Page 18 - VishwaApril2021.html
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खले खले में मकु के मारें, क्ा भीषि सपो्ट्श चला्ा। मैं काहे अमरीका आ्ा।
एक दोसत अमरीकी, मैं उसकी रादी में पहुचँ न पा्ा। मनैं े कहा माँग कर माफ़ी, है अफसोस नहीं मैं आ्ा। ‘कोई िात नहीं’, िह िोला, अगली रादी में आ जाना। अपनीइसिीिीसेमझुको,जलदी्ाइिोस्शकरिाना।
च्ट रादी और प्ट तलाक का क्ा घव्ट्ा दसतरू चला्ा। मैं काहे अमरीका आ्ा।
उसने कहा वक हम दोनों में विलकु ल नहीं है कमपेव्टविवल्टी। चार साल तक हुई को्ट्शवरप, वफर वकस तरह हुई ्ह ग़लती? उसनेकहािड़ीमवुशकलह,ैहमदोनोंकेरौकअलगह।ैं अच्ी लगती मझु े औरतें, उसे परुु ष अच्े लगते ह।ैं
रादी में ऐसी आज़ादी, क्ा अमरीकी चलन चला्ा। मैं काहे अमरीका आ्ा।
वकतनेदरर्ावदलदखेेजोहरकालेकोमजुररमकहते।
हैं सि लोग िरािर, लेवकन कु ् को अविक िरािर कहते। श्वेत श्ठिे ता के विश्वासी, जो हत्ा को पणु ् समझते।
माव्ट्शन लथिू र वकं ग अभी भी, आ्े वदन मरते ही रहते। ईसाकेिनदोंनेकैसे,ईसाकासनदरेभलुा्ा?
मैं काहे अमरीका आ्ा।
्हकविताहैहसँीखरु ीकी,इसकाकोईिरुानमाने। मरेा्हप्र्ासह,ैहसँ करहमअपनेअिगिु पहचाने। भारत भवूम महान विश्व की, अमरीका दवुन्ा का गहना। परूि-पवश्चमकेसगंमसे,सभंिहैससंारसँिरना। इसीवलए ्ह भारतिासी, आिासी िन करके आ्ा।
मैं ऐसे अमरीका आ्ा।
भारती् ससं कृ वत है अपनी, अमरीकी समाज है अपना। कला,गवित,विज्ानविश्वको,भ्टें हमारी,गौरिअपना। ओलवमपककेसिि्शपदकहों,चाहेपरुसकारहोंनोिल। मानि के उपलवबि-वचह्न ्े, और प्रगवत के वखलते रतदल। विश्वअग्िीअमरीकाका,झ्ंाचदंापरलहरा्ा।
मैं ऐसे अमरीका आ्ा।
एकद्ारसेिाहरजाकर,अन्द्ारसेअदंरआ्े। एकप्रिासी,आिासीिन,दोदरे ोंमेंसेतुिना्े।
कोई नहीं परा्ा जग म,ें ्ह िसिु ा कु ्टुमि है अपना।
सखु ,समवृ धि,सिातनत्् सभी को,्ह गांिी,वलंकन का सपना। अमरीकाकासिविम्श सपना,मरेीआखँ ोंमेंभीआ्ा।
मैं ऐसे अमरीका आ्ा। प्र्वदेश
पापा के जनम व्न पर
 प्र्वदेश
आ्मी
डॉ. मनोिर अभय
आर. एच-111, गोलडमाइन, 138-145, सरेकटर-21, नरेरुल, निी मुमबई - 400706/चलभाष: +91 916 714 8096// ईमरेल : manohar. abhay03@gmail.com
जनम-वदिस पर क्ा दंू उनको, वजसने जीिनदान वद्ा ! मरेाजीिनमिरुिनाने,
खदु जगकाविष-पानवक्ा!!
रबदोंमेंिहरवतिकहाँ, देसकेंििाईकासदंरे ! वजनकाहोनाहीरभुहो, क्ा उनको कामना विरषे !!
उनहेंभलाक्ाभ्टेंकरूंम,ैं वजसनेजीनावसखला्ा, हरठोकरपरसिंलदकेर, उननवत का पथि वदखला्ा !!
डाॅ. रििानी मातनिरेरलया
जोमरेेहोनेकाकारि, वजनसेहैमरेीपहचान, िेअिमझुमेंप्रवतविंवितहों, मझुसेिढ़ेनाम-सममान!!
आजकामना्ही,वमले उनकोवचरपरमरांवतउपहार! माग्श-मवुतिकाआलोवकतहो खलुेंमोक्षकेसारेद्ार!!
    लोहा नहीं हूँ मैं मगर फौलाद वपघलाते हुए लोगोंनेमझुेदखेाह।ै
गलुामनहींहूँमैंमगर
गलु ामी की वखलाफत में पसीने से लथिपथि नंगीपीठपरकोड़ेखातेहुए गलुामभीड़नेमझुेदखेाह।ै
पतथिर नहीं हूँ मैं मगर पतथिरों के सीने चीर कर भागीरथिीलातेहुए श्धिालओु ंनेमझुेदखेाह।ै
चट्ान भी नहीं हूँ मैं मगर चट्ानों को रोंदते हुए िफतीलीपहावड़्ोंको
इचं -इचं लाँघते ऊँचेवरखरोंनेमझुेदखेाह।ै
भलूोमत िरतीसेअतंररक्षतककी सारीसवमिाएँ मवुठ््ोंमेंसम्टेनेिाला एक अदद आदमी हूँ
तमुनेमझुेज़रूरदखेाह।ै
संपक्क : shivanimatanhelia@gmail.com
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विशिवा / Áअप्रैल 2021




























































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