबनध:झीनीझीनीिीनीचदरर्ा,ज्ोवतपि्श उदूरा:रिाि,आजकीरात,लमह,ेदिेता,मवंजलनहींवमली
तोक्ा?,जाऊँतोकहाँजाऊँ हरररकंरआदरेकोइसससंथिानकासिपेसिा्शिना्ाग्ा।सम् ब्लक्वय:विहान,कशमीर,आओिचचों,िेि,ुदखेोमगरकेसाथिआदरेजीनेकना्ा,अमरेरकादरेोंमेंभीभारती्विद्ा चाचाचलेब्ाहरचाने,जीिनकेतीनरंग,वररुसकंलप,मरेाघोड़ा,ससंथिानकीराखाओंकीसथिापनाकीऔरससंथिानकेअपनेउद्शे्ों ्टीममक्टु,कितूरऔरवरकारी कोविसतारवद्ा।आजभारती्विद्ाससंथिान(BVS)भारती् सगंरीत:सरगम,ष््ज,ऋषभ,गिंार,मध्म,पचंम,ििैत, सगंीत,कलाऔरसावहत्,आध्ावतमकचतेनाकेमखु्केंद्के
वनषाद, राग वििेक आवद ग्थिं । रूप में प्रवतवठित ह।ै प्रो.हरररकंरआदरे1966मेंभारतसरकारकेभारती् वत्वन्ा्आनेसेपिू्शआदरेजीनेिािारामदासघरानाके
सांसकृवतकसिंंिपररषद्केमाध्मसेसांसकृवतकदतूकेरूपमेंपवं्ततारारकंरराकेरकेमाग्शदरन्शमेंरास्ती्सगंीत,प्रवसधि वत्वन्ा्पहुचँेथिेऔरदसिषयोंतकभारती्उचचा्ोगमेंअपने पखािजिादकपवं्तिीएसअनलेरसेतिलाआवदिाद््ंत्ों दाव्तिोंकाकुरलतापिू्शकवनि्शहनकरतेरह।ेअपनेका््शकालके कीविविितवरक्षालीऔरकशमीरविश्वविद्ाल्,श्ीनगरमेंसगंीत दौरानउनहोंनेदरे कीएककोनेसेदसूरेकोनेतक्ात्ाएँकींऔर विभागकेअध्क्षपदकेउत्तरदाव्तिोंकावनि्शहनवक्ा।वत्वन्ा् वत्वन्ा्मेंभारती्भाषा,सावहत्,सगंीतऔरससंकृवतकेप्रचार- पहुचँानेकेिादभारती्विद्ाससंथिान,वत्वन्ा्केमाध्मसेउनहोंने प्रसारमेंअपनेकोसलंगनवक्ा।अपनेइसका््शकालमेंआदरे ्हाँकेसथिानी्औरभारती्मलूकेलोगोंकेवलएवहनदी,ससंकृत जीनेअनभुिवक्ावकउपवनिेरिावद्ोंकेमाध्मसे्हाँपहुचँेऔरसगंीतकेविविितअध््न-अध्ापनकीव्िसथिाकी। ‘वगरवमव्ट्ा’मजदरूोंकोअपनीभाषा,सावहत्,सगंीतऔरससंकृवत ्ॉ.आदरे नेदरूवरक्षाद्ाराभीभारतकेविवभननवरक्षिससंथिानों कोसरंवक्षतरखनेहतेुकवठनसघंष्शकरनापड़ाह।ैभारतिवंर्ोंमेंकेपाठ््क्रमोंकोसचंावलतवक्ा।आदरेदपंवत्तनेवत्वन्ा्की अपनेपिू्शजोंकीमातभृवूमऔरससंकृवतकेप्रवतअगािश्धिाह,ैिे जनताकोभारती्कलाओंसेजोड़नेकाअनथिकप्र्ासवक्ा। वहनदसुतानकोभारतमाताकहतेहैंलेवकनउनकीअगलीपीढ़ीिहाँजहाँहरररकंरआदरेनेसथिानी्भारती्-सगंीतप्रेवम्ोंकोविवभनन व्ाप्दमनकारीिातािरिकेफलसिरूपअपनीिरोहरसेदरूहोती िाद््ंत्ोंजैसेसरोद,सतंरू,जलतरंग,पखािज,सारंगी,वसतार, जारहीह।