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केभतूपिू्शविद्ाथितीजोदरे केसांसकृवतकआइकॉनहैंउनमेंचद्ंदत्त वसहं,्ॉ.मगंलप्टेसर,सनातनिम्शमहासभा,वत्वन्ा्एिं्टोिैगो केिमा्शचा््शउत्तममहाराज,सहोदरावरि,सांद्ासखुदिे,मकुुनलाल श्ामलाल,कालीचरिदखुी,सगंीतसाररकाउमाििुराम,दनू रामसदंुर,नरेंद्महाराज,वरिानंदमहाराज,अमरराजकुमार,वरिन सीनाथि आवद अनेक नाम हैं वजनहोंने आदरे जी के माग्शदरन्श और प्रोतसाहनसेभारती्सगंीतकाअध््नवक्ाऔरआजदरे भर मेंअपने-अपनेसगंीत-कलाप्रवरक्षिससंथिाओंसेभारती्ताको पोवषत कर रहे ह।ैं आदरे जी अपने व्वतिति की महानता के अनकु ू ल हीसदाअपनेवरष््ोंकोऊँचाईपरपाकरगौरिावनितमहससू करते रहेऔरउनकीससंथिाओ/ंससंथिानोंकोफलने-फूलनेकाआरीि्शचन दने े तथिा हरसभं ि सह्ोग के वलए ततपर रह।े
आदरे जीनेअपनेसगंीत-वरक्षिकेवलएवहनदीपढ़ने-समझने की अवनिा््शता को िरी्ता दी वजसके माध्म से दरे में वहनदी के प्रवत लोगों में उतसाह का िातािरि वनवमत्श हुआ। ससं थिान के अनेक विद्ाथिती कें द्ी् वहनदी ससं थिान, भारत सरकार के विदरे ों में वहनदी-वरक्षि ्ोजना के अतं ग्शत सकालरवरप पर भारत आए हैं और वहनदी का अध््न कर चकु े ह।ैं ्ही विद्ाथिती ित्शमान में वत्वन्ा् में भारती्विद्ाससंथिानसेसचंावलतलगभगतीसकेंद्ोंमेंअध्ापन का का््श कर रहे ह।ैं आदरे जी अपने समपिू ्श जीिनकाल में लोगों को वहनदी से जोड़ने का प्र्ास करते रहे और उनहें वहनदी में सजृ नातमकता के वलए प्रोतसावहत करते रह।े उनहोंने सथिानी् लोगों को वहनदी में कविता्ें और कहावन्ाँ वलखने के वलए प्रेररत करने के साथि साथि उनकेसजृनकोसरंोवितएिंपररमावज्शतकरससंथिानकीपवत्का ‘ज्ोवत’ में प्रकावरत करने का महतिपिू ्श का््श भी वक्ा। आदरे जीकीप्रेरिासेहीउमाििुराम,ताराविष्िुद्ालवसहं,रामप्रसाद, ्ो्टकन लाल,आइिन विसेसर, इना िखर, रामदत्त रामवकसनू, दिे चदं दास, जॉन जोसेफ कंगाली, लीला गिरे , उषा प्रीवतमवत ििूवूसहं,इनद्ारामवखलािन,रिीनद्नाथिमहाराज,रारदामहाराज, तेजवसहंरामवखलािन,कमलारामलखन,वजनसीसपंत,जोगीदखुी, सरु ेनद् जीिन महाराज, ला्् वसरज,ू विष्िु ििु ाई, ररखी महाराज, राविका रघिु ीर,रामानन, जीतराम रामसमझू जैसे अनेक वरष्् अपनी समझ और भािनाओ ं को कविता, कहानी में कहने में सफल भी हुए। ्ॉ.वनमल्शाआदरेनेवत्वन्ा्केइनरचनाकारोंकीरचनाओंको एकपसुतकमेंसपंावदतभीवक्ाह।ै
भारती्विद्ाससंथिानकीपवत्का‘ज्ोवत’सगंीत,कला,िम्श औरदरन्श केभाषापाठपरआिाररतथिीऔरइसकीसामग्ीअन् िातोंकेअलािाअकादवमकपाठ््क्रमोंपरकेंवद्तहोतीथिी।सगंीत के रागों, िाद््ंत्ों की तालों आवद वििाओ ं को वद्भावषक रूप में वसखा्ा जाता थिा। विद्ावथि्श्ों की सग्ु ाह्ता को ध्ान में रखकर सामग्ी वहनदी-रोमन-अग्ं ेजी में दे जाती थिी। ससं थिान में आदरे जी ने प्रवतभाराली विद्ावथि्श्ों को अवतररति प्रवरक्षि प्रदान करने के उद्शे ् से सिर-ससं ार (कलाकारों का प्रवरक्षि) का््शक्रम भी सचं ावलत वकए।
भारती् विद्ा ससं थिान (BVS) द्ारा आिासी् प्रवरक्षि वरविर (वलि-इन लवनांग कैंप) अििारिा को 1970 के दरक में
ररूु वक्ा ग्ा थिा, वजसका उद्शे ् मानि के िावमक्श जीिन में भारती् अििारिा के उदात्त आदरयों, व्वति और समाज के समग् विकास की सथिापना पर आिररत ह।ै ्े वरविर प्रवतिष्श आ्ोवजत वकएजारहेह।ैंइसवरविरमेंभारती्सगंीत,कला,सावहत्और ज्ान में रुवच रखने िाले ्ात् और व्वति एक सप्ाह के वलए एक पररिार के रूप में रहते है और ्हाँ रहकर विविि कलाओ ं को सीखने वसखाने का क्रम चलता ह।ै ससं थिान प्रवतिष्श ्ह वरविर आ्ोवजत करता है वजसमें दरे -विदरे के प्रवतभागी प्रवतभावगता करते ह।ैं इस वरविर में सिु ह से राम तक विविि विष्ों का व्ािहाररक एिं सैधिांवतकअध्ापनहोताह।ै रामकोसांसकृवतकका््शक्रमोंका आ्ोजन होता है वजसमें दरे के प्रवतवठित कलाकार और ससं थिान के विद्ाथिती सांसकृ वतक का््शक्रम प्रसततु करते ह।ैं इन का््शक्रमों की भव्ताऔरसतरी्ताप्ररसंनी्औरप्रेरिादा्ीहोनेकेसाथिही औपचाररक-अनौपचाररक ‘आश्म’ अनरु ासन के तहत, भारती् सामावजक-सांसकृ वतक मलू ् प्रिाली के अनरूु प भी ह।ै
प्रो.हरररकंरआदरे नेआदरे आश्मऔरभारती्विद्ा ससंथिानकेपररसरमेंवकएगएरचनातमकऔरसजृनातमकका्योंसे वत्वन्ा्एिं्टोिैगो,कना्ा,अमरेरकाएिंअन्दरे ोंमेंभारती्ता कीवजसअलखकोजगा्ाहैिहहमरेाप्रजिवलतरहगेी।अपनेज्ान की इस प्रकारज्ोवत से आदरे जी व्वति से एक सि्शव्ापी ससं थिा के रूप में पररित होकर सि्शदा भारती् समाज के मन- मवसतष्क में विद्मानरहगेंे।
 आनंद िसतुगत निीं, भ्िगत िोत् िरै
सेलिी का सेलि कांरिडेंस
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विशिवा / Áअप्रैल 2021

























































































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