Page 36 - Vishwa_April_22
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२३ मपाचजा : शहीदरे आज़म भगत दसंह के ९१ वें शहपादत-ददवस ्र उनकपा प्रदसद्ध आलरेख
मैं नपाबसतक कयरों हूँ?
  शहीद-ए-आज़ि भगत विंह (18 वितमबर 1907-23 िाच्व 1931)
(यह लेख भगत विंह ने जेल िें रहते हुए वलखा था और यह 27 वितमबर 1931 को लाहौर के अखबार “द पीपल” िें प्रकावशत हुआ। इि लेख िें भगतविंह ने ईश्वर की उपषसथवत पर अनेक तक्कपूण्व िवाल खड़े वकये हैं और इि िंिार के वनिा्वण, िनु्य के जनि, िनु्य के िन िें ईश्वर की कलपना के िाथ िाथ िंिार िें िनु्य की दीनता, उिके शोषण, दुवनया िें वयाप्त अराजकता और वग्वभेद की षसथवतयों का भी ववश्लेषण वकया है। यह भगत विंह के लेखन के िबिे चवच्वत वहसिों िें रहा है।
सवतंत्रता िेनानी बाबा रणिीर विंह 1930-31 के बीच लाहौर के िेंट्रल जेल िें कैद थे। वे एक िावि्वक वयषकत थे वजनहें यह जान कर बहुत क्ट हुआ वक भगतविंह का ईश्वर पर ववश्वाि नहीं है। वे वकिी तरह भगत विंह की कालकोठरी िें पहुँचने िें िफल हुए और उनहें ईश्वर के अषसततव पर यकीन वदलाने की कोवशश की। अिफल होने पर बाबा ने नाराज होकर कहा, “प्रविवद्ध िे तुमहारा वदिाग खराब हो गया है और तिु अहंकारी बन गए हो जो वक एक काले पददे के तरह तुमहारे और ईश्वर के बीच खड़ी है। इि वटप्पणी के जवाब िें ही भगतविंह ने यह लेख वलखा।)
एकनयाप्रश्नउठखड़ाहुआह।ैकयामैंदकसीअहकंारकेकारणसवजाशदकतमान, सववजा यापी तथा सवज्ञजा ानी ईश्वर के अदसततव पर दवश्वास नहीं करता हू?ँ मरे े कु छ िोसत – शायि ऐसा कहकर मैं उन पर बहुत अदधकार नहीं रमा रहा हूँ – मरे े साथ अपनेथोड़ेसेसमपकजामेंइसदनषकषजापरपहुचँनेकेदलएउतसकु हैंदकमैंईश्वरके अदसततव को नकार कर कुछ ज़रूरत से जयािा आगे रा रहा हूँ और मरे े घमणड ने कुछहितकमझुेइसअदवश्वासकेदलएउकसायाह।ैमैंऐसीकोईशखेीनहीं बघारता दक मैं मानवीय कमज़ोररयरों से बहुत ऊपर हू।ँ मैं एक मनषु य हू,ँ और इससे अदधक कुछ नहीं। कोई भी इससे अदधक होने का िावा नहीं कर सकता। यह कमज़ोरीमरेेअ्िरभीह।ैअहकंारभीमरेेसवभावकाअगंह।ैअपनेकामरेडरोंके बीच मझु े दनरंकुश कहा राता था। यहाँ तक दक मरे े िोसत श्ी बटुकेश्वर कुमार ित्त भीमझु ेकभी-कभीऐसाकहतेथे।कईमौकरोंपरसवेचछाचारीकहकरमरेीदन्िा भीकीगयी।कुछिोसतरोंकोदशकायतह,ैऔरगभंीररूपसेहैदकमैंअनचाहेही अपनेदवचार,उनपरथोपताहूँऔरअपनेप्रसतावरोंकोमनवालेताहू।ँ यहबात कुछहितकसहीह।ैइससेमैंइनकारनहींकरता।इसेअहकंारकहारासकता ह।ैरहाँतकअ्यप्रचदलतमतरोंकेमकुाबलेहमारेअपनेमतकासवालह।ैमझुे दनश्चयहीअपनेमतपरगवजाह।ै लेदकनयहवयदकतगतनहींह।ै ऐसाहोसकताहै दक यह के वल अपने दवश्वास के प्रदत ्यायोदचत गवजा हो और इसको घमडं नहीं कहारासकता।घमणडतोसवयंकेप्रदतअनदुचतगवजाकीअदधकताह।ै कयायह अनदुचतगवजाह,ै रोमझु ेनादसतकताकीओरलेगया?अथवाइसदवषयकाखबू सावधानी से अधययन करने और उस पर खबू दवचार करने के बाि मनैं े ईश्वर पर अदवश्वास दकया?
मैंयहसमझनेमेंपरूीतरहसेअसरलरहाहूँदकअनदुचतगवजायावथृादभमान दकस तरह दकसी वयदकत के ईश्वर में दवश्वास करने के रासते में रोड़ा बन सकता ह?ै दकसीवासतवमेंमहानवयदकतकीमहानताकोमैंमा्यतानिँू–यहतभीहो सकताह,ै रबमझु ेभीथोड़ाऐसायशप्रापतहोगयाहोदरसके यातोमैंयो्यनहीं हूँयामरेेअ्िरवेगणु नहींह,ैं रोइसके दलएआवश्यकह।ैं यहाँतकतोसमझमें आताह।ै लेदकनयहकैसेहोसकताहैदकएकवयदकत,रोईश्वरमेंदवश्वासरखता
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विशिवा / Áअप्रैल 2022


























































































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