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्वाता्यन
 कन्नड़ कहानी : कामरूपी
हलेनअभीकचचीउमरकीहीह।ैरीरेकेसामनेअठखवेल्ाँकरतीनाचरही ह।ैसड़ककेआिारा्ोकरोंकोदखे कर्ांसकेसीखेस्टेपसकरतेहुएउसेअपने ररीरकीवथिरकनवनहारनासखुदलगताह;ैिहवनल्शजज-सीसोचरहीहैवकउसकी ओर कोई क्ों नहीं दखे ता। िह एक-चौथिाई िचची भले ही हो, पर तीन वहससे तो स्तीहीह।ैं नाज-नखरोंऔरअदाओिंालीइसलड़कीकीएकाग्ताकोभगं नकरें। आगेिहएकपरूीनागररकताकोहीभसमकर्ालनेकीवरक्षापारहीह।ै ्ह ्े्ट्स का कथिन ह।ै
मरेेसामनेसेगजुराएककामरूपीमझुेवलखनेकोवििरकररहाह।ै
उस व्वति ने एकाएक भीतर घसु कर चारों ओर नजर दौड़ाई। भ्टकती नजर एकसोफेसेदसूरेतकदौड़तीरही।सामनेकेआदमकदरीरेकेसामनेउसनेअपनी म्ँूेंकरीनेसेऊँचीकींऔरिालोंकोसँिारा।मरेाध्ानखींचनेकेवलएअपने कोठीक-ठाकवक्ा।भौंहोंकेनीचेअपनीआखँ ोंकोपरूीतरहखोलकरवदखाने काव्थि्शप्र्ासवक्ा।वफरसेिाएँघमूकरहठातसामनेघमूा।हसँीसेभरेपोपले महँु िाली गांिी जी की फो्टो के नीच,े चौकोर काँच की मजे पर रखे सफे द रंग के फोनपरहमदोनोंकीनजरपड़ी:कहींसेअचानकभीतरघसु आएउसझींगरु की तरह, जो वदराहीन हो कर कहीं से कहीं उड़ता हुआ जहाँ-तहाँ ्टकराता िपप से आ वगरे। फोन और गांिी के सामने खड़े हो कर उसने अपना ब्ीफके स लाल सोफे पर फेंककरमरेीओरदखेा।इसप्रकारहमलोगोंकीिातचीतररूुहुई।
हदैरािादकेहिाईअ्््ेकेलाउंजमेंमैंअकेलाहिाईजहाजकीप्रतीक्षा मेंिैठाथिा,तभीइसमहानभुािकेदरन्शहुए।सफेद्टाइ्टपैं्टऔरिशुर्ट्श–दोनों ही खादी के थिे। िी.आई.पी. लाउंज के ्ोग् सजजनता के लक्षि उसके मखु पर वदखाई नहीं वदए, वफर भी खादी के कपड़े पहने थिा इसवलए उसमें अहतै कु साहस रहा होगा। मनैं े सोचा, रा्द िह मरे े िे्टे की उम्र का हो। पर वपचके गालों और भ्टकती लालचीआखँोंिालेऐसेलोगोंकीआ्ुकावनवश्चतअनमुानकरनाकवठनहोताह।ै
मैंकंुदरेकीपसुतक‘सि्शग्ाहीसिंेदना’पढ़रहाथिा।मझु पररा्दउसका प्रभाि रहा होगा। उसने ्टू्टी-फू्टी अग्ं ेजी में लगातार जो कु् कहा, मैं उसको नजरअदंाजनहींकरसका।एकिावह्ात-साकैमरामरेीतरफिढ़ाकरउसनेमझुे िता्ा वक उसे कहाँ से कै से थिामना है और वकस वसथिवत में कै से-वकस ि्टन को दिा कर फो्टो खींचनी ह।ैं फो्टो खींचने से पहले अपने जरा-जरा उभरे दाँतों को ढाँकनेकाप्र्ासकरतेहुएअपनीअपेक्षाओंकोमझु तकपहुचँानेऔरउनपर मरेीप्रवतवक्र्ाओंसेिे-परिाहउसकीसिप्रवतठिाकेिारेमेंमैंजोदखे सका,िहथिा उसका अपना सिाथि्श-सािन। ्टू्टी-फू ्टी अग्ं ेजी में अपनी िात कहते हुए उसने मझु वनतांत अपररवचत की विनम्रता को विना वकसी ‘्ाउ्ट’ के सिीकार कर वल्ा थिा।
‘िहाँ वमस्टर, िहाँ - गांिी जी के फो्टे के नीच!े मैं िहाँ सोफे पर िैठूँ और फोन उठाकरहसँ-हसँकरिातेंकरतेहुएजराम्ूिनालँ,ूतिआपकोगांिीजीकी फो्टो,लालसोफा-से्ट,जरा-साहराकापपे्ट,पासिालीकाँचकीमजे,फूलदानमें लगेगलुािऔरमरेास्टाइल–इनसिकोफोकसकरकेमरेासनैपलेनाह।ै’
एक आखँ मदँू कर मनैं े िड़ी विनम्रता से उसका सनैप वल्ा। इससे उतसावहत होकरउसनेकईतरहकेपोजऔरमखु-मद्ुाओंकेफो्टोवखचंिाए।एकिार
 यू. आर. अनंतमूरतति
21 रिसंबर 1932- 22 अगसत 2014, रिमोगा, कनातिटक,कन्नड़-अंग्रेजीमेंसमानगरतसरेलरेखन, भारतीय और रििरेिी भाषाओं में अनूरित, ज्ानपीठ पुरसकार और पद्मभूषण सरे अलंकृत, सारितय अकािमी के अधयक्ष भी रिरे। घटश्ाद्ध और संसकार जैसी कालजयी कथाओं के सजतिक।
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विशिवा / Áअप्रैल 2021






















































































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