Page 25 - VishwaApril2021.html
P. 25

समरण
सावहर जनमशती व्वशदेष
(8 माचति 1921 – 25 अकटटूबर 1980)
कु छ चुहननद् रचन्एँ 1
मौत कभी भी वमल सकती है लेवकन जीिन कल न वमलेगा मरने िाले सोच समझ ले वफर तझु को ्े पल न वमलेगा
कौन सा ऐसा वदल है जहाँ में वजस को ग़म का रोग नहीं कौनसाऐसाघरहैवजसमेंसखु हीसखु हैसोगनहीं जोहलदवुन्ाभरकोवमलाहैक्ँूतझु कोिोहलनवमलेगा मरने िाले सोच समझ ले वफर तझु को ्े पल न वमलेगा
इस जीिन में वकतने ही दखु हों लेवकन सखु की आस तो है वदल में कोई अरमान िसा है आखँ में कोई प्ास तो है जीिन ने ्े फल तो वद्ा है मौत से ्े भी फल न वमलेगा मरने िाले सोच समझ ले वफर तझु को ्े पल न वमलेगा
2
एक अके ला थिक जाएगा वमल कर िोझ उठाना साथिी हाथि िढ़ाना
हममहेनतिालोंनेजिभीवमलकरक़दमिढ़ा्ा सागर ने रसता ्ोड़ा पि्शत ने सीस झकु ा्ा फ़ौलादीहैंसीनेअपनेफ़ौलादीहैंिाँहें
हम चाहें तो पैदा कर दें चट्ानों में राहें
साथिी हाथि िढ़ाना महेनतअपनेलेखकीरेखामहेनतसेक्ा्रना कलग़ैरोंकीख़ावतरकीआजअपनीख़ावतरकरना अपना दखु भी एक है साथिी अपना सखु भी एक अपनीमवंज़लसचकीमवंज़लअपनारसतानेक
साथिी हाथि िढ़ाना एकसेएकवमलेतोक़तरािनजाताहैदरर्ा एक से एक वमले तो ज़रा्श िन जाता है सहरा
एक से एक वमले तो राई िन सकती है पि्शत साथिी हाथि िढ़ाना
मा्टी से हम लाल वनकालें मोती लाएँ जल से जोकु्इसदवुन्ामेंिनाहैिनाहमारे िलसे कितकमहेनतकेपैरोंमेंदौलतकीज़जंीरें हाथि िढ़ा कर ्ीन लो अपने खिािों की ता'िीरें
साथिी हाथि िढ़ाना
3
जाने िो कैसे लोग थिे वजन को प्ार से प्ार वमला हम ने तो जि कवल्ाँ माँगीं काँ्टों का हार वमला ख़वुर्ों की मवंज़ल ढूँ्ी तो ग़म की गद्श वमली चाहत के नगमे चाहे तो आह-ए-सद्श वमली वदलकेिोझकोदनूाकरग्ाजोग़म-खिारवमला वि्ड़ ग्ा हर साथिी दे कर पल-दो-पल का साथि वकस को फ़ुस्शत है जो थिामे दीिानों का हाथि हम को अपना सा्ा तक अकसर िेज़ार वमला इसकोहीजीनाकहतेहैंतो्ँूहीजीलेंगे उफ़ न करेंगे लि सी लेंगे आसँू पी लेंगे ग़म से अि घिराना कैसा ग़म सौ िार वमला
4
तूवहनदूिनेगानमसुलमानिनेगा इसंानकीऔलादहैइसंानिनेगा
अच्ा है अभी तक तेरा कु् नाम नहीं है तझु को वकसी मज़हि से कोई काम नहीं है वजसइलमनेइसंानोंकोतकसीमवक्ाहै इस इलम का तझु पर कोई इलज़ाम नहीं है तू िदले हुए िकत की पहचान िनेगा इसंानकीऔलादहैइसंानिनेगा मावलकनेहरइसंानकोइसंानिना्ा हमनेइसेवहनदू्ामसुलमानिना्ा क़ुदरत ने तो िखरी थिी हमें एक ही िरती हम ने कहीं भारत कहीं ईरान िना्ा
जो तोड़ दे हर िंद िो तफ़ू ान िनेगा इसंानकीऔलादहैइसंानिनेगा
नफ़रत जो वसखाए िो िरम तेरा नहीं है इसंाँकोजोरौंदेिोक़दमतेरानहींहै क़ुरआन न हो वजस में िो मवंदर नहीं तेरा गीता न हो वजस में िो हरम तेरा नहीं है तूअमनकाऔरसलुहकाअरमानिनेगा इसंानकीऔलादहैइसंानिनेगा
5
ससंार से भागे वफरते हो भगिान को तमु क्ा पाओगे इस लोक को भी अपना न सके
   अप्रैल 2021 / विशिवा
23








































































   23   24   25   26   27