ैअपनेका््शकालकेदौरानआदरे जीनेभारतिवंर्ों तिला,हारमोवन्मसेपररवचतकरा्ाऔरउनकासैधिांवतकऔर को भारती्ता से जोड़ने के अनेक उपक्रम वकए और उसमें उनहें प्रा्ोवगक अध्ापन भी उपलबि करा्ा िहीं आदरे जी की पतनी सफलताभीवमली।उनहोंनेवहनदीकाप्रचार-प्रसारकरनेकेसाथि-साथि्ॉ.वनमल्शाआदरेनेभारती्रास्ती्नतृ्‘कतथिक’कीविविित रामा्ि,महाभारत,भगितगीतातथिाऔपवनषवदकदरन्शआवदका कक्षाओंकाआ्ोजनकरलोगोंकोभारती्तासेजड़ुनेऔरउसे प्रचार-प्रसारवक्ा।उनहोंनेपजूापाठ,कमक्शां्,विवभननससंकार,पि्शजन-जनतकपहुचँानेकेवलएआिारभतूपले्टफॉम्शतै्ारवक्ा। तथिािम्शकीवरक्षासेसवुरवक्षतएिंआचारािानपवं्त,उपदरेक उललेखनी््हहैवकभारती्विद्ाससंथिाननेलोगोंमें तथिािावमक्श िसांसकृवतकससंथिाओंकेका््शकता्शतै्ारकरनेमें भारती्ससंकृवत,कला,सगंीत,सावहत्केमाध्मसेलोगोंमेंनई महतिपिू्शउपलवबिहावसलकी।भारती्भाषाऔरससंकृवतके चतेनाकासचंारवक्ा।ससंथिानकेमाग्शदरन्शऔरप्रोतसाहनसे प्रवतआपकीअगािवनठिाऔरअ्टू्टसमप्शिकोदखेतेहुएलोगोंअनेकविद्ाथितीभारती्ससंकृवत,भारती्कला,सगंीत,सावहत्के के मन में आदरे जी के प्रवत प्रेम और सममान की भािना िढ़ने अध््नके वलएभारतआएऔरइनविष्ोंमेंपारंगतहोकरदरे का लगी और उनकी पहचान एक माग्शदरक्श और गरूु के रूप में होने नाम और मान िैवश्वक सतर पर िढ़ाने के साथि ही भारती्ता के सजग लगी।फलसिरूप30जनू,1976कोभारती्उचचा्ोगसेसेिामतिु पहरीकेतौरपरसमाजकोवदरा-वनदवपेरतभीकररहेह।ैं ससंथिान
कि्नरीस्हितय:रजतज्नती,वनराकीिाह,ें सागरऔर ही‘भारती्सांसकृवतककक्षाए’ँ नामसेकक्षाओंकीसथिापनाकी। सररता,म्ा्शदाकेिंिन,लकीरोंकाखले,आतमाकीआिाज,उनहोंनेिहाँकेलोगोंकीभारती्सगंीतमेंविरषेरुवचकोदखेते दिे्ानी,शमीम,दिेताओंकािरदान,सिग्शऔरनक्श,वपताजीके हुएसगंीतकेमाध्मसेवहनदी-वरक्षिकीनीवतकोवक्र्ावनित श्ीमखु से
करवहनदी-अध्ापनकीव्िसथिाप्रारंभकी।हजारोंकीसखं्ामें सथिानी्वत्वन्ा्िासीभारती्िि,्शवलंग,जावत,िम्शसेपरेहोकर इसअवभ्ानमेंसवममवलतहुए।श्ीराजकुमारऔरवपललईजैसी प्रवतवठितसथिानी्हवसत्ोंनेउनकेइसप्र्ासमेंिढ़चढ़करसह्ोग वद्ाऔरइनदोनोंमहानभुािोंकेप्र्ासोंसे‘भारती्सांसकृवतक कक्षाए’ँकानामिदलकर‘भारती्विद्ाससंथिान’करवद्ा।्ॉ.
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