Page 26 - Vishwa January 2022
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 म्तपाके्त््ुत्ीकेनपाम:छठीकड़ी
शुरू के आदमी
अनरुवाद -प्रेमचंद पं. जवाहरलाल नेहरू
 मनैंेअपनेधपछलेख्मेंधलखाथिाधकआदमीऔरजानवरमें होगए।इनहींजगंलोंमेंआदधमयोंकीएकनईजाध्रहनेलगी।ये
धसफ्त अकल का फक्त ह।ै अकल ने आदमी को उन बड़े-बड़े जानवरों लोग बहु्-सी बा्ों में पतथिर के आदधमयों से जयादा होधशयार थिे।
सेजयादाचालाकऔरमजब्ूबनाधदयाजोमामलूी्ौरपरउसेलेधकनवेभीपतथिरकेहीऔजारबना्ेथिे।येलोगभीपतथिरहीके
नष्ट कर डाल्े। जयों-जयों आदमी की अकल बि्ी गई वह जयादा यगतु के थिे; मगर वह धपछला पतथिर का यगतु थिा, इसधलए वे नए पतथिर बलवानहो्ागया।शरूतुमेंआदमीकेपासजानवरोंसेमकतुाबलाकेयगतुकेआदमीकहला्ेथिे।
करनेकेधलएकोईखासहधथियारनथिे।वहउनपरधसफ्तपतथिरफेंक गौरसेदखेनेसेमालमूहो्ाहैधकनएपतथिरयगतुकेआदधमयों सक्ा थिा। इसके बाद उसने पतथिर की कतु रहाधड़याँ और भाले और ने बड़ी ्रककी कर ली थिी। आदमी की अकल और जानवरों के
बहु्-सीदसूरीचीजेंभीबनाईंधजनमेंपतथिरकीसईूभीथिी।हमनेइनमकतुाबलेमेंउसे्ेजीसेबिाएधलयेजारहीह।ैइनहींनएपाषाण-यगतु पतथिरोंकेहधथियारोंकोसाउथिकैंधसगंटनऔरजेनेवाकेअजायबघरों केआदधमयोंनेएकबहु्बड़ीचीजधनकाली।यहख्ेीकरनेका
मेंदखेाथिा।
िीरे-िीरे बफ्त का जमाना खतम हो गया धजसका मनैं े अपने
धपछलेख्मेंधजक्धकयाह।ैबफ्तकेपहाड़मधय-एधशयाऔरयरूोप से गायब हो गए। जयों-जयों गरमी बि्ी गई आदमी फै ल्े गए।
उसजमानेमेंन्ोमकानथिेऔरनकोईदसूरीइमार्थिी। लोग गफतु ाओंमें रह्े थिे। ख्े ी करना धकसी को न आ्ा थिा। लोग जगंलीफलखा्ेथिे,याजानवरोंकाधशकारकरकेमाँसखाकर रह्े थिे। रोटी और भा् उनहें कहाँ मयससर हो्ा कयोंधक उनहें ख्े ी करनीआ्ीहीनथिी।वेपकानाभीनहींजान्ेथिे;हाँ,शायदमाँस कोआगमेंगम्तकरले्ेहों।उनकेपासपकानेकेब््तन,जैसेकिाई और प्ीली भी न थिे।
्रीका थिा। उनहोंने ख्े ों को जो् कर खाने की चीजें पैदा करना शरूतु करधदया।उनकेधलएयहबहु्बड़ीबा्थिी।अबउनहेंआसानीसे खानाधमलजा्ाथिा,इसकीजरूर्नथिीधकवेरा्-धदनजानवरों का धशकार कर्े रह।ें अब उनहें सोचने और आराम करने की जयादा फतुस्त्धमलनेलगी।औरउनहेंधज्नीहीजयादाफतुरस्धमल्ीथिी, नई चीजें और ्रीके धनकालने में वे उ्नी ही जयादा ्रककी कर्े थिे।उनहोंनेधमट्टीकेब््तनबनानेशरूतु धकएऔरउनकीमददसेखाना पकाने लगे। पतथिर के औजार भी अब जयादा अचछे बनने लगे और उनपरपाधलशभीअचछीहोनेलगी।उनहोंनेगाय,कतुत्ा,भड़े ,बकरी वगैरहजानवरोंकोपालनासीखधलयाऔरवेकपडे़भीबनतुनेलगे।
