Page 27 - VishwaApril2021.html
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अदृश्भ्टेंहुईअतंरा्शष्ट्ी्त्ैमावसकी‘विश्वा’केसपंादकऔरिररठि × × × व्ंग्लेखक(सीकरके)रमरेजोरीस।ेउनहोंनेभीमझुेगलुािजी प्रि्-वनिेदन,विरह,तड़प,वमलन-आकाँक्षाऔरवििरता कीग़ज़लगोईकेविष्मेंढेरसारीिातेंिताई।ंअतंम,ेंरमरेजोरीसेपगेपचीसोंररेोंकेिीचजिगलुािखण्ेलिालसामावजक केअनरुोिपरगलुािजीकीिे्टीविभानेसपी्पोस्टसेमझुेपसुतक मनोविज्ानकाएकऐसाररेकहतेहैंतोिहुतअच्ालगताह–ै ‘गलुािग्थिंािली’(खण्-तीन)कीएकप्रवतप्रेवषतकी।वजसमेंमझुे हरनज़रख़ामोशह,ैहरघरसेउठताहैधआँु, सकुविगलुािखण्ेलिालकेएकसाथिचारोंग़ज़ल-सग्ंहपढ़नेको यहशहरकाशहरहमीलिूाहुआलगताहैआज।
वमल गए। × × × सिसेपहलेतोमैंगलुािजीकेपहलेग़ज़ल-सग्ंह‘सौगलुाि गलुािजीकाउपनाम‘गलुाि’उनकेकु्ेकमकतोंमेंअवतररति
वखले’कीएकसौनौग़ज़लोंसेहोकरगज़ुरा।मनैंेिहुति्ै्शकेसाथिचमकपैदाकरताहुआभीदीखताह।ैजैसे– उनकीएकसौनौग़ज़लोंकोआसिादा।ग़ज़लेंआसिादकर,मझु बनकेखशुबूबाग़कीहदसेरनकलआए‘गलुाब’,
पर जो सिसे पहला प्रभाि पड़ा, िह ्ह वक ्े दिे नागरी में वलखी ्ा्पीउद्शूप्रकृवतकीग़ज़लेंनहींह।ैंइनकासभुािउद्शूसेअलग रहकरवनतानतवहनदीकाह।ै ्थिा–
हमने ग़ज़ल का और भमी गौरि बढ़ा रदया, रंगतनयमीतरहकीजोभरदमी‘गलुाब’म।ें × × ×
लाख अब कोई रमिाए, रमि सकें गे हम नहीं!
× × ×
रसरपेकाँिेभमीबड़ेशौकसेरखतेहैं‘गलुाब’, ताजपोशमी तो रबना ताज नहीं होतमी ह।ै
× × × सकुविगलुािखण्ेलिालकेतीसरेग़ज़ल-सग्ंह‘कु्और
चवँूकगलुािखण्ेलिालमतिुक,कता,रुिाई,सॉने्टसेगज़ुरगलुाि’मेंकेिल85ग़ज़लेंह।ैं
कर, वहनदी काव् में ग़ज़ल तक आए थिे, इसवलए उनके ररे ों में िाँव्त साँकेवतकतावमलतीह,ैजोग़ज़लकाअपररहा््शअगंह।ैजैसे–
महेंदमीलगमीहुईहैउमगंोंकेपाँिम,ें सपने में भमी तो आपसे आया न जायगा।
×××
हमरकनारेसेदरू जानसके,
एक रचतिन बँधमी थमी नाि के साथ।
××× इनग़ज़लोंकोपढ़तेहुएमझु ेएकिातऔरसमझआईवकइन
ग़ज़लोंमेंसकुविगलुािखण्ेलिालनेउद्शूकविताकीपरंपरागत
प्रतीक्ोजनासेअपनेआपको्थिा-सभंििचा्ाह।ैक्थ्के लगतीह,ैरा्दस्ंोगसेभीअविक।गलुािजीकीएकऐसीही वलहाज़से‘सौगलुािवखले’कीग़ज़लेंउद्शूकीपरंपरागतरूमानीभाि-भवूमकाउमदाररे–
