Page 9 - Vishwa_April_22
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वपातपायन : रूसी कहपानी
दुःख
शामकेधधँुलकेकासमयह।ैसड़ककेखभंरोंकीरोशनीकेचाररोंओरबरजाकी एक गीली और मोटी परत धीरे-धीरे रै लती रा रही ह।ै बरजा बारी के कारण कोचवान योनापोतापोवदकसीसरेिप्रेत-सादिखनेलगाह।ै आिमीकीिहे दरतनीभीमड़ु करएकहोसकतीह,ैउतनीउसनेकररखीह।ैवहअपनीघोड़ागाड़ीपरचपुचाप दबना दहले-डुले बैठा हुआ ह।ै बरजा से ढका हुआ उसका छोटा-सा घोड़ा भी अब परूीतरहसरेिदिखरहाह।ैवहभीदबनादहले-डुलेखड़ाह।ैउसकीदसथरता, िबुली-पतलीकायाऔरलकड़ीकीतरहतनीसीधीटाँगेंऐसाआभासदिलारही हैं रैसे वह कोई ससता-सा मररयल घोड़ा हो।
योना और उसका छोटा-सा घोड़ा, िोनरों ही बहुत िरे से अपनी रगह से नहीं दहले ह।ैं वे खाने के समय से पहले ही अपने बाड़े से दनकल आए थे, पर अभी तक उ्हें कोई सवारी नहीं दमली ह।ै
‘ओगाड़ीवाले,दवबोगजाचलोगेकया?’योनाअचानकसनुताह,ै
‘दवबोगजा!’
हड़बड़ाहटमेंवहअपनीरगहसेउछलराताह।ै अपनीआखँ रोंपररमाहो
रहीबरजाकेबीचसेवहधसूररंगकेकोटमेंएकअरसरकोिखेताह,ैदरसकेदसर पर उसकी टोपी चमक रही ह।ै
‘दवबोगजा!’अरसरएकबारदररकहताह।ै ‘अरे,सोरहेहोकया?मझु ेदवबोगजा राना ह।ै ’
चलनेकीतैयारीमेंयोनाघोड़ेकीलगामखींचताह।ै घोड़ेकीगिनजा औरपीठ पर पड़ी बरजा की परतें नीचे दगर राती ह।ैं अरसर पीछे बैठ राता ह।ै कोचवान घोड़ेकोपचुकारतेहुएउसेआगेबढ़नेकाआिशेितेाह।ैघोड़ापहलेअपनीगिनजा सीधी करता ह,ै दरर लकड़ी की तरह सखत दिख रही अपनी टाँगरों को मोड़ता है औरअतंमेंअपनीअदनश्चयीशलैीमेंआगेबढ़नाशरूुकरितेाह।ैयोनाजयरों हीघोड़ा-गाड़ीआगेबढ़ाताह,ैअधँरेेमेंआ-रारहीभीड़मेंसेउसेसनुाईितेाह,ै ‘अबे, कया कर रहा ह,ै रानवर कहीं का! इसे कहाँ ले रा रहा ह,ै मखू !जा िाएँ मोड़!’
‘तमु हें तो गाड़ी चलाना ही नहीं आता! िादहनी ओर रहो!’ पीछे बैठा अरसर गसु से से चीखता ह।ै
दरररुककर,थोड़ेसयंतसवरमेंवहकहताह,ै‘दकतनेबिमाशह.ैं..सबके सब!’ और मराक करने की कोदशश करते हुए वह आगे बोलता ह,ै ‘लगता ह,ै सबनेकसमखालीहैदकयातोतमुहेंधकेलनाहैयादररतमुहारेघोड़ेके नीचे आकरहीिमलेनाह!ै’
कोचवान योना मड़ु कर अरसर की ओर िखे ता ह।ै उसके होठ ररा-सा दहलते ह।ैं शायिवहकुछकहनाचाहताह।ै
‘कयाकहनाचाहतेहोतमु?’अरसरउससेपछूताह।ै
योनारबिसजातीअपनेचहेरेपरएकमसुकराहटलेआताह,ैऔरकोदशशकरके रटीआवारमेंकहताह,ै‘मरेाइकलौताबेटाबाररनइसहफतेगरुरगयासाहब!’
‘अचछा! कै से मर गया वह?’
योनाअपनीसवारीकीओरपरूीतरहमड़ु करबोलताह,ै‘कयाकहू,ँसाहब। डॉकटरतोकहरहेथे,दसरजातेरबखुारथा।बेचारातीनदिनतकअसपतालमें
  चेखोव (1860-1904)
ववश्व प्रविद्ध कहानीकार और नाटककार
(हिंदी अनुवाद : िुशांत िुवप्रय)
 Áअप्रैल 2022 / विशिवा
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