वे छोटे-छोटे घरों या झोंपड़ों में रह्े थिे। ये झोंपड़े अकसर झीलों एकबा्बड़ीअजीबह।ैइनजगंलीआदधमयोंको्सवीरकेबीचमेंबनाएजा्ेथिे,कयोंधकजगंलीजानवरयादसूरेआदमी
खींचना आ्ा थिा। यह सच है धक उनके पास कागज, कलम, पेंधसल वहाँ उन पर आसानी से हमला न कर सक्े थिे। इसधलए ये लोग यारिशनथिे।उनकेपासधसफ्तपतथिरकीसइतुयाँऔरनोकदारऔजार झीलकेरहनेवालेकहला्ेथिे। थिे।इनहींसेवेगफतुाओंकीदीवारोंपरजानवरोंकी्सवीरेंबनाया ्मतुहेंअचभंाहो्ाहोगाधकइनआदधमयोंकेबारेमेंहमेंइ्नी
कर्े थिे। उनके बाज-बाज खाके खासे अचछे हैं मगर वे सब इकरुखे बा्ें कै से मालमू हो गई।ं उनहोंने कोई धक्ाब ्ो धलखी नहीं। लेधकन ह।ैं्मतुहेंमालमूहैधकइकरुखी्सवीरखींचनाआसानहैऔरबचचेमैं्मतुसेपहलेहीकहचकतुाहूँधकइनआदधमयोंकाहालधजस
इसी्रहकी्सवीरेंखींचाकर्ेह।ैंगफतुाओंमेंअिँरेाहो्ाथिाधक्ाबमेंहमेंधमल्ाहैवहससंारकीधक्ाबह।ैउसेपिनाआसान
इसधलए ममतु धकन है धक वे धचराग जला्े हों।
धजन आदधमयों का हमने ऊपर धजक् धकया है वे पाषाण या
पतथिर-यगतुकेआदमीकहला्ेह।ैंउसजमानेकोपतथिरकायगतु इसधलए कह्े हैं धक आदमी अपने सभी औजार पतथिर के बना्े थिे।
नहीं ह।ै उसके धलए बड़े अभयास की जरूर् ह।ै बहु्-से आदधमयों ने इस धक्ाब के पिने में अपनी सारी उम्र खतम कर दी ह।ै उनहोंने बहु्-सीहड्धडयाँऔरपरतुानेजमानेकीबहु्-सीधनशाधनयाँजमा कर दी ह।ैं ये चीजें बड़े-बड़े अजायबघरों में जमा ह,ैं और वहाँ हम
िा्ओतु ंकोकाममेंलानावेनजान्ेथिे।आजकलहमारीचीजें उमदाचमक्ीहुईकतुरहाधड़याँऔरब््तन,पतथिरके्ीरऔरसइतुयाँ, अकसरिा्ओतुंसेबन्ीह,ैंखासकरलोहेसे।लेधकनउसजमानेबहु्-सीदसूरीचीजेंदखेसक्ेह,ैंजोधपछलेपतथिरयगतुकेआदमी
मेंधकसीकोलोहेयाकाँसेकाप्ानथिा।इसधलएपतथिरकाममेंबना्ेथिे।्मतुनेखदतुइनमेंसेबहु्-सीचीजेंदखेीह,ैंलेधकनशायद लायाजा्ाथिा,हालांधकउससेकोईकामकरनाबहु्मधतुश्कलथिा।्मतुहेंयादनहो।अगर्मतुधफरउनहेंदखेो्ोजयादाअचछी्रह
पाषाणयगतु केखतमहोनेकेपहलेहीदधतुनयाकीआबोहवा समझसकोगी।
बदल गई और उसमें गमषी आ गई। बफ्त के पहाड़ अब उत्री सागर मझतु े याद आ्ा है धक धजनेवा के अजायबघर में झील के मकान
्कहीरह्ेथिेऔरमधयएधशयाऔरयरूोपमेंबड़े-बड़ेजगंलपैदा
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विशिवा / Áजनिरी 2022








































































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