ग़ज़लों से विलकुल अलग नहीं ह।ैं उन ग़ज़लों के विष् म,ें इतना यों तो ख़शु मी के दौर भमी आए तेरे बग़ैर, अिश्कहाजासकताहैवकग़ज़लकीसपुररवचतभवूमपररह आसँूरनकलहमीआए,मगर,हरखशुमीकेसाथ।
कर भी रा्र ने वहनदी के सिीकृत सौनद््श-िोि को वनरंतर उचच से × × × उचचतरिनानेकीकोवररकीह।ै महुािरोंकीचारनीऔरज़िुानकीलताफ़तसेऊपरउठकर
× × × गलुािजिजीिनकेविरलगभंीरप्रश्नोंपरभीनज़र्ालतेह,ैंतो सकुविगलुािखण्ेलिालकेदसूरेग़ज़ल-सग्ंह‘पखंवुड़्ाँअच्ालगताह।ैजैसे-
गलुािकी’मेंभी109ग़ज़लेंह,ैंवजनकीभाषासेलेकरभाि-भवूम धोखाकह,ेंफ़रेबकह,ेंहादसाकह,ें
भी लगभग िही ह,ै जो पहले ग़ज़ल-सग्ं ह की ह।ै अपनी ग़ज़ल इस रज़न्दगमी को कया न कहें और कया कह!ें क्र.11केएकररेमेंजिगलुािजीकहतेह–ैं ×××
रसफ़तिआचँलकेपकड़लेनेसेनाराज़थेआप! सकुविगलुािखण्ेलिालकेचौथिेग़ज़ल-सग्ंह‘हरसिुहएक
लगातार तीन ग़ज़ल-सग्ं ह आसिादने के िाद लगता है वक गलुािजीनेग़ज़लकीआतमाकोपहचानाह।ैउनकेररेोंमेंउद्शू ग़ज़लोंजैसासहजरबद-विन्ास,िाँकपनऔरतेिरवमलताह।ै हालाँवक उनका िण््श विष् एक ही ह–ै लौवकक और अलौवकक प्रेम।प्रेमऔरसौनद््शकापारसपररकसिंंिगलुािजीकेररेोंमें भरपरू और स्टीक ह।ै जैसे–
अधँ रेाथारदलम,ें अधँ रेाथाघरम,ें कोई रूप की चाँदनमी लेके आया।
अबतोख़शुहैंरकयेदरुनयाहमीछोड़दमीहमने!
पढ़करअवतिादीउद्शूररे‘गलीहमनेकहीथिी,तमुतोदवुन्ा ्ोड़ेजातेहो’की्ादआतीह।ै
इसीकुलकेअनेकररेोंम,ेंमझु ेउनका्हररे भीअच्ालगा-
तू मरे े पयार की धड़कन तो समझता है ज़रूर, मैं भले हमी कभमी होंठों से तेरा नाम न लँ।ू
ताज़ागलुाि’तकआते-आतेउनकीग़ज़लोंकीकुलसखं्ातीन सौसाठहोजातीह,ै्ानी‘हरसिुहएकताज़ागलुाि’।लेवकन, ग़ज़लोंकीइससखं्ातकआनेकेवलएउनहेंिसततुःिष्श1971से 1981तककालंिासम्लगा।
मावमक्शसिंेदनाऔरसहजअवभव्ंजनासेसजीगलुाि खण्ेलिाल के चौथिे सग्ं ह की वहनदी ग़ज़लों में भी प्रेम का िैभि
××× कईिारविरहऔरवि्ोगमेंभीआनंदकीअनभुवूतहोने
अप्रैल 2021 / विशिवा
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