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उस लोक में भी प्ताओगे ससंारसेेभागेवफरतेहो...
्ेपापहैक्ा,्ेपणु ्हैक्ा रीतों पर िम्श की मोहरें हैं हर ्गु में िदलते िमयों को कै से आदर्श िनाओगे ससंारसेभागेवफरते...
्े भोग भी एक तपस्ा है तमु त्ागकेमारेक्ाजानो अपमानरचतेाकाहोगा रचना को अगर ठुकराओगे ससंारसेभागेवफरते...
हमकहतेहैं्ेजगअपनाहै तमुकहतेहोझठूासपनाहै हम जनम विता कर जा्ेंगे तमु जनम गँिा कर जाओगे ससंारसेभागेवफरते...
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 ईश्वर अललाह तेरे नाम, सिको सनमवत दे भगिान। सिको सनमवत दे भगिान, सारा जग तेरी सनतान॥
इस िरती पर िसने िाले, सिहैंतेरीगोदकेपाले। कोई नीच ना कोई महान, सिको सनमवत दे भगिान॥
सिकोसनमवतदेभगिान, सारा जग तेरी सनतान॥
जातों नसलों के िँ्टिारे, झठू कहा ्े तेरे द्ारे। तेरेवलएसिएकसमान, सिको सनमवत दे भगिान॥
सिको सनमवत दे भगिान, सारा जग तेरी सनतान॥
जनमकाकोईमोलनहींह,ै जनममनषु कातोलनहींह।ै करम से है सिकी पहचान, सिकोसनमवतदेभगिान।
सिको सनमवत दे भगिान, सारा जग तेरी सनतान॥ ईश्वरअललाहतेरेनाम, सिको सनमवत दे भगिान। सिको सनमवत दे भगिान, सारा जग तेरी सनतान॥
 व्वशदेष आलदेख : गुलाि ज्यंती पर
भावषक ्ृक्टि सदे गुलाि खण्डेल्वाल वहन्ी के पहलदे ग़ज़लकार
  ज़िीर कुररेिी
रिन्िी के िररषठ और सुपरररचत गज़लकार, समीक्षक और अब किानीकार भी। संपक्क : 108, ररिलोचन टािर, संगम रसनरेमा के सामनरे, गुरुबकि की तलैया, पो.ऑ. जीपीओ, भोपाल-462001 (म.प्.) मो. 09425790565फोनः0755-2740081Email- poetzaheerqureshi@gmail.com
सकुविगलुािखण्ेलिाल्ा्ािादीकविता्गुकेफौरनिादकेउनवसधिकवि्ों मेंसेएकह–ैं जोवनससदंहे िहुमखुीप्रवतभाकेिनीथिे।उनहोंनेअपनेजीिन-काल में गीत, गे् मतिु ्ंद, प्रिंि-काव्, गीवत ना्ट््, सॉने्ट, कता, रुिाई और ग़ज़ल को परू े अविकार के साथि वलखा। उनकी इन गे् वििाओ ं का उस सम् के अनेक वदगगज सावहत्कारों ने ‘नोव्टस’ वल्ा और सम्-सम् पर गलु ाि जी की प्रवतभा कीभरूर-भरूरप्ररसंाभीकी।
गलुािजीकीओरमरेीविरषेरुवचउनकेग़ज़लगोसिरूपकेकारिहुई। ....रा्दइसकारिऔरअविकवकवहनदीग़ज़लकेगोमखु दष्ु्ंतकुमारनेभी उनसे ग़ज़ल-प्रभाि ग्हि करने की िात सिीकार की थिी। वदलली में एक आतमी् मलुाकातकेअतंग्शत,मझुे‘गगनाँचल’द्-ैमावसकीकेसपंादकऔरप्रखरव्ंग्- लेखकहरीरनिलनेिता्ावकिीतीसदीमेंसत्तरकेदरकसेथिोड़ेपहलेदवैनक ‘आज’(िारािसी)केएकवन्वमतसाप्ावहकसतंभमेंगलुािखण्ेलिालजीकी ग़ज़लें ्पती थिीं। वजनहें उस सम् दष्ु ्ंत कु मार लगातार पढ़ते और आतम-सात करते रह।े िहीं से दष्ु ्ंत के मन में ग़ज़ल कहने के प्रवत तीव्र ललक पैदा हुई। िाद म,ें दष्ु ्ंत की ग़ज़लों ने क्ा कमाल वदखा्ा– कहने की आिश्कता नहीं ह!ै
इसप्रकार,गलुािखण्ेलिालदष्ु्ंतसेपिू्शिततीग़ज़लकहनेिालेरचनाकार वसधि होते ह।ैं उपरोति आतमी् िाता्शलाप के अतं ग्शत भाई हरीर निल ने मझु े ्ह भीिता्ावकगलुािजीदष्ु्ंतकुमारसेज़्ादावहनदीप्रकृवतकेग़ज़लकारथिे।
िस,उसीरामसेमैंगलुािखण्ेलिालके3-4प्रकावरतग़ज़ल-सग्ंहोंकी तलारमेंज्टु ग्ा।पाँच-्ःमहीनोंकीदरूभावषकतलारकेिाद,फोनपरमरेी
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विशिवा / Áअप्रैल 2021















































































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