Page 25 - Vishwa January 2024
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्ुसतक समीक्पा
रपाष्ट्र, धमशि और संसककृजत : वपासुदेवशरण अग्रवपाल
संपादक : िनुमान प्रसाद शुकल
प्र्तुसत : प्रभात प्रकाशन और मिातमा गांधी अंतरराष‍टीय सवशवसवद्ालय, वधागा
वैसे तो धरती, आका् और नदी-समद्रु ों पर जकसी प्रकार की कोई ने सभी बीमाररयों, अकालों और प्राकृ जतक आपदाओ ं से जमलकर जवभािकरेखानहींजखचंीहुईह।ैिीवों,भाषाओ,ंआदतोंऔरज्ञानहोनेवालीकुलिनधनहाजनसेअजधकजवना्जकयाह।ैआिभी केआदान-प्रदान,सघंष-शिजवम्शिसजृष्टमेंजनरंतरचलतेरहतेह।ैंयही धरतीपरससंाधनोंकीकमीनहींहैजफरभीभखू,गरीबी,यद्धु और इनकाजवकासवादह।ैवणशिसकंरतवकेहरभयऔर अभावसेइसससंारकेअजधसखंयिनपीजडतह।ैं
  भारतकीवैचाररकउदारताऔरसामजूहकताकी एकसमद्धृपरंपरारहीहैलेजकनजिसप्रकारसमयके अनसुारदजुनयाबदलीहैउससेभारतभी्षेससंार की वैचाररक जवकृ जतयों से अछू ता नहीं रहा ह।ै लेजकन मा‍तइसीकारणहमारेप्राचीनजव्षेकरवैजदकभारत केउचचआद्शिऔरउदात्तमलूयवयथशितोनहींहो िाते बजलक उनकी प्रासंजगकता और आवश्यकता और बढ़ िाती ह।ैं
इनहीं मलू यों को पजू य वासदु वे ्रण अग्रवाल नेआिीवनसहिे ाऔरिीवनभरउनहेंप्रजतपाजदत एकता,सामजूहकता,उदारता,तयागऔरबजलदानिैसेउदात्तभावों करतेरह।ेसामजयकआवश्यकताकोदखेतेहुएजवद्ानज्क्षकऔर कासिृनकरकेमनष्ुयकोजवकजसतऔरबेहतरबनातेहैंवहींिबये ससुस्ंकृतलेखकिॉ.हनमुानप्रसाद्कुलनेअग्रवालिीकेजव्ाल सत्ताप्राजपतऔरउसकेजवस्तारकेअवैधउपकरणबनिातेहैंतोवे औरजवजवधरचनाससंारसेराष्ट्र,धमशिऔरसस्ंकृजतसेसबंंजधतचनुे जकसीसमािकेसदस्योंकोकूर,कट्र,अलगाववादीभीबनासकते हुएआलेखोंकासकंलनअपनीजवद्तापणूशिभजूमकाकेसाथप्रस्ततु ह।ैंराष्ट्र,धमशिऔरसस्ंकृजतकेनामपरउपिीयाउपिाईगईघणृाजकयाह।ैयहभजूमकाअग्रवालिीकेवयोवद्धृपा‍ठकोंकेजलए
लाभदायकहैवहींनएपा‍ठकोंकाभीमागशिद्नशि करेगी।
इनमें बहुत से जनबंध अपने जवद्याथशी िीवन में पढ़े और जफर अधयापक के रूप में अपने छा‍तों को भी पढ़ाए।अब वे और कई नए जनबंधभीएकसाथनईदृजष्टसेपढ़नेकोउपलबधहुए।सपंादक
कासाधवुाद।
जवद्याथशी काल में जहनदी साजहतय के अधयापक कहा करते थे जक
यजदकभीतलुसीकीजवनयपज‍तकापढ़ोतोजवयोगीहररकीटीका और िायसी के पद्ावत के साथ वासदु वे ्रण अग्रवाल का सिं ीवनी भाष्य अवश्य पढ़ना। यह भी एक उललेखनीय बात है जक मौजलक लेखन के जलए जदया िाने वाला अकादमी परु स्कार अग्रवाल िी को उनके पद्ावत के सिं ीवनी भाष्य पर जदया गया। मौजलकता के स्तर तकपहुचँाभाष्य।
िैसेस्वादचखकरहीअनभुवजकयािासकतावैसेहीइन जनबंधों का आनंद पढ़कर ही प्रापत जकया िा सकता है लेजकन बस में जकसी िाससू ी उपनयास की तरह नहीं, थोडा एकाग्र होकर ‘वैष्णव िन’ के ्बदों और धनु की तरह।
इसीसकंलनसेएकआलेख(पजंिताःसमदज्नशिः)हमजवश्वा के पा‍ठकोंके जलएनमनू ेके तौरपरदेरहेहैंजिससेवेअग्रवालिी केरचनाससंारकीएकझलकपासकेंग।े
एहजतयात के बाविदू तरह-तरह से मले होता रहता ह।ै जफरभीमले-जमलापमेंसहिताआनेतकके अतंरालोंमेंअपनेपररजचतपररव्ेऔरआदतोंकेप्रजत एक प्रकार का मोह, राग और सहिता जवकजसत हो ही िातेह।ैं पेंगइुनकोबफशीलाप्रद्े याऊँटकोतपता रेजगस्तान अपना-सा लगता ह।ै इस साहचयशि िजनत प्रेम को कई प्रकार से पररभाजषत जकया िा सकता ह।ै यही प्रेम बहुत गहन और सजं श्लष्ट होकर राष्ट्र, धमशि और
सस्ं कृ जत बन गया होगा। राष्ट्र,धमशिऔरसंस्कृजतिहाँअपनेसमाि-समहू में
  जनवरी 2024 / ववशववा
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शपाश्वत गपांधी
ह्ूस्टन िें ‘इटरनल गांधी मयूमजयि’ का रुभारंभ। प्रेरक
80 साल के हरमजनिर मसहं मिलली िें अपना आटोररकरा िुफ़त एमबुलेंस के रूप िें चलाते हरैं। (अमित रुकल)
   













































































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