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 सृक्टि के ्ो शाश्वत विमि
मिनलाल िमाति
िररषठ अरििकता, उपन्यासकार और करि, संपक्क sharma madanlal77@gmail.com
सयू लोदय
िक्षृ ों के वरखरों पर जिान होती िपू । वखलवखलाता है िालू के ्टीलों पर दौड़ते खरगोर सा मरेािचपन। गनुगनुाताहै गाँिकेतालािमें तैरतेमढेंकसा मरेा्ौिन। आिँीओढ़े आसमान सा
िहुत उदास है िढ़ुापेकेआसपास मरेामन।
िंगल िें सयू ्रासत
  सम्टे रही है
लावलमा
सन्ास लेती सिु ह। कमण्ल में भरे पानी सा वसथिर हो ग्ा है
समद्ु।
भगुतानकीहुई
िही की वलखाि्ट सा ररति
होग्ाहैमघे
ईमानदारी की झोंक में रात भर िरस कर। घवण्ट्ाँ िजाती हैं
खते की पग्ंव््ों पर वकसीग्रर्ेकी
भोली, अलहड़ लड़की सी
रोरनीकीगठरीको
पीठ पर लादे
सरूजसमद्ु मेंउतररहाहै तपन,िलू औरिपू से थिकीहुईपग्ंव््ाँ अनिरे े में सनान करने वनि्शसन हो रही ह।ैं नीमअनिरेेमें
राह ्ट्टोलती चचंलराहगीरलड़की अपनेसाथिीकोिलुानेकेवलए िार िार
चवूड़्ाँ खनका रही ह।ै
प्थृ िी की साँसों से
वनकला हुआ आचँलभरसनना्टा पवक्ष्ोंकी
वदन भर की उड़ान को
िक्षृ ोंकी्टहवन्ोंपर क़ैदकरदतेाह।ै
सीने को चीरती हुई सद्शहिाओंके भ्से
समद्ु ने
पहाड़ों के कन्टोपओढ़वल्ेह।ैं सनना्टेकीमालाफेरताहुआ समचूाजगंल
तपस्ा में िैठ ग्ा ह।ै पररश्म से त्ाग पत् दतेीहुईवदनच्ा्श
विश्ाम के साथि सहिासकीप्रतीक्षामें अिँरेीगफुाओंमें
लौ्ट आई ह।ै
आसमान
चाँद का सेहरा िाँिकर
प्थृ िी के र्न कक्ष में ताकझाँककरनेलगाह।ै
दरू कहीं
पहाड़ की चो्टी पर िनेमवंदरमें
आरतीकी
घवण्ट्ाँ िजने लगी ह।ैं
 कव्वता
नारी : एक तावत््वक व्व्वदेचन
लक्मीनारायण गुपत
िर रिषय पर सिैि अपनी भािारभवयककत के रलए सररिय,
संपक्क : 22 Dover Rd.Pittsford, NY 14534 (585) 943-5590 (Mobile)
  नाचती है मरघ्ट में जो कराल काली िही है वप्र्तमा मिु अिरों िाली
मोहन की रािा, िही मजनँू की लैला रोवम्ोकीजवुल््टऔररामकीसीता पवूिम्शाहैिहीऔरअमािस्ाकाली
पिू ्श करती है िही मनोरथि सारे िही है नत्शकी रंगराला की रोभा चिू ्श करती है िही अरमान सारे विषकन्ा भी िही, िही है माताहारी
जननीहैिहीमाँअननपिूा्श नाचतीहैजोसदावरिकेरिपर सजनीहैिहीअनतःकक्षकीप्ारी सतीहोतीहैिहीपवतकीवचतापर
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विशिवा / Áअप्रैल 2021

















































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