Page 36 - VishwaApril2021.html
P. 36

समरण
हररशंकर आ्देश अपनदे रचनातमक और सजमानातमक का्ययों के वलए ्या् रहेंगदे
  जन्म : 7 अगसत, 1936 अिसान : 27 रिसंबर, 2020
ऋवषआदरेकेनामसेसावहत्जगतमेंअपनीपहचानरखनेिालेप्रोहरररकंर आदरे का महाप्र्ाि वनवश्चत ही िैवश्वक वहनदी जगत के वलए अपरू िी् क्षवत ह।ै विरा्टव्वतितिकेसिामीऔरसावहत्सज्शकहरररकंरआदरेआजहमारेमध् दवैहकरूपसेविद्माननहींह,ैंलेवकनअपनीमहानलेखनीसेअवज्शत्र-ररीर द्ारािेसदिै हमारीसमवृत्ोंमेंरहगेंे।लगभगसाढ़ेतीनसौग्थिंोंकेप्रितेाप्रो. आदरे केप्रभािरालीव्वतितिमेंसावहत्,सगंीत,भारती्भाषाऔरससंकृवत के प्रवत अ्टू्ट प्रेम और अगाि वनठिा का भाि ह।ै आदरे जी का समसत सावहत् आध्ावतमक सािना और समप्शि का िह वनचोड़ ह,ै वजसमें भवति, िैराग् और ज्ान कीअजस्रवत्िेिीप्रिावहतहोतीह।ै भारती्ससंकृवतकीमवहमाकोविश्वभरमें मवं्तकरनेिालेआदरे जीकेसमग्सावहत्कोपढ़नाऔरउसकाविश्ेषि, मलू्ाँकनकरनावनवश्चतहीएकसखुदअनभुिह।ैिहुमखुीप्रवतभाकेिनीप्रो. आदरे का सावहत् वजतना िहुरंगी है उनका व्वतिति भी उतना ही िहुआ्ामी ह।ै िे प्रिंिकार, कलाकार, वनिंिकार, ससं मरि लेखक, अनिु ादक, समीक्षक, ना्टककार आवद न जाने वकतनी वििाओ ं में लेखनी चलाकर अपने सावहत् को उनऊँचाई्ोंपरलेजातेह,ैंजहाँपहुचँनाहरवकसीकेवलएसभंिनहीं।वनवि्शिाद रूपसेहरररकंरआदरेव्वतिनहोकरएकससंथिाहैंवजनकेविपलुसावहत्पर दरे -विदरे के अनेक विश्वविद्ाल्ों में रोिका््श हुए ह,ैं हो रहे हैं और आगे भी होंगे।सगंीतरास्तकेउद््टज्ाता,वपगंलरास्तकेआविकाररकममज््श,भारती् ससं कृ वत के वनसिाथि्श सािक और अमर गा्क प्रो. आदरे अपनी लेखनी से लोगों के ह्रद्कोचमतकृतकरनेकीअद्ुतक्षमतारखतेह।ैं
अितकआदरे जीकीलगभग350रचना्ेंप्रकावरतहोचकुीह,ैंइन रचनाओंमेंमहाकाव्,ख्ंकाव्,मतिुककाव्,कहानी,उपन्ास,ना्टक,सगंीत आवदसभीवििा्ेंरावमलह,ैंइसकेसाथिहीभारती्सगंीत,िेद,उपवनषद, गीता, रामचररतमानस आवद भारती् ससं कृ वत के विविि पक्षों पर आिाररत अनेक ऑव््ो / िीव््ो ्टेप भी तै्ार वकए जो उनके विद्ावथि्श्ों और इस विष् में रूवच लेनेिालोंमेंिहुतलोकवप्र्रहेह।ैं कु्रचनाओंकानामोललेखइसप्रकारह–ै
महाकाव् : अनरु ाग, रकु नतला, महारानी दम्नती, लवलत गीत रामा्ि, दिेीसावित्ी,रघिुरंवररोमिीश्ीराम,(‘गिंि्शरामा्ि’और‘स्ू्शपत्ुकि’्शकी पां्ुवलवप भी तै्ार कर गए ह।ैं )
िुक्तक क्वय : वनरारा, रवि की भाभी (हास्-व्ंग्), मन की दरारें, लहू औरवसदंरू,आकारगगंा,दिेाल्,रतदल,वनिपेद,रजनीगिं ा,ररद:रतम,्लहरों कासगंीत,प्रिासीकीपातीभारतमाताकेनाम,रम्भािरवशम्ाँ,आमोंकी पचंा्त,िैवदकनीहाररका,पतनीचालीसागरुु रतक,पवतरतक,दरे ांतर,विखरे फू ल, रतना के कं त, मनोरंजन, राम कह त,ू रमजान, ईद मिु ारक, वक्रसमस आ्ा, दिे ी महातम,मवदराल्,आहातआकांक्षाए,ँदिे औरदानि,वन्वतकेचरि,रविवप्र्ा, मजंुमीलन,लवलतपत्प्रसनू,आकार्ात्ा,दरेविदरे,रताबदीकेसिर,आतम वििेक, मवदराल्, वनठिा वनकंु ज, वनमल्श सप्रती, आदरे सप्रती, जीिन सप्रती, जमनुासप्रती,वििेकसप्रती,सरुवभसप्रती,पतनीसप्रती,प्रिासीसप्रती
 डॉ. नूतन पाणडडेय
सिायक रनिरेिक, केंद्रीय रिन्िी रनिरेिालय, रिक्षा मंरिालय, भारत सरकार, नई रिलली 110066, Email- pandeynutan91@gmail.com
 34
विशिवा / Áअप्रैल 2021
























































































   34   35   36   37   38